बीच में इंटरव्यू छोड़ क्यों भागे अमेरिकी बिजनेसमैन? निखिल कामथ के शो में सरकार को दी ये सलाह
Nikhil Kamath Podcast: हाल ही में अमेरिका के अरबपति ब्रायन जॉनसन निखिल कामथ के पॉडकास्ट इंटरव्यू में शामिल हुए. शो के दौरान उन्हें कमरे के एक्यूआई से परेशानी होने लगी और उन्होंने बीच में ही इंटरव्यू छोड़ दिया फिर बाहर निकल गए. उन्होंने बताया कि कमरे में बाहरी हवा आ रही थी, जिससे उनका एयर प्यूरीफायर अप्रभावी हो गया.;
Bryan Johnson: अमेरिका के अरबपति हाल ही में ब्रायन जॉनसन भारत दौरे पर आए हुए थे. इनकी इस यात्रा को लेकर काफी चर्चा हुई. अपनी इस यात्रा के दौरान जॉनसन ने जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के पॉडकास्ट इंटरव्यू में शामिल हुई, लेकिन उन्होंने इंटरव्यू को बीच में ही छोड़ दिया और इसका कारण एयर पॉल्यूशन को बताया.
जानकारी के अनुसार, ब्रायन जॉनसन ने इस बारे में एक्स पोस्ट में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट रिकॉर्डिंग के बीच में ही खराब AQI की वजह से इसे छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि प्रदूषण के कारण उनकी "त्वचा पर दाने निकल आए" और उनकी "आंखें और गला जलने लगा."
प्रदूषण से परेशान हुए जॉनसन
जॉनसन (47) कामथ के पॉडकास्ट "डब्ल्यूटीएफ " के लिए एक एपिसोड रिकॉर्ड किया. उन्होंने एयर प्यूरीफायर वाले फाइव स्टार होटल में एन95 मास्क पहना हुआ था, लेकिन वे बीच में ही चले गए, क्योंकि कमरे का AQI खराब स्थिति में था. कमरे की वायु गुणवत्ता 120 के आसपास थी. इंटरव्यू के दौरान एक समय पर जॉनसन ने भारत की वायु गुणवत्ता के बारे में पूछे जाने पर कहा, "मैं आपको वहां नहीं देख सकता."
जॉनसन ने पोस्ट में कहा, "जब मैं भारत में था, तो मैंने खराब AQI के कारण इस पॉडकास्ट को जल्दी समाप्त कर दिया था." उन्होंने बताया कि कमरे में बाहरी हवा आ रही थी, जिससे उनका एयर प्यूरीफायर अप्रभावी हो गया.
खराब स्तर पर कमरे का AQI
जॉनसन ने कहा, जब वे वहां से निकले, तो इनडोर AQI 130 तक पहुंच गया था, और PM2.5 का स्तर 75 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था - जो 24 घंटे में 3.4 सिगरेट पीने के बराबर है. उन्होंने कहा कि भारत में सिर्फ 3 दिन रहने के बाद, प्रदूषण के कारण दाने निकलने लगे, साथ ही आंखों और गले में जलन भी होने लगी.
भारत की स्थिति पर उठाए सवाल
जॉनसन ने भारत में वायु प्रदूषण के सामान्य हो जाने की आलोचना की. उन्होंने लिखा, "लोग बाहर दौड़ते रहते थे. बच्चे और छोटे बच्चे जन्म से ही प्रदूषण के संपर्क में रहते थे. कोई भी मास्क नहीं पहनता था, जो प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकता है. यह बहुत भ्रामक था." उन्होंने सवाल उठाया कि भारत ने वायु प्रदूषण को "राष्ट्रीय आपातकाल" क्यों नहीं घोषित किया उन्होंने कहा, "रिपोर्ट बताती है कि भारत सभी कैंसरों का इलाज करने की तुलना में वायु गुणवत्ता को साफ करके अपनी आबादी के स्वास्थ्य में अधिक सुधार करेगा."