राजकोट का अस्पताल हैक! बस एक पासवर्ड से हुआ साइबर स्कैंडल, कैसे महिलाओं के प्राइवेट वीडियो इंटरनेशनल नेटवर्क पर बिके?
जांच में यह भी सामने आया कि देशभर में ऐसे लगभग 80 सीसीटीवी डैशबोर्ड्स को हैक किया गया था. इनमें सिर्फ अस्पताल ही नहीं, बल्कि स्कूल, सिनेमा हॉल, फैक्ट्री, ऑफिस, और यहां तक कि कुछ निजी घरों के कैमरे भी शामिल थे. सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, और उत्तर प्रदेश से जुड़े पाए गए.;
राजकोट का पायल मैटरनिटी अस्पताल आज पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है. वजह कोई सामान्य गलती नहीं, बल्कि एक बड़ी साइबर लापरवाही है. केवल एक 'डिफ़ॉल्ट पासवर्ड' यानी 'admin123' से शुरू हुआ यह मामला धीरे-धीरे एक राष्ट्रीय शर्म और डिजिटल सुरक्षा के सबसे बड़े घोटालों में बदल गया. दरअसल, अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरों के सिस्टम में पासवर्ड नहीं बदले गए थे. वही पुराना पासवर्ड बना रहा, जिससे कोई भी व्यक्ति तकनीकी जानकारी होने पर आसानी से लॉगिन कर सकता था. इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए कुछ हैकरों ने अस्पताल के कैमरा नेटवर्क में सेंध लगा दी.
उन्होंने अस्पताल के स्त्री रोग वार्ड में जांच कराने आने वाली महिलाओं के निजी पलों के वीडियो रिकॉर्ड कर लिए. हैकरों ने यह फुटेज चोरी कर उसे पैसे के बदले इंटरनेट पर बेचने का काम शुरू कर दिया. रिपोर्टों के अनुसार, इन वीडियो को इंटरनेशनल पोर्नोग्राफिक फेटिश नेटवर्क के ज़रिए फैलाया गया. जांचकर्ताओं ने पाया कि ये अवैध गतिविधियां लगभग एक साल तक चलती रहीं जनवरी 2024 से लेकर दिसंबर 2024 की शुरुआत तक. आखिरकार फरवरी 2025 में पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया.
50,000 वीडियो क्लिप चुराए
अनुमान है कि इस दौरान हैकरों ने करीब 50,000 वीडियो क्लिप चुराए. इस पूरे ऑपरेशन की शुरुआत तब सामने आई जब 'मेघा एमबीबीएस' और 'सीपी मोंडा' जैसे यूट्यूब चैनलों पर इन क्लिप्स के छोटे-छोटे टीज़र पोस्ट किए गए. इन वीडियो के ज़रिए यूज़र्स को टेलीग्राम ग्रुप्स में बुलाया जाता था, जहां पूरा वीडियो खरीदने के लिए लिंक दिए जाते थे. कीमत 700 से 4,000 रुपये तक होती थी, वीडियो के प्रकार और 'डिमांड' के अनुसार.
निजी घरों के कैमरे भी शामिल
जांच में यह भी सामने आया कि देशभर में ऐसे लगभग 80 सीसीटीवी डैशबोर्ड्स को हैक किया गया था. इनमें सिर्फ अस्पताल ही नहीं, बल्कि स्कूल, सिनेमा हॉल, फैक्ट्री, ऑफिस, और यहां तक कि कुछ निजी घरों के कैमरे भी शामिल थे. सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, और उत्तर प्रदेश से जुड़े पाए गए. यह भी सामने आया कि जिन कैमरा सिस्टमों को हैक किया गया, उनमें से बहुत से अब भी वही पुराने फ़ैक्टरी पासवर्ड जैसे 'admin123' का इस्तेमाल करते थे. अहमदाबाद साइबर अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि इस अपराध में इस्तेमाल किया गया तरीका 'ब्रूट फोर्स अटैक' था. यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें हैकर कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद से अलग-अलग लेटर्स और नंबर्स के हर पॉसिबल कॉम्बिनेशंस को आज़मा कर सही पासवर्ड खोज लेते हैं.
पूरे नेटवर्क में कौन है शामिल?
इस पूरे नेटवर्क का ऑपरेशन पास्ड धमेलिया नाम के एक व्यक्ति ने किया, जो बीकॉम ग्रेजुएट है. उसने तीन अलग-अलग सॉफ्टवेयर की मदद से यह हैकिंग सिस्टम बनाया. दूसरा आरोपी रोहित सिसोदिया, जो मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा धारक है, ने दिल्ली में बैठकर चोरी किए गए लॉगिन डिटेल्स का इस्तेमाल किया. वह एक वैध रिमोट व्यूइंग सॉफ्टवेयर के ज़रिए अस्पताल के कैमरों तक पहुंचता था और फिर वीडियो डाउनलोड करता था.
टेलीग्राम ग्रुप्स में घूमता रहा डाटा
भले ही पुलिस ने 2025 की शुरुआत में कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन जांच में यह भी पाया गया कि चोरी किया गया डेटा जून 2025 तक कई टेलीग्राम ग्रुप्स पर घूमता रहा. यह घटना दिखाती है कि डिजिटल सुरक्षा कितनी लापरवाही भरे तरीके से संभाली जाती है और इसके नतीजे कितने खतरनाक हो सकते हैं. यह मामला न सिर्फ गोपनीयता का घोर उल्लंघन है, बल्कि यह इस बात पर गंभीर सवाल उठाता है कि भारत में साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभी कितनी कम है.