आर्किटेक्ट की नौकरी, अमेरिकी गर्लफ्रेंड और फिर अकेलापन, रतन टाटा की जिंदगी के वो पल

Ratan Tata life story: 'रतन टाटा: ए लाइफ' लिखने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी थॉमस मैथ्यू टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा के आधिकारिक जीवनी लेखक हैं. रतन टाटा का 9 अक्टूबर को 86 साल की उम्र में निधन हो गया. उन पर लिखी इस किताब में उनकी जीवन के कई दिलचस्प किस्से सामने आए हैं.;

Ratan Tata life story
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 26 Oct 2024 11:00 AM IST

Ratan Tata life story: भारत के बेटे और देश के सबसे बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट रतन टाटा के निधन को समय जरूर बीत रहा है, लेकिन लोगों की यादों में मानों उन्होंने अपना घर बना लिया है. इस दुनिया में हर कोई उन्हें बेहद प्यार करता है. आइए उनकी जिंदगी की एक झलक उनके जीवन पर लिखी गई किताब में देखते हैं. उनके आधिकारिक जीवनीकार और पूर्व आईएएस अधिकारी थॉमस मैथ्यू की किताब 'रतन टाटा: ए लाइफ' हाल ही में रिलीज़ हुई है.

'रतन टाटा: ए लाइफ' में लॉस एंजिल्स में उनकी एक गर्लफ्रेंड से लेकर कुत्तों के प्रति उनका प्यार शामिल था. ये उन दिनों की बात है, जब रतन टाटा ने न्यूयॉर्क में रिवरडेल नामक स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे. 1962 में उन्होंने अपना बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर कोर्स पूरा कर किया, जिसके बाद उन्हें जॉब भी ऑफर किया गया, जो लॉस एंजिल्स में जोन्स एंड एमन्स नामक कंपनी में था. एमोंस उनकी थीसिस से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने रतन टाटा से उनके लिए काम करने को कहा.

पहली नौकरी और पहला प्यार

लॉस एंजिल्स में जोन्स एंड एमन्स में काम करते हुए उन्हें कैरोलीन जोन्स नाम की एक अमेरिकी लड़की से प्यार हो गया, जिससे वह शादी करना चाहते थे, लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चला. 1962 में वह वापस आना चाहता थे क्योंकि उसकी मां की तबियत ठीक नहीं थी. वह वापस आया और कैरोलीन को उसके साथ आना था. 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान भारत अमेरिकियों के लिए एक दूर की जगह थी, इसलिए कैरोलीन के पास भारत आने की हिम्मत नहीं थी. समय के साथ यह रिश्ता खत्म हो गया और बाद में उनकी शादी किसी ऐसे व्यक्ति से हो गई जो कई मायनों में रतन जैसा ही था.

अकेलापन से भरा समय

पूर्व आईएएस अधिकारी थॉमस मैथ्यू ने किताब के जरिए ये भी खुलासा किया कि रतन टाटा के लिए कई ऐसे मौके थे, जब वह जीवन में पूरी तरह से अकेला महसूस करते थे. पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन के कारण 2008 में टाटा नैनो कारखाने को सिंगूर से गुजरात के साणंद में स्थानांतरित करना पड़ा और रतन टाटा साइरस मिस्त्री के साथ कानूनी लड़ाई चुनौतीपूर्ण थी. हालांकि, इसमें रतन टाटा की जीत हुई. ये वो दौर था, जब वह अपने जीवन के सबसे अकेलेपन के समय से गुजर रहे थे. इसी बात ने उनकी हर हिम्मत की परीक्षा ली थी.

दादी को नहीं पसंद था पहला कुत्ता

रतन टाटा का कुत्तों से प्रेम या यूं कहे दया की भावना कोई नई नहीं थी. ये भावना उनमें बचपन से ही थी. थॉमस मैथ्यू बताते हैं कि रतन टाटा जब 12 साल के थे, तब उन्होंने एक फॉक्स टेरियर कुत्ता खरीदा था और हालांकि वे उससे बहुत प्यार करते थे, लेकिन उनकी दादी को यह कुत्ता कभी पसंद नहीं आया.

इसे लेकर वह हमेशा हंसते थे जब वह बताते थे कि जब वह अपनी पढ़ाई के लिए अमेरिका गए थे, तो उनकी दादी को कुत्ता बहुत पसंद आया और कुत्ता भी उनकी दादी से इतना प्यार करने लगा कि जब वह सोती थीं तो वह उनकी रखवाली करता था. इसलिए, तब से उनमें कुत्तों के प्रति प्यार हो गया. 

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