पितृ पक्ष में नहीं किया जाता शुभ काम, करने पर हो जाता है सत्यानाश, जान लें क्या है पूरी बात?
Pitru Paksha : पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध और पूजा-पाठ जैसे धार्मिक कार्य किए जाते हैं. इस समय गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना भी अत्यंत शुभ माना जाता है.;
Pitru Paksha: पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण समय होता है, जो पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति के लिए समर्पित है. इस दौरान पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति और मुक्ति प्राप्त होती है. यह समय भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है. इस समय पितृ पक्ष चल रहा है. 17 सितंबर से शुरु हुआ पितृ पक्ष 2 अक्टूबर को खत्म होगा.
पितृ पक्ष को धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन इस दौरान कुछ विशेष प्रकार के कार्य वर्जित होते हैं. ऐसा कहा जाता है कि पितृ पक्ष में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, क्योंकि इस समय को पूर्वजों के नाम पर समर्पित किया गया है. जिन कार्यों से आनंद, उत्साह या नई शुरुआत जुड़ी होती है, जैसे शादी, नए घर का प्रवेश, वाहन या आभूषण खरीदना आदि, उन्हें इस समय के दौरान टाल दिया जाता है.
पितृ पक्ष में शुभ काम क्यों नहीं किया जाता?
पितृ पक्ष को पितरों को तर्पण देने का समय माना गया है. इस दौरान श्राद्ध कर्म के माध्यम से लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितर इस समय धरती पर आते हैं और अपने परिजनों से तर्पण की अपेक्षा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि यदि इस दौरान तर्पण या श्राद्ध कर्म न किए जाएं, तो पितर नाराज हो सकते हैं और इसका नकारात्मक प्रभाव परिवार पर पड़ सकता है. इसी कारण से पितृ पक्ष के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.
धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि पितृ पक्ष के समय केवल अपने पितरों की शांति और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. यदि इस समय कोई शुभ काम किया जाता है, तो इसे पितरों के प्रति अनादर माना जाता है और इससे जीवन में नकारात्मक प्रभाव आ सकता है.
पितृ पक्ष में कौन-कौन से कार्य नहीं किए जाते?
पितृ पक्ष के दौरान कुछ खास कार्य वर्जित होते हैं. इनमें शादी-विवाह, गृह प्रवेश, नए वाहन या आभूषण खरीदना और अन्य शुभ कार्य शामिल हैं. ऐसा माना जाता है कि इन कार्यों से तृष्णा और अहंकार की भावना जुड़ी होती है, जो इस समय वर्जित मानी गई हैं. इसके अलावा, इस समय बड़े वस्त्र या कोई कीमती समान खरीदना भी अशुभ माना जाता है. शास्त्रों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पितृ पक्ष में किसी प्रकार की इच्छाओं और कामनाओं से मुक्त रहकर पितरों की मुक्ति का प्रयास करना चाहिए.
क्या होते हैं पितृ पक्ष में करने योग्य काम?
पितृ पक्ष में तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे कर्म किए जाते हैं. इस समय गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराने का विशेष महत्व होता है. इसके अलावा, जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, और धन का दान करना भी इस समय पुण्य का कार्य माना जाता है.
इस प्रकार, पितृ पक्ष में शुभ कार्यों से बचकर तर्पण और श्राद्ध जैसे कर्म करना हमारे धर्म की एक पुरानी परंपरा है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है.
डिस्क्लेमर: इस खबर को सामान्य जानकारी और मान्यताओं के आधार पर लिखा गया है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.