Navratri 5th Day: ऐसे प्रसन्न होंगी मां स्कंदमाता, जानें पूजा विधि, प्रिय भोग और महत्व
शारदीय नवरात्रि का त्योहार पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के मां स्कंदमाता स्वरूप की आराधना की जाती है;
Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि का त्योहार पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के मां स्कंदमाता स्वरूप की आराधना की जाती है. मां स्कंदमाता को यह नाम उनके पुत्र भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण प्राप्त हुआ. देवी स्कंदमाता को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है, जो शांति और सुख का प्रतीक माना जाता है. उनकी पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, मां स्कंदमाता की आराधना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी खुलता है.
मां स्कंदमाता का स्वरूप
मांं स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत दिव्य और मनोहारी है. मां दुर्गा इस रूप में कमल के आसन पर विराजमान होती हैं, इसलिए उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. उनका वाहन सिंह होता है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है. देवी की चार भुजाएं होती हैं, जिनमें से एक भुजा में वे भगवान स्कंद को अपनी गोद में लिए हुए हैं और बाकी भुजाओं में कमल का पुष्प और वरमुद्रा होती है. उनका यह स्वरूप परम शांति और मातृत्व का प्रतीक है.
मां स्कंदमाता की पूजा विधि
मां स्कंदमाता की पूजा करने के लिए सबसे पहले उनके चित्र या मूर्ति को उस स्थान पर स्थापित करें, जहां आपने कलश स्थापना की है. फिर माता को सफेद फूल अर्पित करें और उन्हें फल एवं मिष्ठान का भोग लगाएं. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाकर माता की आरती करें. इस विधि से पूजा करने से माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
मां स्कंदमाता को भोग
मां स्कंदमाता को केले का भोग विशेष रूप से प्रिय होता है. पांचवें दिन केले का भोग अर्पित करने से माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं. ऐसा करने से मां स्कंदमाता प्रसन्न होती है और सभी मनोकामना पूरी हो सकती है. इसके साथ घर में सुख-शांति भी बनी रहती है.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.