Jitiya Vrat 2024: बहुत कठित है जितिया व्रत, क्या करें और क्या न करें

जितिया का व्रत संतान की आरोग्य और चिरायु के लिए होता है. यह लोकपरंपरा का पर्व है, इसलिए इसका वर्णन पौराणिक ग्रंथों में नहीं मिलता. हालांकि उत्तर पौराणिक ग्रंथों में कई जगह इस व्रत की महिमा का उल्लेख मिलता है.;

By :  स्टेट मिरर डेस्क
Updated On : 20 Sept 2024 4:14 PM IST

संतान के लंबी उम्र और उसके स्वास्थ्य के लिए उत्तर भारत की महिलाएं जितिया यानी जीउतपुत्रिका का व्रत करती है. यह बहुत ही कठित व्रत माना जाता है. हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाने वाला यह व्रत निर्जला होता है. पौराणिक ग्रंथों में तो इस व्रत का जिक्र नहीं मिलता, लेकिन उत्तर पौराणिक ग्रंथों में कई कथाएं और मान्यताएं इस व्रत को लेकर उपलब्ध हैं. मान्यता है कि कोई मां जब विधि विधान से इस व्रत करती हैं तो उनके संतान का हर प्रकार से कल्याण होता है. वह ना केवल चिरायु होता है, बल्कि निरोगी और अकाल मृत्यु जैसे भयों से भी दूर रहता है.

ऐसे में यह जरूरी है कि यह भी जान लिया जाए कि यह व्रत कब और कैसे करते हैं. इसके साथ ही यह जान लेना भी जरूरी है कि इस व्रत को करने वाले जातक को किन नियमों और वर्जनाओं का पालन करना होता है. इस प्रसंग में हम इस व्रत के संबंधि में वह हर चीज बताएंगे, जो आपके लिए जान लेना जरूरी है. ठाकुर प्रसाद के पंचांग के मुताबिक इस बार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर 2024 की दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 25 सितंबर की दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक है.

36 घंटे का कठोर व्रत

चूंकि जितिया व्रत उदया तिथि के हिसाब से रखी जाएगी. ऐसे में इस साल जितिया व्रत 25 सितंबर को रखा जाएगा. इस पंचांग के मुताबिक 24 सितंबर 2024 को इस व्रत के लिए नहाय-खाय होगा और अगले दिन व्रत रखा जाएगा. पंडित राजीव शास्त्री के मुताबिक जितिया व्रत के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. इस व्रत के परायण के लिए 26 सितंबर की सुबह 04 बजकर 35 मिनट से लेकर 05 बजकर 23 मिनट तक का मुहुर्त शुभ है. व्रत के परायण यानी पारण के लिए रागी की रोटी, तोरई खासतौर पर सतपुतिया, नोनी का साग और चावल खाने का विधान है. इस व्रत की शुरुआत घर में पहले सास करती हैं; उनके बाद ही घर की बहू को यह व्रत मिलता है. एक बार जितिया व्रत शुरू करने के बाद इसे बंद करने की छूट नहीं है, बल्कि साल दर साल इसे निरंतर करना ही होता है. हालांकि घर में बहू आने और उसे बेटा होने के बाद यह व्रत उसे सौंप दिया जाता है.

कैसे करें जितिया का व्रत

इस व्रत को शुरू करने के एक दिन पहले नहाय खाय होता है. इसमें व्रती को केवल एक टाइम भोजन करने का विधान है. इसी भोजन के उपारांत निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. इसमें ना तो जल और ना ही भोजन का सेवन किया जाता है. करीब 36 घंटे तक निराहार और निर्जल रहते हुए इस व्रत का अनुष्ठान किया जाता है और फिर अगले दिन सुबह पारण किया जाता है. व्रत के दौरान गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की कुश से बनी हुई मूर्ति की पूजा और कथा सुनने की परंपरा है. जितिया व्रत में चील और सियार की मूर्ति गाय के गोबर से बनाकर पूजा करने का विधान है.

इस व्रत की खास बातें

  • व्रती तामसिक चीजों से परहेज करें
  • पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें
  • भूलकर भी घर में लड़ाई झगड़ा ना करें
  • व्रत के दिन बिस्तर पर ना सोएं
  • भूमि पर ही विश्राम करें और नींद आए तो भूमि पर ही सोएं
  • व्रत के दौरान ज्यादा बोलने या धूप में निकलने से बचें, ऐसा करने पर भूख और प्यास लग सकती है

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