कौन थे राजेंद्र चोल जिनके नाम से वीडियो गेम लाने की है तैयारी? खेलिए और समझिए History Mystery

Video game on Rajendra Chola: दक्षिण भारत के महान राजा राजेंद्र चोल की विरासत आज के इंडोनेशिया तक फैली थी. उनके साहस ने चोल वंश के साम्राज्य को तेजी से बढ़ाया था. 'अनसंग एम्पायर्स: द चोलस' वीडियो गेम के जरिए अब दुनिया उनकी साहस देखेगी.;

Video game on Rajendra Chola
Edited By :  सचिन सिंह
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Video game on Rajendra Chola: चोल वंश के महान राजा माने जाने वाले राजेंद्र चोल पर एक वीडियो गेम डेवलप किया गया है, जिसका नाम-  'अनसंग एम्पायर्स: द चोलस' इसे एयेलेट स्टूडियोज ने बनाया है. यह एक थर्ड-पर्सन एक्शन-एडवेंचर, नैरेटिव-ड्रिवन गेम है जो राजेंद्र चोल की विरासत को दुनिया के सामने रखेगा. यह गेम इंडोनेशिया में सेट है.

राजेंद्र चोल की जीत तेजी से विस्तार के लिए जानी जाती है. उन्होंने सबसे पहले पश्चिमी चालुक्य और अनुराधापुरा शासकों के खिलाफ अपनी वीरता का प्रदर्शन किया. उन्होंने चेरा, श्रीलंका और पांडिया जागीरदार राज्यों में विद्रोहियों को हराया. इसके बाद उन्होंने श्रीलंका के एक बड़े हिस्से को जीता. उन्होंने कलिंग और वेंगई राज्यों पर भी जीत हासिल की. फिर मालदीव का नाम बदलकर मुन्नीर पलंतिवु पन्निरयिरम रख दिया. ये उनके नौसैनिक अड्डे बन गए.

श्रीलंका से इंडोनेशिया तक का साम्राज्य

इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, चेन्नई स्थित ऐलेट स्टूडियो के स्टूडियो हेड और क्रिएटिव डायरेक्टर अब्राहम ने 'अनसंग एम्पायर्स: द चोलस' को डेवलप कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'राजेंद्र चोल ने अपने पिता महान राजराजा चोल से कहीं ज़्यादा उपलब्धियां हासिल की, फिर भी बहुत कम लोग उनकी उपलब्धियों से वाकिफ हैं. वर्तमान इंडोनेशिया में जीत, श्रीलंका के द्वीप पर विजय प्राप्त करने से लेकर उत्तर भारत में गंगा नदी तक अभियानों का नेतृत्व करने तक, वे वास्तव में एक आकर्षक राजा थे.'

बचपन से ही राजा बनने के लिए पाले गए थे राजेंद्र चोल

चोल वंश ने 10वीं से 13वीं शताब्दी तक दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों पर शासन किया. चोल राजा नौसैनिक युद्ध में अग्रणी थे. उन्होंने कई जल युद्ध लड़े और दक्षिण भारत के कई इलाकों पर विजय प्राप्त की. मलय प्रायद्वीप के कई हिस्सों में अपनी पहुंच का विस्तार किया. अब्राहम ने  को बताया, 'राजेंद्र चोल की एक खासियत यह है कि बचपन से ही उन्हें राजा बनने के लिए पाला गया था. वह राजनीतिज्ञ और शक्तिशाली व्यक्ति थे और उन्हें इसी बात को ध्यान में रखकर पाला गया था.'

असली नाम था मधुरांतक चोल

उन्होंने 1014 से 1044 ई. शासन किया था. राजेंद्र चोल का असली नाम मधुरांतक चोल था. उन्हें 1012 में उनके पिता राजाराज चोल ने युवराज घोषित किया था. 1014 में सिंहासन पर बैठने के बाद मधुरांतक ने राजसी नाम राजेंद्र चोल अपनाया. उनके शासनकाल में कई सैन्य विजय अभियान हुए, जिससे उन्हें 'गंगईकोंडा चोल' की उपाधि मिली. 

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