इन्वेस्टर्स को झटका! Sovereign Gold Scheme को सरकार क्यों कर सकती है बंद?

Sovereign Gold Scheme: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम कम रिस्क और स्टोरेज कॉस्ट के कारण फिजिकल तौर पर सोना रखने के लिए बेहतर ऑप्शन देता है. हालांकि, केंद्र सरकार हाई कॉस्ट फाइनेंसिंग के कारण सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को बंद करने की योजना बना रही है.;

Sovereign Gold Scheme
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 17 Dec 2024 7:00 PM IST

Sovereign Gold Scheme: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्किम को भारत सरकार बंद करने की योजना बना रही है. हाई कॉस्ट फाइनेंसिंग के कारण सरकार इसे बंद करने पर विचार कर रही. इसकी शुरूआत सोने के बढ़ते आयात पर अंकुश लगाने के लिए 2015 में की गई थी.

ये बॉन्ड कम रिस्क और स्टोरेज की लागत के कारण फिजिकल रूप में सोना रखने का एक बेहतर विकल्प देता है. इनवेस्टर्स को इसके मैच्यूरिटी के समय सोने के मार्केट वैल्यू और पीरियोडिक इंटरेस्ट की गारंटी दी जाती है, जबकि बॉन्ड की अवधि आठ साल की है, इसे पांच साल बाद निकाला जा सकता है.

सरकार क्यों बंद करना चाहती है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्किम?

सरकार का मानना है कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के माध्यम से राजकोषीय घाटे को वित्तपोषित करने की लागत काफी अधिक है और यह योजना से इनवेस्टर्स को मिलने वाले लाभों के अनुरूप नहीं है. इस स्कीम का उद्देश्य पूरा कर लिया गया है. इसके कारण सरकार पर वित्तीय दबाव बढ़ रहा है. SGB पर हर छह महीने में 2.5% सालाना ब्याज को देना पड़ता है, जो सरकारी वित्तीय संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव डाल रहा है.

क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम?

चूंकि लोग सोने को फिजिकल तौर पर रखने के आदी थे, इसलिए सरकार ने 2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की शुरूआत की थी. इसका उद्देश्य खुदरा इनवेस्टर्स को फिजिकल गोल्ड से पेपर गोल्ड की ओर आकर्षित करना था. इसका मैचुरिटी पीरियड 8 साल का होता है, जिसमें 5 साल के बाद आंशिक तौर पर मुआवजा मिलने का नियम है.

इसकी शुरूआत में इंटरेस्ट रेट 2.75 प्रतिशत था, जिसे घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया. इसका उद्देश्य एक तरह से तस्करी को रोकना भी था. इसके लिए गोल्ड इंपोर्ट ड्यूटी को 15 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया. हालांकि, अब सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना ने अपने प्रारंभिक उद्देश्य को पूरा कर लिया है.

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