क्या आप जानते हैं हनुमान जी की परिक्रमा कितनी बार करनी चाहिए? जानें इसका राज!
सनातन धर्म में परिक्रमा का विशेष महत्व है, खासकर हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा. इसे पवित्रता का प्रतीक माना जाता है और यह भक्तों को पापों से मुक्ति दिलाने में मदद करती है. हनुमान जी को संकटमोचन और बल व साहस का देवता माना जाता है और उनकी परिक्रमा करने से जीवन में अपार खुशियां और समृद्धि आती है.;
Lord Hanuman: सनातन धर्म में परिक्रमा का विशेष महत्व है, खासकर हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा. इसे पवित्रता का प्रतीक माना जाता है और यह भक्तों को पापों से मुक्ति दिलाने में मदद करती है. हनुमान जी को संकटमोचन और बल व साहस का देवता माना जाता है और उनकी परिक्रमा करने से जीवन में अपार खुशियां और समृद्धि आती है.
हनुमान जी की परिक्रमा कितनी बार करें?
हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा विशेष रूप से तीन बार की जाती है. इस प्रक्रिया से न केवल पूजा का फल जल्दी मिलता है, बल्कि मनोकामनाएं भी जल्दी पूरी होती हैं. खासकर मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा और परिक्रमा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है. परिक्रमा करते समय 'संकटमोचन हनुमान मंत्र' का जाप करने से और भी अधिक लाभ होता है.
क्या करें परिक्रमा के बाद?
हनुमान जी की परिक्रमा करने के बाद सबसे पहले प्रभु श्रीराम की स्तुति करें और फिर सुंदरकांड का पाठ करें. पाठ करते समय घी का दीपक जलाना न भूलें. इसके बाद हनुमान जी के चरणों में 7 पीपल के पत्ते अर्पित करें और उनके मंत्रों का जाप करें. इस उपाय से सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है.
हनुमान जी की परिक्रमा में विशेष उपाय
जब आप हनुमान जी की प्रतिमा की परिक्रमा करें, तो अपनी मनोकामनाओं को संकल्प लेकर मन में बोलें. परिक्रमा के बाद हनुमान जी को नारंगी सिंदूर चढ़ाएं और लंगोट अर्पित करें. यह विशेष उपाय आपको उत्तम फलों की प्राप्ति में मदद करेगा.
हनुमान जी की परिक्रमा जीवन में सुख, शक्ति और समृद्धि का संचार करती है. सही विधि और मंत्रों के साथ यह उपाय न केवल मनोकामनाओं को पूरा करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.