Pink Ball Test: सबसे पहले कब खेला गया था डे-नाइट टेस्ट मैच, एडिलेड क्यों है ऑस्ट्रेलिया का किला?

Adelaide Pink Ball Test Match: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में डे-नाइट टेस्ट मैच खेला जा रहा है. यह मैच गुलाबी गेंद से हो रहा है. क्या आपको पता है कि पहला पिंक बॉल टेस्ट कब खेला गया था? अगर नहीं तो आइए जानते हैं...;

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Pink Ball Test Match History: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में दूसरा टेस्ट मैच खेला जा रहा है. भारतीय टीम पहली पारी में 180 रन पर सिमट गई. ऑस्ट्रेलिया की ओर से मिचेल स्टार्क ने 6 विकेट चटाकाए. वहीं, भारतीय टीम की ओर से नीतीश रेड्डी ने सबसे ज्यादा 42 रन बनाए. यह मैच पिंक बाल यानी गुलाबी गेंद से खेला जा रहा है. यह डे-नाइट टेस्ट मैच है.

ईएसपीएन क्रिकइंफो के मुताबिक, एडिलेड को ऑस्ट्रेलिया का किला माना जाता है. यहां पर ऑस्ट्रेलिया ने अभी तक सात पिंक बॉल टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें से उसे किसी में भी हार का सामना नहीं करना पड़ा. वहां अभी तक इस मैदान पर अजेय है.

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पिंक बॉल टेस्ट का इतिहास

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एडिलेड में ही 2015 में पहला डे-नाइट टेस्ट मैच खेला गया था. भारत और ऑस्ट्रेलिया 23वां पिक बॉल टेस्ट खेल रहे हैं. यह भारत का पांचवां पिंक बॉल टेस्ट मैच है. उसने पहली बार 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ डे-नाइट टेस्ट मैच खेला था. यहां पर भारत को पारी और 46 रन से जीत मिली थी.

भारतीय टीम ने इसके अलावा, तीन और पिंक बॉल टेस्ट मैच खेले हैं. इसमें से दो मैच घरेलू मैदान में खेले गए थे, जिसमें भारत को जीत मिली थी. वहीं, एक मैच एडिलेड में खेला गया था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के हाथों उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था.

पिंक बॉल से क्यों खेला जाता है टेस्ट मैच?

दरअसल, 2010 के दशक में लोगों में टेस्ट मैच को लेकर उत्साह कम हो गया था. इससे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद यानी आईसीसी चिंतित थी. इसलिए उसके मन में गुलाबी गेंद से मैच कराने का विचार आया. पहले इसे प्रथम श्रेणी मैचों में इस्तेमाल किया गया. उसके बाद इसे टेस्ट मैच में लाया गया.

पिंक बॉल से बल्लेबाजी करना क्यों मुश्किल है?

अगर हम पिंक बॉल टेस्ट मैचों के इतिहास को देखें तो अभी तक 22 में से सिर्फ 6 मैच पांचवें दिन तक पहुंचा. सात मैच चौथे दिन ही खत्म हो गए थे.9 मैच ऐसे भी थे, जिसमें तीन या उससे कम दिन के भीतर खत्म हुए थे. कोई भी मैच ड्रॉ नहीं हुआ. दो मैच तो दो दिन के भीतर ही समाप्त हो गए थे. इसका मतलब है यह कि पिंक बॉल टेस्ट मैचों में गेंदबाजों का जलवा रहता है.

गुलाबी गेंद लाल गेंद से थोड़ा अधिक चमकती है. इसकी वजह यह है कि इस पर कलर के कोट कुछ अधिक होते हैं. इसमें पेंट की लेयर भी कुछ अधिक रहती है, जो जल्दी से नहीं जाती. इस गेंद में चमक लाल गेंद की तुलना में ज्यादा समय तक बनी रहती है.

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