Dussehra 2024: भारत में इस जगह रावण दहन नहीं, बल्कि होता है सम्मान, जानें इस अनोखी परंपरा का कारण

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की पवित्र तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में हर साल दशहरा बड़े उत्साह से मनाया जाता है. लेकिन, इस उत्सव की खास बात यह है कि यहां रावण का दहन नहीं किया जाता. यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और आज भी इस नियम का पालन किया जाता है.;

By :  स्टेट मिरर डेस्क
Updated On : 12 Oct 2024 8:14 PM IST

Dussehra 2024: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की पवित्र तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में हर साल दशहरा बड़े उत्साह से मनाया जाता है. लेकिन, इस उत्सव की खास बात यह है कि यहां रावण का दहन नहीं किया जाता. यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और आज भी इस नियम का पालन किया जाता है. ओंकारेश्वर में रावण का सम्मान उसकी भगवान शिव के प्रति भक्ति के कारण किया जाता है, जिसे लेकर कई धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यताएं जुड़ी हैं.

भगवान शिव का परम भक्त

ओंकारेश्वर में रावण को भगवान शिव का अनन्य भक्त माना जाता है. यहां की धार्मिक परंपरा के अनुसार, रावण का पुतला जलाने की बजाय उसे शिव भक्ति के प्रतीक के रूप में सम्मान दिया जाता है. ओंकारेश्वर से 10 किलोमीटर के दायरे में कहीं भी रावण का दहन नहीं किया जाता. शिव भक्तों का मानना है कि रावण का दहन करने से अनहोनी घटनाएं हो सकती हैं, क्योंकि भगवान शिव ने रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे कई वरदान दिए थे.

शिवकोठी में रावण दहन का विवाद

ओंकारेश्वर के पास स्थित शिवकोठी गांव में एक बार रावण दहन करने की कोशिश की गई थी, जिसके बाद गांव में भारी विवाद और अनहोनी घटित हुई. राव देवेंद्र सिंह, ओंकारेश्वर मंदिर के ट्रस्टी, बताते हैं कि इस घटना के बाद गांव में लोग आपस में बंट गए थे और धार्मिक कार्यों में भाग लेना बंद कर दिया था. गांव के बुजुर्गों ने तब समझौता कर यह फैसला लिया कि भविष्य में रावण दहन नहीं किया जाएगा. यह घटना इस क्षेत्र में रावण के प्रति गहरे सम्मान और धार्मिक आस्था को दर्शाती है.

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

ओंकारेश्वर शिव भक्ति के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां रावण को एक शिव भक्त के रूप में देखा जाता है. यहां रावण दहन न करने की परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सांस्कृतिक मान्यता का भी हिस्सा है. रावण के प्रति यह सम्मान दिखाता है कि शिव भक्ति के प्रति उसकी निष्ठा को अपमानित करना गलत माना जाता है. ओंकारेश्वर की यह अनोखी परंपरा दशहरे के उत्सव को एक अलग पहचान देती है. जहां पूरे देश में रावण दहन किया जाता है, वहीं ओंकारेश्वर में इसे भगवान शिव के प्रति अपार भक्ति और सम्मान के रूप में देखा जाता है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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