क्‍या BCCI को 'टीम इंडिया' नाम इस्‍तेमाल करने की नहीं है इजाजत, दिल्‍ली हाईकोर्ट ने क्‍या कहा?

दिल्ली हाईकोर्ट ने BCCI को ‘टीम इंडिया’ नाम इस्तेमाल करने से रोकने वाली याचिका को खारिज कर दिया, इसे “समय की बर्बादी” बताया. याचिका में दावा था कि BCCI एक निजी संस्था है और इसे सरकार ने टीम को राष्ट्रीय प्रतिनिधि बताने की अनुमति नहीं दी है. कोर्ट ने कहा कि खेलों में सरकारी हस्तक्षेप सीमित है और BCCI अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है. अदालत ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय प्रतीकों और निजी संस्थाओं के बीच संबंध वैश्विक खेल नियमों के अनुसार तय होते हैं, इसलिए BCCI नाम का इस्तेमाल जारी रखेगा.;

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Edited By :  प्रवीण सिंह
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दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें प्रसार भारती को भारत के क्रिकेट बोर्ड BCCI की टीम को “टीम इंडिया” या “इंडियन नेशनल क्रिकेट टीम” कहने से रोकने की मांग की गई थी. कोर्ट ने इस याचिका को “समय की बर्बादी” करार देते हुए सख्त टिप्पणी की.

यह याचिका वकील रीपक कंसल द्वारा दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि BCCI एक निजी संस्था है और इसे भारतीय सरकार द्वारा अपनी क्रिकेट टीम को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने का अधिकार नहीं मिला है. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि प्रसार भारती जैसे प्लेटफॉर्म BCCI की टीम को “Team India” कहकर राष्ट्रीय प्रतीक और ध्वज का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और जनता के बीच झूठी छवि बना रहे हैं.

याचिका में क्या कहा गया था?

याचिका वकील रीपक कंसल द्वारा दायर की गई थी. इसमें दावा किया गया कि BCCI एक निजी संस्था है और इसे भारतीय सरकार ने अपने क्रिकेट टीम को “टीम इंडिया” कहने की अनुमति नहीं दी है. याचिका में यह भी कहा गया कि BCCI यह दर्शाकर झूठी छवि बना रहा है कि यह टीम सरकारी तौर पर भारत का प्रतिनिधित्व करती है.

याचिका में लिखा गया था कि प्रसार भारती के प्लेटफॉर्म जैसे दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो लगातार BCCI की टीम को “टीम इंडिया” या “इंडियन नेशनल क्रिकेट टीम” कह रहे हैं, और राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग क्रिकेट टूर्नामेंट में किया जा रहा है. इससे जनता के बीच गलत प्रभाव पैदा होता है और निजी संस्था को व्यावसायिक वैधता मिलती है.

याचिका में आगे कहा गया, “यह याचिका इसलिए दायर की गई है ताकि राष्ट्रीय नाम, प्रतीक और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का गलत इस्तेमाल निजी वाणिज्यिक संस्थाओं जैसे BCCI के साथ न हो और जनता को यह विश्वास न हो कि BCCI सरकारी तौर पर भारत का प्रतिनिधित्व करता है.

कोर्ट का सख्त रुख

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को चेतावनी दी और कहा कि यह याचिका “समय की बर्बादी” है. डिवीजन बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला शामिल थे, ने कंसल से कहा, “क्या आपने BCCI से जुड़े पिछले फैसले पढ़े हैं? याचिका तभी कायम मानी जाएगी जब आप स्पष्ट रूप से दिखा सकें कि यह याचिका कायमी है. सिर्फ मन में आया विचार याचिका का विषय नहीं बन सकता.”

जस्टिस गेडेला ने खेलों के वैश्विक ढांचे का हवाला देते हुए कहा, “क्या आप जानते हैं कि पूरे विश्व में खेलों का पारिस्थितिकी तंत्र कैसे चलता है? क्या आप जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के नियम कहते हैं कि किसी भी राज्य को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए? यदि सरकारी अधिकारी खेलों में टीम का चयन करें, तभी टीम भारत का प्रतिनिधित्व करेगी - ऐसा नहीं है. जब भी अतीत में सरकारी हस्तक्षेप हुआ, भारतीय ओलंपिक समिति ने बहुत सख्ती दिखाई.”

क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट?

विशेषज्ञों के अनुसार, खेलों में सरकारी और निजी संस्थाओं का संतुलन जरूरी है. BCCI जैसे संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं और टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करते हैं. भारत में खेलों का संचालन वैश्विक नियमों और ओलंपिक चार्टर के अनुरूप होता है, जहां सरकार का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं होता.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि निजी संस्थाओं और सरकारी प्रतीकों के बीच संबंध खेलों की वैश्विक प्रणाली के अनुसार निर्धारित होता है. याचिका खारिज होने के बाद अब BCCI सामान्य तौर पर ‘टीम इंडिया’ नाम का इस्तेमाल जारी रखेगा और प्रसार भारती द्वारा इसकी कवरेज भी जारी रहेगी.

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