आधार कार्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- उम्र तय करने के लिए नहीं है वैध डॉक्यूमेंट

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें एक सड़क हादसे में जान गंवाने वाले व्यक्ति की उम्र तय करने के लिए आधार कार्ड का उपयोग किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ताओं के तर्क को स्वीकारते हुए मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT) के फैसले का समर्थन किया, जिसमें मृतक की उम्र स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट के आधार पर मानी गई थी.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 25 Oct 2024 10:14 AM IST

आधार कार्ड निश्चित रूप से एक बहुत ही जरूरी डॉक्यूमेंट है, लेकिन यदि किसी विशेष मामले में उम्र तय करने की बात आती है, तो यह वैध प्रमाण नहीं माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान यह जरूरी फैसला दिया है. भाषा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें एक सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले व्यक्ति की उम्र तय करने के लिए आधार कार्ड का उपयोग किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां शामिल थे, ने स्पष्ट किया कि मृतक की उम्र जुवेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) एक्ट, 2015 की धारा 94 के अनुसार, उसके स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट में दर्ज जन्मतिथि से निर्धारित की जानी चाहिए. भारतीय यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ने एक सर्कुलर जारी कर यह भी स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड बस एक पहचान के लिए है, लेकिन इसे जन्मतिथि का प्रमाण नहीं माना जा सकता है.

स्कूल प्रमाणपत्र के आधार पर की गई उम्र की गणना

सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ताओं के तर्क को स्वीकारते हुए मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT) के फैसले का समर्थन किया, जिसमें मृतक की उम्र स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट के आधार पर मानी गई थी. इस मामले में, एक सड़क दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिजनों ने मुआवजे के लिए अपील की थी. एमएसीटी, रोहतक ने उन्हें 19.35 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था, जिसे उच्च न्यायालय ने घटाकर 9.22 लाख रुपये कर दिया था. उच्च न्यायालय ने यह बदलाव इसलिए किया था क्योंकि उसे लगा कि मुआवजे का निर्धारण करते समय आयु का गलत तरीके से उपयोग हुआ था.

 परिवार का विरोध

उच्च न्यायालय ने मृतक के आधार कार्ड पर भरोसा करते हुए उसकी उम्र 47 साल मानी थी. मृतक के परिजनों ने इसे चुनौती दी और तर्क दिया कि आधार कार्ड के आधार पर उम्र का निर्धारण करना गलत था. उनका कहना था कि स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट के अनुसार मृतक की उम्र 45 साल थी.

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