9 साल बाद बोले विजय माल्या - ₹9,000 करोड़ नहीं, सरकार ने मुझसे ₹14,100 करोड़ वसूल लिए, फिर चोर कैसे
Vijay Mallya Raj Shamani Podcast : 9 साल की चुप्पी तोड़ते हुए विजय माल्या ने पॉडकास्ट में Kingfisher Airlines की नाकामी, लोन विवाद और मीडिया ट्रायल पर खुलकर जवाब दिए. बोले – अब मैं बोल रहा हूं, क्योंकि अब मेरे पास तथ्य हैं;
आर्थिक अपराधों में भारत से फरार चल रहे उद्योगपति विजय माल्या ने 9 साल की चुप्पी तोड़ते हुए एक निजी पॉडकास्ट इंटरव्यू में कई चौंकाने वाले दावे किए हैं. उनका कहना है कि उनके ऊपर जो ₹9,000 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था, उससे कहीं अधिक – ₹14,100 करोड़ अब तक सरकार द्वारा वसूले जा चुके हैं.
इस इंटरव्यू के ज़रिए माल्या ने पहली बार खुलकर बताया कि Kingfisher Airlines की नाकामी, बैंक लोन विवाद, और भारत छोड़ने के फैसले के पीछे क्या परिस्थितियाँ थीं.
यह बातचीत एक पॉडकास्ट एपिसोड में सामने आई है, जिसे राज शमानी द्वारा संचालित “Figuring Out” शो पर रिकॉर्ड किया गया.
अब मैं बोल रहा हूं, क्योंकि अब मेरे पास तथ्य हैं
विजय माल्या ने 9 वर्षों की चुप्पी तोड़ने के पीछे की वजह साफ शब्दों में बताई. उनका कहना था कि 2016 के बाद से वो लगातार एक “मीडिया ट्रायल” के शिकार रहे, जहाँ हर न्यूज़ चैनल और अख़बार ने बिना किसी न्यायिक फैसले के उन्हें चोर, भगोड़ा और देशद्रोही घोषित कर दिया. उन्होंने कहा कि इतने सालों तक उन्होंने इसलिए चुप रहना चुना क्योंकि उनके पास अपनी बात साबित करने के लिए कोई आधिकारिक दस्तावेज़ या आंकड़ा नहीं था.
लेकिन अब, माल्या के अनुसार, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है कि उनसे ₹14,100 करोड़ की वसूली हो चुकी है, जो उनके ऊपर लगे ₹9,000 करोड़ के कथित डिफॉल्ट से भी कहीं अधिक है. उन्होंने कहा: "अब मैं बोल रहा हूं, क्योंकि अब मेरे पास तथ्य हैं. जब सरकार खुद कह रही है कि मेरी संपत्तियाँ बेचकर ₹14,100 करोड़ वसूले गए हैं, तो अब वो लोग क्या कहेंगे जो मुझे बिना सुनें गुनहगार मान बैठे थे?"
माल्या का यह बयान एक तरह से उन सभी मीडिया संस्थानों और सार्वजनिक धारणाओं को चुनौती था जिन्होंने उन्हें बिना कोर्ट के फैसले के 'दोषी' करार दे दिया था.
माल्या ने अपने इंटरव्यू की शुरुआत में कहा - 9 साल तक मैंने चुप रहना चुना, क्योंकि भारतीय मीडिया ने मुझे विलेन बना दिया था. मगर अब जब भारत सरकार खुद कह रही है कि ₹14,100 करोड़ वसूले जा चुके हैं, तो मेरा पक्ष भी लोगों को सुनना चाहिए.
उन्होंने दावा किया कि जिन ₹9,000 करोड़ के लोन डिफॉल्ट की बात की जा रही है, वो राशि किंगफिशर एयरलाइंस ने ली थी, और उसमें वे केवल गारंटर थे. “मैंने पर्सनल गारंटी दी थी, और बैंकों ने मेरी संपत्तियां जब्त कर लीं,” माल्या बोले.
मैंने पैसा कमाया, विरासत में नहीं मिला
माल्या ने अपने शुरुआती जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि उनके पिता विट्ठल माल्या, यूनाइटेड ब्रुअरीज (UB) के चेयरमैन थे और उन्होंने बेहद सख्त परवरिश दी. स्कूल के बाद कॉलेज और फिर हर दिन ऑफिस में बतौर ट्रेनी काम करना पड़ता था. ₹400 महीने की स्टाइपेंड मिलती थी. 28 साल की उम्र में UB ग्रुप के चेयरमैन बने विजय माल्या ने Kingfisher बीयर को फिर से लॉन्च किया और उसे एक ग्लैमरस ब्रांड बना दिया.
उनकी मार्केटिंग रणनीति थी: ब्रांड को पर्सनालिटी दो, और खुद ब्रांड एंबेसडर बनो.. अपने बिज़नेस करियर की शुरुआत और upbringing पर बात करते हुए माल्या ने साफ कहा कि भले ही उनके पिता विट्ठल माल्या United Breweries के चेयरमैन रहे हों, लेकिन उन्हें यह साम्राज्य थाली में सजाकर नहीं मिला. उन्होंने बताया कि कॉलेज के दौरान उन्हें ₹400 महीने की स्टाइपेंड पर कंपनी में ट्रेनिंग दी गई, और पढ़ाई के बाद उन्हें बतौर एक साधारण सेल्समैन काम करना पड़ा.
बाद में जब उन्होंने Berger Paints का इंटरनेशनल बिज़नेस अधिग्रहित किया और उसे बेचा, तब उन्हें पहली बार एक बड़ा व्यक्तिगत लाभ हुआ. उस समय उन्होंने अपनी मां से कहा: “देखिए, ये सब मैंने खुद बनाया है, मुझे विरासत में नहीं मिला. अगर अब मैं एक यॉट या प्राइवेट प्लेन खरीद रहा हूं, तो शिकायत मत कीजिए.”
इस कथन के ज़रिए माल्या ने यह दिखाने की कोशिश की कि उन्होंने जो लाइफस्टाइल जिया, वो किसी लोन या सरकारी सपोर्ट से नहीं, बल्कि अपने कमाए हुए पैसों से जिया. उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी मां हमेशा उनके फैसलों पर विश्वास करती थीं और कभी उनके खर्च पर आपत्ति नहीं जताई, लेकिन जब मीडिया उन्हें चोर कहती है, तो वही मां आज भी आहत होती हैं.
किंगफिशर एयरलाइंस: उड़ान भरी, धराशायी हुआ
विजय माल्या ने जब 2005 में Kingfisher Airlines की शुरुआत की थी, तो उसका सपना था - भारत को एक world-class flying experience देना. विमान में इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट, फाइव-स्टार खाना, और कस्टमर को ‘गेस्ट’ की तरह ट्रीट करने की संस्कृति - ये सब उस दौर में किसी भारतीय एयरलाइन में नहीं था.
2008 तक एयरलाइन भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन बन चुकी थी, जिसकी 27% मार्केट हिस्सेदारी थी. लेकिन तभी शुरू हुआ वैश्विक आर्थिक संकट (Global Recession). तेल की कीमतें $140 प्रति बैरल तक पहुंच गईं, ATF पर राज्य सरकारों ने भारी टैक्स लगाए, और केंद्र सरकार ने FDI की अनुमति नहीं दी.
माल्या का कहना था कि उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से मुलाक़ात कर downsizing की अनुमति मां गी थी - अर्थात् एयरलाइन के आकार को छोटा करने और घाटे को नियंत्रित करने का प्रयास. लेकिन उन्हें जवाब मिला कि “इस समय नौकरियाँ बचाना और कनेक्टिविटी देना ज़रूरी है, downsizing मत कीजिए. बैंक आपको सपोर्ट करेंगे.” माल्या का दावा है कि इसी सरकारी हिदायत ने उन्हें आगे घाटे में धकेला. धीरे-धीरे बैंकों से लोन लेना पड़ा, और अंततः एयरलाइन पूरी तरह डूब गई.
उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि इस नाकामी का कारण गलत बिज़नेस मॉडल नहीं, बल्कि macroeconomic और policy-level असफलताएँ थीं, जिन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था.
मीडिया ट्रायल और भगोड़ा टैग पर क्या बोले
विजय माल्या ने अपने ऊपर वर्षों से चली आ रही मीडिया रिपोर्टिंग पर खुलकर नाराज़गी जताई. उन्होंने कहा, “2016 से अब तक मुझे मीडिया ने चोर, भगोड़ा और ठग कहा. मगर किसी ने ये नहीं बताया कि मेरी संपत्तियाँ जब्त कर सरकार ने ₹14,100 करोड़ वसूल भी लिए.” उनके अनुसार, जब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं थी, वो मीडिया से लड़ना नहीं चाहते थे. मगर अब जब भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने खुद इस वसूली को स्वीकार किया है, माल्या चाहते हैं कि लोग उनकी बात भी सुनें. 'जब आपके ख़िलाफ़ एकतरफ़ा नैरेटिव बनता है, और आप कुछ कह नहीं सकते, तो आप बस चुप रह जाते हैं', उन्होंने कहा- Kingfisher Airlines की गलती नहीं, सरकार की नीतियाँ ज़िम्मेदार. माल्या ने इंटरव्यू में कहा कि Kingfisher Airlines एक visionary प्रोजेक्ट था, जिसमें उन्होंने भारत को एक ऐसी एयरलाइन देने की कोशिश की जो विश्वस्तरीय हो. एयरलाइन ने लॉन्च के कुछ ही वर्षों में बाज़ार का 27% हिस्सा कब्ज़ा कर लिया था, लेकिन 2008 के आर्थिक संकट ने हालात बदल दिए.
माल्या ने बताया - क्रूड ऑयल $140 प्रति बैरल पहुंच गया, ATF पर टैक्स बढ़ गए, और ऊपर से FDI की इजाज़त नहीं दी गई. उन्होंने कहा कि उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से एयरलाइन को downsizing की अनुमति मां गी थी, लेकिन सरकार ने मना कर दिया और कहा कि नौकरियाँ बचाना ज़्यादा ज़रूरी है. इस पर माल्या का कहना था - सरकार ने कहा, 'बैंक सपोर्ट करेंगे' - वहीं से तबाही शुरू हुई.
Air Deccan का अधिग्रहण मजबूरी नहीं, रणनीति थी
एक लंबे समय से यह आरोप लगता रहा है कि विजय माल्या ने Air Deccan को इसीलिए खरीदा ताकि वो भारत सरकार के उस नियम को bypass कर सकें जिसमें अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए 5 साल का घरेलू संचालन ज़रूरी था.
माल्या ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा – मैं कोई बेवकूफ नहीं हूं जो ₹1 टिकट बेचने वाली एयरलाइन को सिर्फ टाइम पास के लिए खरीद लूँ. Deccan को हमने इसलिए खरीदा ताकि इंडस्ट्री को consolidate कर सकें. वो disruptor थी. उन्होंने आगे कहा कि दोनों एयरलाइनों की फ्लीट एक जैसी थी, पायलट एक जैसे प्रशिक्षित थे, और डेक्कन के ज़रिए Tier-2 और Tier-3 शहरों तक पहुंचने में मदद मिली.
₹9,000 करोड़ का लोन, ₹14,100 करोड़ की वसूली – फिर मैं चोर कैसे?
माल्या ने Debt Recovery Tribunal का आंकड़ा रखते हुए बताया कि Kingfisher Airlines ने ₹4,999 करोड़ का लोन लिया था, जिसमें ब्याज मिलाकर ये ₹6,200 करोड़ के आसपास बैठता है. "मैंने पर्सनल गारंटी दी थी, बैंकों ने मेरी प्रॉपर्टी जब्त की, शेयर बेच दिए, विदेशों में संपत्तियाँ सीज़ कर लीं. अब जब ₹14,100 करोड़ की रिकवरी हो चुकी है, तो कोई ये सवाल क्यों नहीं उठा रहा कि मैं 'चोर' कैसे?"
माल्या ने Debt Recovery Tribunal (DRT) के आंकड़े सामने रखे: किंगफिशर एयरलाइंस ने ₹4,999 करोड़ का कर्ज लिया था, और ₹1,200 करोड़ का ब्याज जुड़ा. टोटल ₹6,200 करोड़ बनता है. अब सरकार कह रही है कि ₹14,100 करोड़ रिकवर हो चुका है.
उन्होंने सवाल उठाया: अगर मैंने धोखाधड़ी की होती, तो ये पैसा कहां से रिकवर होता?
उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने 2012 से 2015 के बीच चार बार सेटलमेंट ऑफर भी दिए, मगर बैंकोंने उन्हें ठुकरा दिया.
King of Good Times का सच
माल्या ने अपने ऊपर बने ग्लैमर और शोऑफ की छवि को लेकर सफाई दी. उन्होंने कहा, “मैंने कभी खुद को King of Good Times नहीं कहा. वो टैग बीयर की बोतल पर था, ब्रांडिंग का हिस्सा था. मगर मीडिया ने उस नाम से मेरी पहचान बना दी.” उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया ने उनकी निजी पार्टियों, कारों और यॉट्स की तस्वीरें दिखाकर उन्हें विलेन बना दिया, जबकि वो सब कुछ उन्होंने अपने पैसों से किया था, न कि बैंकों से लिए गए लोन से.
मेरी मां आज भी रोती हैं
माल्या ने इंटरव्यू के एक भावुक हिस्से में कहा कि उनकी मां , जो अब 98 वर्ष की हैं, जब उन्हें TV पर 'भगोड़ा', 'धोखेबाज़' जैसे शब्द सुनाई देते हैं तो वो टूट जाती हैं. “मैंने उनसे एक बार कहा - ये पैसा मैंने कमाया है, विरासत में नहीं मिला. जब मैं यॉट खरीदूं या प्लेन, तो शिकायत मत करना. तब भी उन्होंने कुछ नहीं कहा. मगर आज भी जब वो मीडिया की बातें सुनती हैं, उनकी आंखें भर आती हैं.”
विजय माल्या भारत लौटेंगे?
इस सवाल पर माल्या का जवाब था - अगर मुझे निष्पक्ष ट्रायल की गारंटी दी जाए, तो मैं गंभीरता से भारत लौटने पर विचार करूँगा. मैं कानून की प्रक्रिया का सामना करने को तैयार हूं, मगर न्याय चाहिए. गौरतलब है कि माल्या पर भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक धोखाधड़ी के कई केस चल रहे हैं. ब्रिटेन की अदालतों में भी भारत की ओर से प्रत्यर्पण का मामला लंबित है.
विजय माल्या को देश ने गलत समझा?
विजय माल्या की यह बातचीत उनके निर्दोष या दोषी होने का प्रमाण नहीं है. यह काम न्यायालयों का है. मगर 9 सालों तक जिस व्यक्ति की आवाज़ केवल ट्वीट्स और कोर्ट नोटिसों में सुनी गई, अब वो पूरे विस्तार से सामने आई है. उन्होंने अपने पक्ष में जो तथ्य रखे - जैसे ₹14,100 करोड़ की रिकवरी, पर्सनल गारंटी देना, सरकार द्वारा downsizing से रोका जाना, मीडिया द्वारा छवि खराब करना.. इन सब पर निश्चित रूप से पब्लिक डिस्कोर्स होना चाहिए.
सालों तक सिर्फ कोसा, भारत अब सुनेगा?
माल्या की यह बातचीत कोई PR कैंपेन नहीं है. यह एक ऐसी आवाज़ है, जिसे अदालत से पहले जनता की अदालत में सुना जाना ज़रूरी था. मीडिया ट्रायल के शोर में जो बातें दब गईं, वो इस बातचीत से सामने आईं. अगर माल्या सही हैं, तो देश को यह पूछना चाहिए - क्या हमने जल्दबाज़ी में फैसला सुनाया? अगर वो गलत हैं, तो यह सुनना भी ज़रूरी है - क्यों, कैसे, और कितने गहरे तक इस सिस्टम की नाकामी रही?