सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हुई गलती को माना, जानें क्या हैं पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए गए निर्णय में हुई गलती को स्वीकार कर न्यायालय की तरफ से उसमें सुधार किया गया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने ये माना कि गलती को सुधारने की जिम्मेदारी न्यायालय की होती है. ये टिप्पणी पिछले साल इंडियाबुल्स के पक्ष में बिना ईडी की बात सुने फैसला दिए जाने के संबंध में है.;
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में माना है कि न्यायालय भी गलतियां कर सकते हैं और इन गलतियों को सुधारने की जिम्मेदारी न्यायालय की होती है, चाहे मामले में निर्णय ही क्यों न हो गया हो. इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस और उसके अधिकारियों को ऋण वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में दी गई सुरक्षा पर पुनर्विचार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि उसके पिछले आदेश में कुछ गलतियां थीं, जिन्हें अब सुधार लिया गया है.
TOI में छपी खबर के अनुसार, अदालत ने माना कि उसने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की बात सुने बिना ही इंडियाबुल्स के पक्ष में अंतरिम संरक्षण का आदेश पारित कर दिया था. यह एक स्पष्ट गलती थी, जिसे अनदेखी के कारण होने वाली त्रुटि माना गया. ईडी ने अदालत से इस आदेश में संशोधन की मांग की थी, और अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए आदेश में बदलाव किया है.
न्यायिक त्रुटियों को सुधारने की महत्वपूर्ण भूमिका
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने इस मामले में दो मुख्य गलतियों को पहचानते हुए अपने फैसले में संशोधन किया. अदालत ने कहा कि वसूली कार्यवाही में दी गई अंतरिम सुरक्षा तब तक जारी रहेगी, जब तक कि पक्ष उच्च न्यायालय नहीं पहुंच जाते। इसके बाद, अंतरिम सुरक्षा का निर्णय उच्च न्यायालय पर छोड़ दिया जाएगा।
पीठ ने यह भी कहा कि सामान्यत: जब सर्वोच्च न्यायालय किसी मामले में संरक्षण देता है, तो वह संरक्षण उच्च न्यायालय में मामलों के लंबित रहने तक जारी रहता है। इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला किया कि उच्च न्यायालय को ही अंतरिम आदेश पर अंतिम निर्णय लेना चाहिए.
"न्यायिक प्रणाली त्रुटियों को स्वीकार करती है"
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि कोर्ट अपने आदेशों में की गई किसी भी गलती को स्वीकारने और उसे सुधारने में पीछे नहीं हटेगा. अदालत ने वी के जैन बनाम दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा, "हमारी कानूनी प्रणाली न्यायाधीशों की गलतियों को मानती है. यह सिद्धांत सभी न्यायिक स्तरों पर लागू होता है, चाहे वह जिला न्यायालय हो या सर्वोच्च न्यायालय."
आदेश में सुधार
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका को स्वीकार करते हुए पिछले साल 4 जुलाई को मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित अपने आदेश के उस हिस्से को वापस ले लिया, जिसमें इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस को संरक्षण दिया गया था.
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, जिन्होंने इस मामले में पहले फैसला दिया था, अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. अदालत ने इस फैसले में एक बार फिर से यह स्पष्ट किया कि न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह अपनी गलतियों को पहचानकर उन्हें सुधारने की हिम्मत दिखाए.