Mahabharat: द्रौपदी की इन 5 भूलों ने छेड़ दिया था महाभारत का विनाशकारी युद्ध
महाभारत में द्रौपदी का किरदार बेहद महत्वपूर्ण रहा है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक मानी जाती हैं. महाभारत के इस महान युद्ध के पीछे कई वजहें थीं, जिनमें से कुछ द्रौपदी के साथ हुए अत्याचार और कुछ उनके द्वारा अनजाने में की गईं गलतियों से उपजीं.;
Mahabharat: महाभारत में द्रौपदी का किरदार बेहद महत्वपूर्ण रहा है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक मानी जाती हैं. महाभारत के इस महान युद्ध के पीछे कई वजहें थीं, जिनमें से कुछ द्रौपदी के साथ हुए अत्याचार और कुछ उनके द्वारा अनजाने में की गईं गलतियों से उपजीं.
द्रौपदी का अपमान और चीरहरण
महाभारत में द्रौपदी का सबसे बड़ा अपमान तब हुआ जब जुए में हार के बाद युधिष्ठिर ने उन्हें दांव पर लगा दिया. इसके बाद दुशासन ने उन्हें बाल पकड़कर सभा में घसीटा और चीरहरण की कोशिश की. पांडवों की असहायता देख भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें बचाया. यह घटना कौरवों के प्रति पांडवों की नफरत को और गहरा कर गई और अंततः युद्ध की मुख्य वजह बनी.
दुर्योधन का अपमान
इंद्रप्रस्थ में एक प्रसंग के दौरान, दुर्योधन पांडवों के महल में भ्रमित होकर पानी में गिर पड़ा. इस पर द्रौपदी ने हंसी में टिप्पणी की, 'अंधे का पुत्र अंधा' इस अपमान ने दुर्योधन के मन में बदले की भावना को बढ़ावा दिया. इसके बाद से ही दुर्योधन ने पांडवों को हराने और उन्हें अपमानित करने की ठान ली, जिससे महाभारत युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार हुई.
कर्ण का अपमान
द्रौपदी के स्वयंवर में कर्ण ने भी हिस्सा लिया था. लेकिन द्रौपदी ने उसे सूतपुत्र कहकर अस्वीकार कर दिया. यह कर्ण के आत्म-सम्मान पर गहरा प्रहार था, जिसने उसे पांडवों के विरोध में खड़ा कर दिया. कर्ण का यही अपमान कौरवों के समर्थन की ओर उनका झुकाव बढ़ाता है और अंततः महाभारत में उनकी भूमिका अहम हो जाती है.
जयद्रथ को माफ करना
वनवास के समय जयद्रथ ने द्रौपदी का अपहरण करने का प्रयास किया, लेकिन पांडवों ने उसे बचा लिया. तब जयद्रथ को मारने का निर्णय लिया गया था, लेकिन द्रौपदी ने उसे केवल अपमानित कर छोड़ देने का आग्रह किया. बाद में, महाभारत के युद्ध में जयद्रथ ने अभिमन्यु का वध कर पांडवों को गहरा आघात दिया.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.