“इंसानों पर क्रूरता का क्या?” SC ने आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों पर जताई नाराजगी, कहा - भारत की छवि हो रही खराब : 10 बातें

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यह समस्या अब भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा रही है. जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने सवाल उठाया, “इंसानों पर हो रही क्रूरता का क्या?” कोर्ट ने राज्यों की लापरवाही पर फटकार लगाई और कहा कि पशु कल्याण के साथ मानव सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है.;

( Image Source:  sci.gov.in )
Edited By :  प्रवीण सिंह
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि यह समस्या अब भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा रही है. जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा - “इंसानों पर हो रही क्रूरता का क्या?” कोर्ट ने कहा कि कई राज्य अब तक उसके आदेशों का पालन नहीं कर पाए हैं और यह लापरवाही अस्वीकार्य है.

मामला जुलाई से चल रहा है जब मीडिया में कुत्तों के हमलों और रेबीज़ से मौतों की खबरें सामने आई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने पहले एनसीआर क्षेत्र से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखने का आदेश दिया था, जिसे बाद में तीन जजों की विशेष पीठ ने संशोधित किया और पूरे देश में एक समान नीति बनाने का निर्देश दिया. कोर्ट अब चाहता है कि हर राज्य इस मुद्दे पर गंभीरता से जवाब दे, क्योंकि यह सिर्फ पशु-कल्याण नहीं बल्कि मानव-सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य का भी मामला है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की 10 बड़ी बातें

  1. भारत की छवि पर असर: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं से देश की अंतरराष्ट्रीय छवि खराब हो रही है. विदेशों में भारत को लेकर नकारात्मक तस्वीर उभर रही है.
  2. इंसानों पर क्रूरता का सवाल: जस्टिस विक्रम नाथ ने सख्त लहजे में कहा, “जब इंसानों पर हमले बढ़ रहे हैं तो पशु अधिकारों के साथ-साथ मानव सुरक्षा पर भी विचार जरूरी है. इंसानों पर हो रही क्रूरता का क्या?”
  3. अधिकारियों की लापरवाही पर फटकार: कोर्ट ने नाराजगी जताई कि कई राज्यों के अफसर उसके आदेशों से अनजान हैं. जजों ने पूछा, “क्या आपके अधिकारी अखबार नहीं पढ़ते? क्या वे कोर्ट के आदेशों से बेखबर हैं?”
  4. राज्यों की गैर-अनुपालन पर नाराजगी: कोर्ट ने कहा कि ज्यादातर राज्यों ने अब तक उसके निर्देशों का पालन नहीं किया है. यह मामला सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि जनहित और न्यायपालिका की अवमानना का प्रतीक है.
  5. मामले की शुरुआत जुलाई से: यह केस जुलाई में तब शुरू हुआ जब दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों के हमलों और रेबीज़ से मौतों की घटनाएं लगातार सुर्खियों में आने लगीं और राष्ट्रीय चिंता का विषय बन गईं.
  6. पहला आदेश था बेहद सख्त: 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले बड़े आदेश में एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से शेल्टर में रखने का निर्देश दिया था, जिससे विवाद खड़ा हुआ.
  7. एनिमल वेलफेयर समूहों की आपत्ति: पशु अधिकार संगठनों ने कोर्ट के शुरुआती आदेश को अमानवीय, अव्यावहारिक और संवैधानिक अधिकारों के विरुद्ध बताया. उन्होंने कहा कि यह कदम पशु कल्याण कानूनों का उल्लंघन है.
  8. तीन जजों की विशेष बेंच बनी: 22 अगस्त को कोर्ट ने नई तीन-सदस्यीय बेंच गठित की जिसने पहले के आदेश को संशोधित किया और कहा कि समाधान मानवीय और व्यवहारिक दोनों होना चाहिए.
  9. सभी राज्यों को शामिल किया गया: सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुनवाई में शामिल करने का आदेश दिया ताकि एक समान नीति बनाई जा सके.
  10. एकीकृत नीति बनाने का उद्देश्य: कोर्ट का स्पष्ट लक्ष्य है कि पूरे देश में Animal Birth Control (ABC) Rules, 2023 के तहत एक統 और व्यावहारिक नीति बने, जिससे इंसान और पशु दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

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