यूपी में माता के 5 शक्तिपीठ, क्या आप जानते हैं उनके नाम?
जब माता सती के शरीर को भगवान नारायण ने सुदर्शन चक्र से काट दिया था तो उनके अंग अलग अलग स्थानों पर गिरे थे. यह सभी स्थान आज शक्तिपीठ के रूप में जाने जाते हैं. इनमें पांच स्थान उत्तर प्रदेश में हैं और यहां देवी के भव्य मंदिर बने हैं.;
भगवान शिव को जब माता सती के योगाग्नि में भस्म होने की खबर मिली तो वह कुपित हो गए. क्रोध में उन्होंने कुंड से माता के शरीर को उठा लिए और बड़े वेग से तीनों लोकों में भ्रमण करने लगे. उनके क्रोध के चलते प्रलय की स्थिति बन गई थी. उस समय सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान नारायण ने माता सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए थे. चूंकि उस समय भगवान शिव बड़े वेग से चल रहे थे, ऐसे में यह टुकड़े कट कटकर धरती पर दूर दूर तक फैल गए और जहां इन टुकड़ों ने जमीन को स्पर्श किया, उस स्थान पर देवी सती शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हो गई थीं.
मौजूदा उत्तर प्रदेश में माता के पांच अंग गिरे थे और यह जहां जहां ये पांचों अंग गिरे, आज वहां माता के भव्य और दिव्य मंदिर बने हैं. इस प्रसंग में हम आपको उन्हीं 5 शक्तिपीठों की यात्रा कराने वाले हैं. बताते चले कि देवी पुराण में 51 तो देवी भागवत में 108 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है. इसी प्रकार देवी गीता में 72 शक्तिपीठ तो तन्त्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं. इन सभी प्रसंगों पर ना चलते हुए यहां हम केवल उत्तर प्रदेश के पांच शक्तिपीठों की चर्चा करेंगे. इनमें वृंदावन का श्रीउमा शक्तिपीठ और चित्रकूट का रामगिरी शक्तिपीठ भी शामिल है.
वाराणसी में है विशालाक्षी शक्तिपीठ
पौराणिक ग्रंथों में कथा आती है कि वृंदावन के भूतेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित श्रीउमा शक्तिपीठ में माता के केशों का गुच्छ और चूड़ामणि गिरा था. वहीं रामगिरि शक्तिपीठ में माता का वक्ष गिरा था. इसी प्रकार वाराणसी में मणिकर्णिका घाट के पास स्थित विशालाक्षी शक्तिपीठ में सती की मणिकर्णिका गिरी. यहां माता विशालाक्षी और मणिकर्णी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. वाराणसी में ही पंचसागर शक्तिपीठ भी है, जहां माता के निचले दाढ़ गिरे थे. इसी प्रकार प्रयागराज में एक शक्तिपीठ अलोपशंकरी के नाम से है. यहां माता का हस्तांगुल गिरा था, लेकिन कुंंड में जाकर लापता हो गया. इस लिए इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. केवल एक पालना की पूजा होती है.
प्रयागराज में दो और शक्तिपीठ की मान्यता
यहां दो और शक्तिपीठ माने जाते हैं. इनमें एक ललितादेवी और दूसरा कल्याणीदेवी भी है. बता दें कि विभिन्न ग्रंथों में जिन अलग अलग शक्ति पीठों के वर्णन मिलते हैं, उनमें 51 शक्तिपीठ की मान्यता पर ज्यादातर विद्वान एकराय है. इन 51 शक्तिपीठ में से 42 शक्तिपीठ अकेले भारत में हैं. वहीं पाकिस्तान में 1, बांग्लादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 और नेपाल में 2 शक्तिपीठ स्थापित हैं. इन सभी शक्तिपीठों पर वैसे तो पूरे साल भक्तों का जमावड़ा लगता है, लेकिन नवरात्रों के समय यहां पैर रखने के लिए भी जगह नहीं मिलती.