Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी के दिन इस समय पूजा करने से मिलेगा लाग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और खास उपाय

Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी व्रत के साथ सही पूजा विधि और शुभ मुहूर्त का पालन करके हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख-शांति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति कर सकता है.;

Indira Ekadashi

Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में पितरों की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है. यह एकादशी पितृ पक्ष में आती है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है. इस व्रत को करने से न केवल पितरों को मुक्ति मिलती है, बल्कि व्रती स्वयं भी जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पा सकता है. इस साल इंदिरा एकादशी 9 और 10 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी.

इंदिरा एकादशी व्रत न केवल पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्यक्ति को भी आध्यात्मिक और धार्मिक लाभ प्रदान करता है.

Indira Ekadashi २०२४ का शुभ मुहूर्त

इंदिरा एकादशी का व्रत 9 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12:36 बजे शुरू होगा और 10 अक्टूबर को दोपहर 3:08 बजे समाप्त होगा. व्रत का पारण 11 अक्टूबर को सुबह 6:19 से 8:39 बजे के बीच किया जाएगा. उदयातिथि के अनुसार, व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा, जो कि सबसे शुभ माना गया है​(

इंदिरा एकादशी की पूजन विधि

इंदिरा एकादशी की पूजा विधि अन्य एकादशियों की तरह ही होती है, पर इसमें विशेष तर्पण और श्राद्ध की विधि जोड़ी जाती है. दशमी के दिन नदी या पवित्र जल में स्नान कर तर्पण करें. इसके बाद ब्राह्मण भोज कराकर स्वयं भोजन ग्रहण करें. याद रहे कि सूर्यास्त के बाद भोजन न करें.

एकादशी के दिन प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की पूजा करें. श्राद्ध की विधि पूरी करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद गाय, कुत्ता और कौवे को भी भोजन दें, जो इस व्रत की विशेष परंपरा है. द्वादशी के दिन व्रत का पारण कर ब्राह्मणों को दान दें और परिवार के साथ भोजन करें​।

इंदिरा एकादशी व्रत के लाभ और विशेष उपाय

इंदिरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सदियों की तपस्या, कन्यादान, और अन्य पुण्यों के बराबर फल मिलता है. इसके साथ ही, पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. माना जाता है कि इस व्रत को करने वाले को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. जो लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति चाहते हैं, वे इस दिन उपवास रखते हैं और विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करते हैं.

विशेष उपायों में इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करने से विशेष फल मिलता है. इसके अलावा, व्रत करने वाले व्यक्ति को ध्यान, पूजा और भजन-कीर्तन में समय बिताना चाहिए, जिससे उसे मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ मिलता है​.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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