4 साल का वक्त और 4500 किमी का सफर, समंदर में इस मादा कछुए की यात्रा देख वैज्ञानिक भी हैरान
समुद्री कछुए अपनी लंबी यात्राओं के लिए जाने जाते हैं. लेकिन भारत में एक मादा कछुआ की यात्रा से वैज्ञानिक तक हैरान हैं. इस मादा कछुए ने चार साल में करीब 4500 किलोमीटर की यात्रा तय की है और ओडिशा तट से श्रीलंका होते हुए महाराष्ट्र पहुंची है.;
समंदर की लहरों में हजारों मील का सफर तय करके जब '03233' नाम की ऑलिव रिडली मादा कछुआ महाराष्ट्र के रत्नागिरी के गुहागर बीच पर पहुंची, तो शायद उसे खुद भी अंदाज़ा नहीं रहा होगा कि वह एक बड़ा वैज्ञानिक राज खोलने वाली है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2025 में महाराष्ट्र वन विभाग की एक टीम ने इस मादा कछुए को अंडे देते हुए देखा. अकेली, शांत, बिना किसी शोर के. लेकिन जब उसके अगले पैरों पर चमकते दो मेटल टैग नजर आए, तो उसकी पहचान सामने आई—03233, वह मादा कछुआ जिसे मार्च 2021 में ओडिशा के गहीरमाथा समुद्री अभयारण्य में टैग किया गया था.
एक चमत्कार
वन्यजीव संस्थान (WII) के वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कुमार के अनुसार, 03233 ने पूर्वी तट से दक्षिण होते हुए श्रीलंका का चक्कर काटा, फिर तिरुवनंतपुरम से होते हुए पश्चिमी तट की ओर बढ़ी और रत्नागिरी के तट पर पहुंची. लगभग 4,500 किलोमीटर की यह यात्रा न सिर्फ थकाऊ थी, बल्कि अब तक दर्ज हुई कछुओं की सबसे बड़ी माइग्रेशन स्टोरी बन गई है. यह पहली बार है जब किसी पूर्वी तट पर टैग किए गए कछुए को पश्चिमी तट पर देखा गया है.
‘अकेले अंडे देने’ की रणनीति
ओडिशा में जहां ऑलिव रिडली कछुए सामूहिक अंडे देने की 'अरीबाडा' रणनीति अपनाते हैं, वहीं रत्नागिरी में 03233 ने ‘सोलिटरी नेस्टिंग’ यानी अकेले अंडे देने की रणनीति अपनाई. इसने 125 अंडे दिए, जिनमें से अब तक 107 अंडे से बच्चे निकल चुके हैं.
टैगिंग से ट्रैकिंग तक की कहानी
इस कछुए के पंखों पर लगे टैग ZSI (जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) द्वारा लगाए गए थे. हालांकि ये फ्लिपर टैग केवल पकड़ में आने पर ही जानकारी देते हैं, लेकिन इससे इस कछुए की यात्रा की दिशा स्पष्ट हो गई. अगर इसके पास सैटेलाइट टैग होता, तो पूरी यात्रा का सटीक नक्शा मिलता, लेकिन उसकी लागत करोड़ों में जाती है.
पश्चिमी तट की सुरक्षा भी जरूरी
ZSI के डॉ. बासुदेव त्रिपाठी, जिन्होंने 03233 को टैग किया था, कहते हैं, “अब तक हमें लगता था कि ये कछुए सिर्फ ओडिशा और उसके आसपास सामूहिक अंडे देते हैं. लेकिन 03233 का पश्चिमी तट पर आकर अंडे देना बताता है कि हमें पश्चिमी समुद्री तटों को भी सुरक्षित बनाना होगा.”
क्या 03233 वापस लौटेगी ओडिशा?
इस साल करीब 1,000 टैग किए गए कछुए ओडिशा के रुशिकुल्या तट पर लौटे हैं. इसलिए वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि 03233 भी कभी लौटेगी – और तब शायद उसके सफर का अगला चैप्टर लिखा जाएगा.