सादा जीवन उच्च विचार का देते हैं प्रवचन, खुद जीते हैं 'राजाओं वाली जिंदगी'; धीरेंद्र शास्त्री से लेकर इंद्रेश उपाध्याय तक कथावाचकों की लग्ज़री लाइफ
आधुनिक भारत में, रामायण, महाभारत और भागवत पुराण जैसे महाकाव्यों के कथावाचक पारंपरिक कथावाचक डिजिटल युग की हस्तियों में तब्दील हो गए हैं, जो प्राचीन आध्यात्मिकता को आधुनिक मनोरंजन के साथ जोड़ते हैं. हालांकि कई बार इन कथावाचकों का नाम विवादों से भी जुड़ा है.;
भारत की प्राचीन परंपरा में कथावाचक हमेशा से समाज के मार्गदर्शक रहे हैं. 'रामायण', 'महाभारत' और पुराणों की कथाओं को जन-जन तक पहुंचाने वाले ये वक्ता आज डिजिटल युग में एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं. पिछले कुछ सालों में, कथावाचकों का वर्चस्व इतना बढ़ा है कि वे न केवल धार्मिक सभाओं में लाखों श्रोताओं को आकर्षित कर रहे हैं, बल्कि राजनीति, सोशल मीडिया और सामाजिक मुद्दों पर भी अपना प्रभाव छोड़ रहे हैं. यह कहानी है उस बदलाव की, जहां पारंपरिक कथा वाचन आधुनिक स्टारडम में बदल गया है, और इसमें प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं- धीरेंद्र शास्त्री, इंद्रेश उपाध्याय, जया किशोरी, आचार्य पुंडरीक गोस्वामी, अनिरुद्धाचार्य और अन्य अनगिनत नाम है.
लेकिन उन्हें लेकर कई बार विवाद भी सामने आए है. जैसा कथावाचकों का अपने अनुयायी को यह कहते सुना है कि सांसारिक मोह माया से बचिए लेकिन वे खुद इसमें शामिल है. धीरेंद्र शास्त्री जैसे युवा कथावाचकों के नेतृत्व में यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है, जहां आस्था और मनोरंजन का मिश्रण युवा पीढ़ी को आकर्षित कर रहा है. यह कहानी भारत के इन प्रमुख कथावाचकों की यात्रा, उनके प्रभाव और समाज पर पड़ने वाले असर की पड़ताल करती है.
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मन की बात जानें धीरेंद्र शास्त्री
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें बागेश्वर बालाजी के नाम से जाना जाता है, भारत के सबसे चर्चित कथावाचकों में से एक हैं. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम से उनका सफर शुरू हुआ, जहां वे हनुमान जी की कथाएं सुनाते हैं और 'दिव्य दरबार' के जरिए लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं. शास्त्री जो 29 साल के है वह बचपन से ही वे धार्मिक प्रवृत्ति के थे. आज उनके अनुयायियों की संख्या करोड़ों में है, और उनके कार्यक्रमों में लाखों लोग उमड़ते हैं. उनके चमत्कार विदेशों तक है जहां वे जाते है सनानत धर्म का प्रचार-प्रसार करते है. वे कहते हैं कि बालाजी की कृपा से वे लोगों के मन की बात जान लेते हैं. सोशल मीडिया पर उनके वीडियो वायरल होते हैं, जहां वे बीमारियों, आर्थिक संकटों और पारिवारिक विवादों का हल बताते हैं. 2023 में उनके एक कार्यक्रम में विवाद हुआ जब कुछ लोगों ने उनके चमत्कारों पर सवाल उठाए, लेकिन इससे उनकी प्रसिद्धि और बढ़ गई. धीरेंद्र शास्त्री का वर्चस्व इतना बढ़ा कि राजनीतिक नेता भी उनके दरबार में हाजिरी लगाते हैं. उनकी कथाएं न केवल धार्मिक हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी केंद्रित होती हैं, जैसे नशा मुक्ति और परिवार की एकता. लेकिन हाल ही में उन्हें छत्तीसगढ़ में सरकारी विमान से उतरने के बाद विवादों का सामना करना पड़ा. लोगों ने सवाल किया कि धीरेंद्र शास्त्री किस पद पर है जिनके लिए सरकारी विमान का इस्तेमाल हो रहा है. सिर्फ इतना ही नहीं लोगों की नजर वह और भी चढ़ गए जब एक ऑन ड्यूटी पुलिस अधिकारी ने अपनी टोपी उतार के उनके पैर छुए.
यंग जनरेशन की आध्यात्मिक गुरु जया किशोरी
जया किशोरी, मात्र 27 साल की उम्र में भारत की सबसे युवा और फेमस कथावाचिका हैं. कोलकाता में जन्मी जया ने बचपन से ही कृष्ण भक्ति में रुचि दिखाई. वे रामायण और भागवत पुराण की कथाएं सुनाती हैं, लेकिन उनकी स्टाइल मॉडर्न है म्यूजिक, डांस और स्टोरीटेलिंग का मिश्रण. उनके यूट्यूब चैनल पर करोड़ों सब्सक्राइबर्स हैं, और वे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं. 2015 के आसपास उन्होंने कथा कहना शुरू किया और धीरे-धीरे सबकी चाहती बन गई. आज वे इंटरनेशनल लेवल पर कथा वाचन करती हैं, और उनकी कथाओं में महिलाओं के सशक्तिकरण, मानसिक स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे विषय शामिल होते हैं. हालांकि बड़ा सवाल ये है कि सादा जीवन जीने का ज्ञान देने वाली कथावाचिका खुद कई बार सुर्ख़ियों में रही है. जब एयरपोर्ट पर उनके हाथ में डिओर बैग देखा गया जिसकी कीमत 2 लाख रुपये से अधिक बताई गई और कथित तौर से कहा गया कि यह बैग बछड़े के चमड़े से बनता है. फिर क्या था लोग भड़क उठे और दाग दिए सवालों की गोलियां. लोगों ने उन्हें पाखंडी कहा क्योंकि वे सादगी और भौतिकवाद से दूर रहने की बात करती हैं, लेकिन खुद लग्जरी आइटम इस्तेमाल करती हैं. लेकिन जैसे ही बाबाओं पर सवाल उठते है उनके बयान भी तेजी से दूसरी दिशा में बदल जाते है. जया ने स्पष्ट किया कि बैग कस्टमाइज्ड फैब्रिक का है, इसमें चमड़ा नहीं है और उनका नाम भी उस पर उकेरा हुआ है. उन्होंने कहा, 'मैं कोई साध्वी या संन्यासिनी नहीं हूं, एक सामान्य लड़की हूं. मैंने कभी किसी को सब कुछ त्यागने को नहीं कहा. कड़ी मेहनत करो, कमाओ और अच्छी जिंदगी जियो. उन्होंने इसे सनातनियों को टारगेट करने की साजिश भी बताया. सिर्फ इतना ही नहीं जया किशोरी ने खुद द लल्लनटॉप में इस बात का दावा किया था कि वह हर नया आईफोन खरीदती है जो एक साल या डेढ़ साल में नया आता है वह उन्हें खरीदकर ही रहती है.
अनिरुद्धाचार्य उर्फ़ पूकी बाबा
अनिरुद्धाचार्य उर्फ़ गौरी गोपाल महाराज जिन्हें 'बाल संत' कहा जाता है, वृंदावन से हैं और कृष्ण लीला की कथाएं सुनाते हैं. मात्र 36 साल की उम्र में वे लाखों अनुयायियों के बीच लोकप्रिय हैं. उनकी सरल और कॉमिक स्टाइल लोगों को आकर्षित करती है. अनिरुद्धाचार्य के कार्यक्रमों में भजन और नृत्य का महत्वपूर्ण स्थान है, और वे सोशल मीडिया पर मीम्स और रील्स से युवाओं को जोड़ते हैं. कई बार उनके दरबार से ऐसी-ऐसी रील्स सामने आई जहां महिलाएं-पुरुष नौजवान यहां तक की बच्चे भी दुनियाभर के अलग सवाल पूछते नजर आए. कुछ सवाल तो सवेंदनशील होते है कुछ मजेदार. लेकिन अनिरुद्धाचार्य भी विवादों से दूर नहीं रह पाएं. अक्टूबर 2025 में एक वायरल वीडियो में वे कथित तौर पर कहते दिखे थे. उनका बयान लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर था. उन्होंने कहा, 'लड़कियों की शादी 14 साल की उम्र में कर देनी चाहिए क्योंकि 25 साल तक आते-आते वह चार जगह मुंह मार चुकी होती है.' उनके इस बयान ने इतना तूल पकड़ा कि बाबा पर मुकदमा ही हो गया. दायर मुकदमें पूछा गया कि खुद बाबा ने किस उम्र में शादी थी.?
कथावाचक आचार्य पुंडरीक गोस्वामी
आचार्य पुंडरीक गोस्वामी एक युवा वैष्णव संत और प्रसिद्ध कथावाचक हैं. वे वृंदावन के राधा रमन मंदिर से जुड़े गोस्वामी परिवार से आते हैं और गौड़ीय वैष्णव परंपरा के 38वें आचार्य हैं. पुंडरीक 7 साल की उम्र से भगवद गीता और भागवत कथा पर प्रवचन देते हैं. वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई छोड़कर पूरी तरह भक्ति मार्ग पर आ गए. उनकी कथाएं भारत और विदेशों में होती हैं, और वे युवाओं में बहुत लोकप्रिय हैं. हाल ही में दिसंबर 2025 में एक बड़ा विवाद हुआ. जब उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में पुलिस लाइन के परेड ग्राउंड पर एक कार्यक्रम में पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर (सलामी) दिया. पुलिस अधीक्षक खुद लाल कालीन बिछवाकर स्वागत कर रहे थे. यह कार्यक्रम पुलिसकर्मियों के मनोबल बढ़ाने और तनाव दूर करने के लिए था, जहां पुंडरीक जी ने प्रवचन दिया. वीडियो वायरल होने पर विपक्षी नेताओं जैसे अखिलेश यादव और चंद्रशेखर आजाद ने इसे संविधान का उल्लंघन बताया. उन्होंने कहा कि पुलिस का काम अपराध नियंत्रण है, धार्मिक सम्मान नहीं. यूपी डीजीपी ने बहराइच एसपी से स्पष्टीकरण मांगा. यह मामला राजनीतिक विवाद बन गया.
इंद्रेश महाराज
इंद्रेश महाराज, जिनका पूरा नाम इंद्रेश उपाध्याय है, वृंदावन के एक प्रसिद्ध युवा कथावाचक हैं. 1997 में वृंदावन जन्में इंद्रेश प्रसिद्ध कथावाचक श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री के बेटे हैं. इंद्रेश महाराज श्रीमद् भागवत कथा सुनाते हैं और अपने सुरीले भजनों जैसे 'राधा गोरी गोरी', 'राधे राधे जपो' से लाखों लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. वे 'भक्तिपथ' संस्था के संस्थापक भी हैं. सोशल मीडिया पर उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है. लेकिन इंद्रेश जी भी विवादों से दूर न रह पाए. वह सुर्ख़ियों में तब आए जब उन्होंने खुद की शाही शादी की और लोगों ने फिर वहीं सवाल किया जो महाराज यह कहते थे की शादी में खर्च करने से बचो सादगी में करो वो खुद करोड़ों पैसे फूंककर शादी कर रहे है. 5 दिसंबर 2025 को जयपुर में शिप्रा शर्मा से हुई शाही शादी हुई जिसे देखकर सभी हैरान रहे. पर भी कुछ लोग सादगी की कमी बताकर ट्रोल कर रहे थे क्योंकि खुद इंद्रेश महाराज ने कहा था कि सनातियों वरमाला जैसी कोई रस्म ही नहीं थी. वरमाला सिर्फ स्वयंवर में पहनाई जाती थी. लेकिन जब खुद उनके वरमाला का वीडियो सामने आया तो लोगों ने सवालों की झड़ी लगाई अब क्या हुआ महाराज जी खुद के समय में यह रस्म आखिर क्यों करनी पड़ गई.
प्रभाव और विवाद
इन कथावाचकों का बढ़ता वर्चस्व भारतीय समाज में एक दोधारी तलवार जैसा साबित हो रहा है. एक ओर, वे आस्था को मजबूत कर रहे हैं, नशा मुक्ति अभियान चला रहे हैं और सामाजिक सद्भाव बढ़ा रहे हैं. लाखों लोग उनकी कथाओं से प्रेरित होकर जीवन बदल रहे हैं. लेकिन दूसरी ओर, विवाद भी कम नहीं जो यह उजागर करते है कि कथा वाचन अब धर्म पथ पर आपको चलने से ज्यादा किसी कमाऊ प्रोफेशन के तरह प्रतीत हो रहा है. जहां एक ओर कथावाचकों के सच्चे अनुयायियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन कुछ ऐसे लोग है जिन्हें यह फर्क पड़ता है कि जो खुद लक्जरी लाइफस्टाइल जीने के आदि है जो खुद पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करने के बजाए प्राइवेट जेट में सफर करते है वो दुनिया को भला किस मोह-माया से दूर रहने का दावा करते है. कभी-कभी विचार करने वाली बात तो यह है कि बार-बार विवादों में आने के बाद ये साबित होता है कि क्या वे दोहरे चरित्र जीते हैं? कुछ मामलों में हां, आरोप लगते हैं. कई कथावाचक महिलाओं के चरित्र, लिव-इन या बाल विवाह पर विवादित बयान देते हैं, जिससे ट्रोलिंग होती है. कुछ पर गंभीर आरोप जैसे यौन शोषण, दुष्कर्म या झूठे चमत्कार दिखाने के केस दर्ज हुए हैं. ये अलग-थलग घटनाएं हैं, जो मीडिया में ज्यादा हाइलाइट होती हैं. ज्यादातर कथावाचक ईमानदारी से भक्ति फैला रहे हैं, लेकिन कुछ की गलतियां पूरे समुदाय पर सवाल उठाती हैं. सच तो यह है कि हर क्षेत्र में अच्छे-बुरे लोग होते हैं.