कब होगा धरती का विनाश और खत्म हो जाएगा इंसानों का वजूद? जानें क्या कहती है भविष्यमल्लिका

When will the earth be destroyed: धरती का विनाश और मानवता का अंत कब होगा, इसका सटीक उत्तर अभी भी किसी के पास नहीं है. विज्ञान और धर्म के अलग-अलग दृष्टिकोण इस प्रश्न पर विभिन्न जवाब देते हैं. लेकिन यह निश्चित है कि अगर हम अपनी जीवनशैली में बदलाव नहीं करते और प्रकृति का संतुलन नहीं बनाए रखते, तो धरती का अंत मानव के अपने कर्मों से ही हो सकता है.;

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By :  स्टेट मिरर डेस्क
Updated On : 27 Sept 2024 12:23 PM IST

When will the earth be destroyed: धरती का विनाश और मानवता का अंत सदियों से एक चर्चा का विषय रहा है. विज्ञान, धर्म, और भविष्यवाणी से जुड़े लोग इस पर विभिन्न विचार रखते हैं. इंसान हमेशा से यह जानने की कोशिश करता आया है कि उसकी दुनिया का अंत कब और कैसे होगा. कुछ लोग इस सवाल का जवाब विज्ञान से खोजने की कोशिश करते हैं, जबकि कई धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथों में इस विषय को लेकर भविष्यवाणियां भी की गई हैं.

भविष्यमल्लिका, विज्ञान, और धर्म के दृष्टिकोण से हमें सीख लेनी चाहिए और धरती को सुरक्षित रखने के प्रयास करने चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस खूबसूरत ग्रह का आनंद ले सकें. 

भविष्यमल्लिका में विनाश की भविष्यवाणी

भविष्यमल्लिका प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में से एक मानी जाती है, जिसमें पृथ्वी और मानवता के भविष्य को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें लिखी गई हैं. इस ग्रंथ में धरती के विनाश के समय और कारणों का उल्लेख किया गया है. कुछ भविष्यवाणियों के अनुसार, जब धरती पर अधर्म, पाप, और अन्याय बढ़ जाएगा, तब दुनिया का अंत निकट होगा.

भविष्यमल्लिका के अनुसार, चार युगों का चक्र चलता है - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग. वर्तमान समय को कलियुग कहा जाता है, जिसे अंधकार और पापों का युग माना जाता है. इस ग्रंथ में कहा गया है कि कलियुग के अंत में विनाशकारी घटनाएं होंगी जो धरती और मानव जाति का अंत करेंगी.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

अगर विज्ञान की बात करें, तो धरती का अंत अचानक नहीं होगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती पर जीवन का अंत कई प्रकार की प्राकृतिक या मानव-निर्मित आपदाओं से हो सकता है. जलवायु परिवर्तन, परमाणु युद्ध, या कोई बड़ा प्राकृतिक प्रकोप जैसी घटनाएं पृथ्वी पर जीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं. साथ ही, धरती पर बढ़ते प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन से भी भविष्य में विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं. 

इसके अलावा, ब्रह्मांडीय घटनाओं का भी जीवन पर असर पड़ सकता है. उदाहरण के तौर पर, वैज्ञानिकों का मानना है कि एक बड़ा उल्का पिंड अगर पृथ्वी से टकराए तो यह जीवन को पूरी तरह समाप्त कर सकता है. इसी तरह, सूर्य के अंत में एक विशाल सुपरनोवा विस्फोट भी पृथ्वी के विनाश का कारण बन सकता है. हालांकि, ऐसी घटनाओं में लाखों या करोड़ों वर्ष लग सकते हैं. 

धार्मिक दृष्टिकोण

अलग-अलग धर्मों में भी धरती के विनाश की भविष्यवाणियां की गई हैं. हिंदू धर्म में, जैसा कि भविष्यमल्लिका में बताया गया है, कलियुग के अंत में विनाश होगा और फिर एक नया चक्र शुरू होगा. वहीं, ईसाई धर्म के अनुसार, दुनिया का अंत "अर्मगेडन" नामक अंतिम युद्ध से होगा, जिसमें भगवान की जीत होगी और पापियों का नाश होगा. इस्लाम धर्म में भी कयामत के दिन का वर्णन है, जब सब कुछ खत्म हो जाएगा और न्याय का दिन होगा.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते. 

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