Kaal Bhairav Ashtami 2024: क्यों काटा था काल भैरव ने ब्रह्माजी का सिर, कैसे बने काशी के कोतवाल? जानें इससे जुड़े सभी रहस्य
: आज 23 नवंबर को काल भैरव अष्टमी है. यह दिन भगवान शिव के रौद्र अवतार काल भैरव को समर्पित है. कहते हैं कि काल भैरव की पूजा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है. उन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है, क्योंकि शिव ने काशी की रक्षा का भार उन्हें सौंपा था.;
Kaal Bhairav Ashtami 2024: आज 23 नवंबर को काल भैरव अष्टमी है. यह दिन भगवान शिव के रौद्र अवतार काल भैरव को समर्पित है. कहते हैं कि काल भैरव की पूजा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है. उन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है, क्योंकि शिव ने काशी की रक्षा का भार उन्हें सौंपा था.
क्यों काटा था ब्रह्माजी का सिर
एक बार ब्रह्मा, विष्णु और शिव में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ. ऋषि-मुनियों ने शिव को सर्वश्रेष्ठ बताया, जिससे क्रोधित होकर ब्रह्माजी ने शिव का अपमान कर दिया. इस पर शिव के क्रोध से काल भैरव प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी का सिर काट दिया.
कैसे हुई ब्रह्महत्या से मुक्ति?
ब्रह्महत्या का दोष लगने के बाद काल भैरव तीनों लोकों में भटके, लेकिन उन्हें शांति नहीं मिली. शिवजी ने उन्हें काशी जाने का आदेश दिया. काशी पहुंचकर गंगा स्नान करने के बाद उनका दोष समाप्त हो गया. यहां की शांति से प्रभावित होकर काल भैरव काशी में ही बस गए और शिव के नगर रक्षक बन गए.
काशी यात्रा से पहले करें काल भैरव के दर्शन
कहते हैं, काशी में विश्वनाथ के दर्शन से पहले काल भैरव के दर्शन करना जरूरी है. तभी यात्रा सफल मानी जाती है. काल भैरव न्याय करते हैं और भक्तों को आशीर्वाद भी देते हैं.
शनि दोष और काल भैरव की पूजा
शनिवार को काल भैरव की पूजा करने से साढ़े साती, ढैया और शनि दोष से मुक्ति मिलती है. काशी में यमराज भी बिना काल भैरव की अनुमति के किसी का प्राण नहीं हर सकते.
इस अष्टमी पर श्रद्धा से काल भैरव की पूजा करें और जीवन में सुख-शांति पा सकते हैं. इसके साथ घर में पैसों की कमी से भी छुटकारा मिल सकता है.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.