'सभी को जीने का हक', 270 विदेशियों की अब तक क्यों नहीं हुई घर वापसी? SC ने असम सरकार से मांगा जवाब
असम सरकार ने प्रदेश में स्थित मटिया ट्रांजिट कैंप में 270 विदेशियों को रखा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें वापस उनके देश भेजने का आदेश दिया था. साथ ही हिरासत में रखने का कारण पूछा था, लेकिन राज्य सरकार ने इसका कोई जवाब नहीं दिया. इस पर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है. साथ ही उन्हें उनके देश वापस भेजने के लिए तुरंत कदम उठाएं.;
SC Slams Assam Government: असम में पिछले कई दिनों से मटिया ट्रांजिट कैंप में 270 विदेशियों को रखा हुआ है. उन्हें अब तक रिहा नहीं किया है. इस मामले में याचिका पर सुनाई करते हुए प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि विदेशियों को किस वजह से हिरासत में रखा गया है इसका कोई जवाब नहीं दिया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार के पूछा कि वह विदेशियों को हिरासत में रखने का कारण नहीं बता पाई कि उन्हें उनके देश क्यों नहीं भेजा गया. अगली सुनवाई पर सरकार के स्पष्टीकरण मांगा है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस भय एस ओका और न्यायमूर्ति नोंगमईकापम कोटिश्वर सिंह की बेंच ने की.
असम सरकार से SC ने पूछा सवाल
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जीवन का मौलिक अधिकार केवल नागरिकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशियों सहित सभी लोगों पर सीमित है. उन्हें उनके देश वापस भेजने के लिए तुरंत कदम उठाएं. अदालत ने राज्य से 6 सप्ताह में जवाब मांगा था. हमें उम्मीद थी कि राज्य ट्रांजिट कैंपों में 270 विदेशी नागरिकों को हिरासत में रखने और उन्हें घर वापसी के बारे में जानकारी देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हिरासत में लिए जाने का कोई तर्क नहीं है क्योंकि इसके पीछे की वजह नहीं बताई गई है. असम सरकार का यह रुख अदालत के आदेशों का उल्लंघन है.
क्यों नहीं बताई हिरासत की वजह- SC
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से पूछा कि "इससे पता चलता है कि राज्य सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करना चाहती. हमें बताएं कि हलफनामे में क्या गोपनीय है?" इस पर वकील ने कहा कि वकील ने कहा कि हलफनामे में विदेशियों के पते दिए गए हैं और इसकी रिपोर्ट मीडिया को दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि "वकील ने कहा है कि दायर हलफनामे को सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए, क्योंकि इसकी सामग्री गोपनीय है. हालांकि हम निर्देश दे रहे हैं कि इसे सीलबंद लिफाफे में रखा जाए, लेकिन हम वकील से असहमत हैं कि इसकी सामग्री के बारे में कुछ गोपनीय है." बीते साल 16 मई को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र को मटिया के हिरासत केंद्र में बंद 17 विदेशियों को वापस भेजने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.