कौन हैं जस्‍ट‍िस पारदीवाला, जिन्‍होंने नागरिकता कानून से जुड़े SC के इस फैसले से जताई असह‍मति

जस्टिस जेबी पारदीवाला भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं। 9 मई 2022 को इन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था। इनके पिता बुर्जोर कावासजी पारदीवाला भी वकील रहे और दिसंबर 1989 से मार्च 1990 तक 7वीं गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे।;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 18 Oct 2024 8:00 AM IST

SC ने नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिकता को बरकरार रखा है। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 4-1 से इसके पक्ष में फैसला सुनाया है। यह असम समझौते को मान्यता देता है और 1971 से पहले असम आए बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देता है।

इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल थे। इस पीठ में शामिल जस्टिस जेबी पारदीवाला ने इस फैसले पर असहमति जताई है। आइये जानते हैं कि जस्टिस जेबी पारदीवाला कौन हैं?

वकील से जज बने पारदीवाला

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस जेबी पारदीवाला का पूरा नाम जमशेद बुर्जोर पारदीवाला है। इनका जन्म 12 अगस्त 1965 को मुंबई में हुआ था। इन्होंने 1985 में जेपी आर्ट्स कॉलेज वलसाड से ग्रेजुएशन किया और 1988 में केएम लॉ कॉलेज वलसाड से एलएलबी किया। इन्होंने जनवरी 1989 में वलसाड से वकालत शुरू की। सितंबर 1990 में ये गुजरात हाईकोर्ट अहमदाबाद में ट्रांसफर हो गए। ये 1994 से 2000 तक बार काउंसिल ऑफ गुजरात के सदस्य रहे। 17 फरवरी 2011 को इन्हें गुजरात हाईकोर्ट में एडिशनल जज के रूप में पदोन्नत किया गया और 28 जनवरी 2013 को स्थायी जज बन गए। 9 मई 2022 को इन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था।

वकीलों के परिवार से रखते हैं ताल्लुक

ये दक्षिण गुजरात के वलसाड में वकीलों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इनके परदादा नवरोजी भीखाजी पारदीवाला ने 1894 में वलसाड में वकालत शुरू की। इनके दादाजी कावासजी नवरोजी पारदीवाला ने वलसाड में 1958 तक वकालत की। इनके पिता बुर्जोर कावासजी पारदीवाला भी वकील रहे और दिसंबर 1989 से मार्च 1990 तक 7वीं गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे।

बन सकते हैं CJI

रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस पारदीवाला अब तक 400 से ज्यादा आपराधिक मुकदमों, 250 से ज्यादा सर्विस मैटर्स, 200 से ज्यादा सिविल और डायरेक्ट टैक्स, 150 से ज्यादा जीएसटी से जुड़े मामलों की सुनवाई कर चुके हैं। बता दें, जस्टिस जेबी पारदीवाला भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं। अगर वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन किया गया तो जस्टिस पारदीवाला 3 मई 2028 को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बन सकते हैं। उनका कार्यकाल 2 साल और 3 महीने का होगा। वह 11 अगस्त 2030 तक इस पद पर रह सकते हैं।

फैसले में जस्टिस पारदीवाला ने क्या कहा?

नागरिकता कानून की धारा 6ए को लेकर अपनी असहमति जताते हुए जस्टिस पारदीवाला ने कहा, "अधिनियम की धारा 6ए भले ही इसे लागू करते समय वैध रही थी, लेकिन अभी अस्थायी रूप से खामियां आ गई हैं। उन्होंने कहा कि इस धारा को चुनावों से पहले असम के लोगों को खुश करने के लिए लाया हो सकता है। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि 'यह अतार्किक रूप से हैरान करने वाला है कि 6A के तहत नागरिकता का लाभ उठाने के इच्छुक व्यक्ति को पकड़े जाने का इंतजार करना पड़ता है। फिर उसे साबित करने के लिए न्यायाधिकरण में जाना पड़ता है। मेरा मानना है कि यह इस तरह के कानून के उद्देश्य के खिलाफ है।

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