मथुरा में स्थित है यमराज का मंदिर, जहां पूजा करने से होती है जीवन काल में वृद्धि
यमराज का जन्म सनातन धर्म के अनुसार सूर्य देवता और संज्ञा से हुआ था. यमराज का वाहन बैल या भैंसा है, और उनके पास एक विशेष यमदंड होता है, जिसका उपयोग वे कर्मों के अनुसार दंड देने के लिए करते हैं.;
यमराज हिंदू धर्म में मृत्यु के देवता के रूप में पूजे जाते हैं. वे व्यक्ति के अच्छे कर्म करने वालों को स्वर्ग और बुरे कर्म करने वालों को नरक में भेजते हैं. यमराज का वाहन बैल या भैंसा है. मथुरा को श्री कृष्ण की जन्म भूमि कहा जाता है. मथुरा का विश्राम घाट की कहानी बेहद खास है.
यह वह जगह है, जहां कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर यहां कुछ देर विश्राम किया था. इसी विश्राम घाट पर यमराज का मंदिर मौजूद है. यमुना-यमराज के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर में यमराज की प्रसन्न मुद्रा में प्रतिमा है. वहीं, मां यमुना चतुर्भुज रूप में हैं.
मंदिर से जुड़ी मान्यता
पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन से मिलने गए थे. जहां यमुना माता ने उन्हें 56 भोग खिलाए थे. यमराज ने इस बात से प्रसन्न होकर वरदान दिया था कि यमुना और यम की साथ में पूजा की जाएगी, लेकिन वहीं इस मंदिर से जुड़ी दूसरी कथा में कहा गया है कि कृष्ण के वरदान के बाद ही विश्राम घाट पर यमराज का मंदिर बनाया गया था. इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि भाई दूज के दिन पूजा करने से भाई-बहन के रिश्ते में प्यार बना रहता है. इतना ही नहीं, अगर भाई पर कोई बला या संकट होता है, तो वह भी टल जाता है.
श्री कृष्ण ने दिया था वरदान
कहा जाता है कि कंस के वध के बाद जब श्री कृष्ण विश्राम घाट में आराम कर रहे थे, तो उस दौरान यमराज वहां प्रकट हुए थे. यमराज श्री कृष्ण के दर्शन के लिए आतुर थे, लेकिन ब्रह्मा जी ने पहले ही विधित कर दिया था कि यमराज मृत्यु के समय के दौरान ही किसी के सामने जाएंगे. इस बात से यमराज बेहद दुखी हो गए थे.
श्री कृष्ण ने दिए यमराज को दर्शन
इसके बावजूद कृष्ण ने यमराज को दर्शन दिए. साथ ही, यह वरदान दिया कि जिस श्रद्धा से वह उनके दर्शन करना चाहते थे. इस बात से प्रसन्न होकर कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि पूरी दुनिया एक मात्र ही यमराज का मंदिर होगा जहां यम की पूजा की जाएगी और इससे मृत्यु नहीं बल्कि जीवन काल बढ़ेगा.