बिहार गैंग कैसे फैला रहा बंगाल में अपना 'साम्राज्य'? TMC नेता पर हमले में भी हाथ
Bihar gangs into Bengal: पुलिस का दावा है कि हाल के महीनों में पश्चिम बंगाल में आपराधिक गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी गई है. ये घटनाएं खासकर बिहार और झारखंड की सीमा से लगे इलाकों में बढ़ी है, जिसमें बिहार गैंग की बड़ी भूमिका सामने आई है.;
Bihar gangs into Bengal: पिछले महीने 16 नवंबर को तृणमूल कांग्रेस (TMC) के पार्षद सुशांत घोष की हत्या के प्रयास में बिहार के गैंगस्टर और हथियार डीलर पप्पू चौधरी का नाम ने तहलका मचा दी. कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने खुलासा किया कि दोनों राज्यों के संगठित क्राइम गैंग के बीच सांठगांठ अब बढ़ रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया, 'हाल के महीनों में पश्चिम बंगाल में आपराधिक गतिविधियों में बढ़ोतरी देखी गई है, इनमें से कई बिहार में सीमा पार से आए गिरोहों से जुड़े हैं. बिहार के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल की सीमा से लगे बिहार के इलाकों में कम से कम 50 ऐसे गैंग सक्रिय हैं.'
पुलिस की लगातार छापेमारी में हथियारों का जखीरा बरामद
बिहार से राज्य में तस्करी किए जा रहे हथियारों और गोला-बारूद की संख्या लगातार बढ़ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 3 सालों में कोलकाता पुलिस की स्पेशल टीम और बिहार पुलिस की स्पेशल टीम ने बिहार के हथियार कारखानों में संयुक्त रूप से 14 छापेमारी में की है, जिसमें 115 हथियार जब्त किए गए और 58 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से अधिकांश छापे मुंगेर में मारे गए. पुलिस ने ये भी बताया कि यहाँ हथियार के निर्माण के लिए कई यूनिट बनाए गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, पप्पू चौधरी और सुबोध सिंह जैसे बिहार के गैंगस्टर कथित तौर पर पश्चिम बंगाल में कई हाई-प्रोफाइल अपराधों की योजना बनाने के लिए जिम्मेदार हैं. पप्पू चौधरी ने 2010 और 2018 के बीच कुख्यात बना और उसका गैंगकथित तौर पर सीमांचल क्षेत्र यानी किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया और अररिया सक्रिय रहा. हालांकि, गैग का नाम समस्तीपुर, वैशाली और पड़ोसी झारखंड में जबरन वसूली के मामलों और बैंक डकैती से भी जुड़ा हुआ है.
कई गैंगस्टर्स दोनों राज्यों में अपराध को दे रहे हैं अंजाम
पप्पू चौधरी बिहार का एकमात्र ऐसा गैंगस्टर नहीं है, जिसका नाम पश्चिम बंगाल पुलिस की जांच में सामने आया है, 2019 में भाजपा नेता मनीष शुक्ला की हत्या की जांच में कथित तौर पर सुबोध सिंह का नाम आया, जिस पर पश्चिम बंगाल में कई अपराधों का आरोप है, जिसमें 2023 में दुर्गापुर के व्यवसायी और कथित कोयला माफिया राजू झा की हत्या और 12 जून को पश्चिम बंगाल के रानीगंज में एक ज्वेलरी शॉप पर 4 करोड़ रुपये की डकैती में शामिल है.
गैंगस्टर सुबोध सिंह आठवीं कक्षा तक पढ़ाई छोड़ चुका है और करीब 100 गुर्गों के जरिए अपना काम करता है, जिनमें से कई शार्प शूटर हैं. वर्तमान में बंगाल की अलीपुर सेंट्रल जेल में बंद सुबोध सिंह के बारे में माना जाता है कि वह पटना की बेउर जेल में रहते हुए अपना काम करता था, जहां वह इस साल जुलाई तक बंद था. सुबोध सिंह गिरोह बिहार और पश्चिम बंगाल में भी कई सालों से बैंकों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में लूटपाट, जबरन वसूली और कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के मामलों में सक्रिय है.
बिहार के गैंग के विस्तार के लिए सीमा पुलिस जिम्मेदार?
बिहार से बंगाल की ओर बढ़ रहे गैंग सीमा सुरक्षा में को पुख्ता करने की मांग कर रहा है. हालांकि, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेता सीमावर्ती क्षेत्रों में ढीली पुलिसिंग को इसका दोष दे रहे हैं. बढते गैंगस्टर्स के क्राइम पर वरिष्ठ TMC लीडर सौगत रॉय ने कहा कि लोग पुलिस को वेतन देते हैं. वे दुर्गा पूजा के दौरान अच्छा काम करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि बिहार से पिस्तौल बंगाल में कैसे आ रही है. ये पुलिस (लोग) क्या करते हैं? क्या वे ऐसे लोगों को रोक नहीं सकते और जांच नहीं कर सकते.'