'अदालतें किसी को साथ रहने का नहीं दे सकती निर्देश', सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक मामलों पर की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन दो वैवाहिक मामलों पर सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि अदालतें किसी व्यक्ति को दूसरे के साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती हैं. महिला को उसके पति ने छोड़ दिया था और दूसरी शादी कर ली थी. इसी मामले पर कोर्ट में सुनवाई हुई. पीठ ने कहा कि अदालतें किसी को दूसरे व्यक्ति के साथ रहने का निर्देश नहीं दे सकती हैं.;
Supreme Court: पति और पत्नी का रिश्ता बहुत ही खूबसूरत होता है. दोनों एक-दूसरे का हर परिस्थिति में साथ दें तो जिंदगी का सफर सुहाना हो जाता है. लेकिन कई बार बात कुछ ऐसी हो जाती है कि वैवाहिक जीवन में खट्टास पैदा हो जाती है. पति-पत्नी के बीच की लड़ाई कोर्ट तक पहुंच जाती है. ऐसे ही मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (19 नंवबर) को सुनवाई की.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन दो वैवाहिक मामलों पर सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि अदालतें किसी व्यक्ति को दूसरे के साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती हैं. महिला को उसके पति ने छोड़ दिया था और दूसरी शादी कर ली थी. इसी मामले पर कोर्ट में सुनवाई हुई.
पति की दूसरी शादी से पत्नी परेशान
पहले मामले में एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अपने पति के खिलाफ याचिका दायर की थी. जिसमें उसने बताया था कि उसके पति ने उसे छोड़ दिया और दूसरी शादी कर ली. महिला ने वैवाहिक जीवन में उसके शादी से जुड़े अधिकारियों को बहाल करने की मांग की है. इस मामले की चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने सुनवाई की.
साथ रहने का नहीं दे सकते निर्देश- SC
पीठ ने कहा कि अदालतें किसी को दूसरे व्यक्ति के साथ रहने का निर्देश नहीं दे सकती हैं. ऐसा आदेश पारित नहीं किया जा सकता है. लेकिन अगर व्यक्ति (महिला का पति) ने पहली शादी के रहते हुए दूसरी शादी कर ली है, तो उसे कोर्ट द्वारा दोषी पाए जाने पर सजा दी जाएगी. बता दें कि कोर्ट ने महिला को उसके पति की दूसरी शादी करने के आरोप की पुष्टि के लिए सबूत पेश करने की अनुमति दी है. मामले की अगली सुनवाई दिसंबर के तीसरे सप्ताह में होगी.
क्या है दूसरा मामला?
कोर्ट ने कल दूसरे मामले पर सुनवाई की, जिसमें एक महिला ने खुद अपनी इच्छा से पति को छोड़ दिया और अलग रहने लगी. पति ने कोर्ट ने इस संबंध में एक याचिका दायर की. जिसमें बताया कि उसकी पत्नी पहले किसी और व्यक्ति के साथ भाग गई और फिर अपने माता-पिता के साथ रहने लगी. महिला के वकील सुरेश सी त्रिपाठी ने कहा कि अधिक गुजारा भत्ता का दावा किया और आरोप लगाया कि उत्पीड़न और अत्याचार के कारण वह ससुराल छोड़ने पर मजबूर हुई थी.
जानकारी के अनुसार महिला का पति अपनी पत्नी को वापस घर ले जाने के लिए तैयार है. लेकिन कोर्ट ने उसे निर्देश दिया कि वह फैमिली कोर्ट द्वारा तलाक की याचिका पर फैसला किए जाने तक हर महीने महिला को 7 हजार रुपये गुजारा भत्ता देना जारी रखे.