लक्ष्मी जी की बहन के कारण आती है घर में दरिद्रता, यहां करती है देवी अलक्ष्मी वास
हिंदू धर्म में लक्ष्मी जी को धन, समृद्धि, ऐश्वर्य और सुख-शांति की देवी माना जाता है, जबकि दरिद्रा (या दरिद्रता) का प्रतीक निर्धनता, अभाव और दुःख है. लक्ष्मी और दरिद्रा को अक्सर एक-दूसरे के विपरीत के रूप में देखा जाता है.;
माता लक्ष्मी की बड़ी बहन देवी अलक्ष्मी को दरिद्रता की देवी भी कहा जाता है. वह हिंदू धर्म में एक नकारात्मक शक्तिका रूप मानी जाती हैं. लक्ष्मी देवी को धन, समृद्धि और सुख की देवी माना जाता है. वहीं, देवी अलक्ष्मी को उनके विपरीत रूप के रूप में देखा जाता है, जो दरिद्रता, संकट, असफलता, और दुखों का प्रतीक हैं.
देवी अलक्ष्मी का रूप उग्र और भयंकर होता है. उन्हें एक ऐसी देवी के रूप में चित्रित किया जाता है, जो शत्रु, दीन-हीन और कष्टों का कारण बनती हैं. उनके चेहरे पर क्रोध और शोषण का भाव होता है और उनके हाथों में कभी-कभी काले रंग के चावल, खंडित बर्तन, या अन्य बुरी चीजें होती हैं, जो उनके नकरात्मक प्रभाव का संकेत देती हैं.
अलक्ष्मी से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब देवता और राक्षस दोनों अमृत प्राप्त करने के लिए मंथन कर रहे थे, तो समुद्र मंथन से कई प्रकार की चीजें प्रकट हुईं, जिनमें से एक अलक्ष्मी भी थीं. जब अलक्ष्मी ने देवी लक्ष्मी के रूप में भव्यता, समृद्धि और ऐश्वर्य का विरोध किया, तो उन्हें समुद्र में ही डुबो दिया गया.
देवी अलक्ष्मी से बचाव के उपाय
हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि यदि किसी के घर में गरीबी, दुख या संकट आ जाए, तो देवी अलक्ष्मी के प्रभाव को दूर करने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं. इन उपायों में पूजा, व्रत, और विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा की जाती है, ताकि अलक्ष्मी का प्रभाव समाप्त हो और समृद्धि की देवी लक्ष्मी का वास हो सके.
कहां करती है देवी अलक्ष्मी वास?
हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है, लेकिन इसे पेड़ को घर में लगाना शुभ नहीं माना जाता है. माना जाता है कि दिन के दौरान पीपल के पेड़ पर माता अलक्ष्मी का वास होता है. इसके अलावा, गंदगी, कलह-कलेश, दरिद्रता, आलस्य और अधर्म वाली जगहों पर अलक्ष्मी वास करती हैं.