पीएम मोदी के सामने उमर अब्दुल्ला ने क्यों की उनकी तारीफ? पहले भी पढ़ते रहे हैं कसीदे
पीएम मोदी ने सोमवार को सोनमर्ग क्षेत्र में जेड मोड़ टनल का उद्घाटन किया. इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी उपस्थित थे. पहले भी वह कई मौकों पर पीएम मोदी के प्रयासों और नीतियों की सराहना कर चुके हैं.;
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राजनीति में अपनी बेबाकी और स्पष्ट विचारों के लिए पहचान बनाई है. हाल ही में उमर अब्दुल्ला की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब उमर ने पीएम मोदी की प्रशंसा की हो. पहले भी वह कई मौकों पर पीएम मोदी के प्रयासों और नीतियों की सराहना कर चुके हैं.
पीएम मोदी ने सोमवार को सोनमर्ग क्षेत्र में जेड मोड़ टनल का उद्घाटन किया. इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी उपस्थित थे. उमर अब्दुल्ला ने जब पीएम मोदी की सराहना की तो कुछ हद तक अप्रत्याशित माना गया, क्योंकि उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है. उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में इंडिया ब्लॉक को भंग करने का आह्वान किया था, जिससे लगता है कि वह धीरे धीरे एनडीए का हिस्सा बनने की कोशिश में लगे हैं.
कांग्रेस के लिए है खतरे की घंटी
इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी जनता को संबोधित किया. उनका भाषण न केवल कश्मीर की जनता का ध्यान आकर्षित किया, बल्कि यह दिल्ली तक भी पहुंचा. उनके शब्द कांग्रेस के लिए निराशाजनक थे. अपने संबोधन में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की जमकर सराहना की, विशेष रूप से इस सुरंग और सीमा सुरक्षा से संबंधित उनके कार्यों की भी उन्होंने प्रशंसा की. उनके हालिया बयान को एक साथ देखा जाए, तो यह इंडिया गठबंधन और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने गैर-बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से गठबंधन तोड़ दिया है.
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केंद्र से टकराकर कोई फायदा नहीं
उमर अब्दुल्ला का यह बयान पहली बार नहीं है जब उन्होंने केंद्र सरकार और पीएम मोदी के प्रति नरम रुख अपनाया हो. इसका मतलब यह है कि वह टकराव की बजाय सहयोग की दिशा में बढ़ने का संकेत दे रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव जीतने के बाद जो बयान दिया था, उसमें भी गहरे अर्थ थे. उस समय उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि परिसीमन हो चुका है, चुनाव भी हो चुके हैं, अब केवल राज्य का दर्जा बहाल करना बाकी है, जिसे जल्द ही बहाल किया जाना चाहिए. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र के बीच समन्वय कितना महत्वपूर्ण है, तो उन्होंने कहा था कि नई दिल्ली से टकराव से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता.
उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा?
उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण की सराहना की और वहां हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का उल्लेख किया. अब्दुल्ला ने कहा, “आपने जम्मू-कश्मीर के लोगों से यह वादा किया था कि जल्दी ही चुनाव होंगे और लोग अपने वोट से अपनी सरकार का चुनाव कर सकेंगे. आपने अपना वादा निभाया और सिर्फ चार महीने के भीतर चुनाव कराए. अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए और सबसे बड़ी बात यह रही कि कहीं भी किसी भी तरह की अनियमितता या सत्ता के दुरुपयोग की कोई शिकायत नहीं आई. इसका श्रेय आपको (पीएम मोदी), आपके सहयोगियों और भारत के चुनाव आयोग को जाता है. मेरा दिल कहता है कि आप (पीएम मोदी) जल्द ही राज्य का दर्जा बहाल करने का अपना वादा पूरा करेंगे. मैं आपको इस ठंड में यहां आने के लिए दिल से धन्यवाद देता हूं.
फारुख अब्दुल्ला का क्या है कहना?
सीएम उमर अब्दुल्ला के पिता डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला ने 9 जनवरी को कहा था कि सीएम उमर किसी के दबाव में काम नहीं करते हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि हर किसी की अपनी सोच और बोलने का तरीका हो सकता है, लेकिन उमर अब्दुल्ला को लोगों ने चुना है और वह केवल जनता के इशारों पर ही चलते हैं. फारूक अब्दुल्ला ने यह स्पष्ट किया था कि हमें दिल्ली से संघर्ष नहीं करना चाहिए.
वाजपेयी जी के समय भी थी घनिष्ठता
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के दौरान भी बीजेपी और नेशनल कांफ्रेंस (NC) के बीच राजनीतिक गठबंधन था. वाजपेयी के शासनकाल में जम्मू और कश्मीर राज्य की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव आए थे. वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए कई पहल की थीं, जिनमें एनसी का समर्थन भी था. बीजेपी और एनसी के बीच रिश्तों को लेकर कई बार आरोप-प्रत्यारोप लगे थे. यह गठबंधन समय-समय पर बदलते राजनीतिक हालात के अनुसार बदलता रहा.