रेल सुरक्षा 'कवच' की जांच करेंगे अश्विनी वैष्णव, राजस्थान के सवाई माधोपुर से इंदरगढ़ तक की होगी यात्रा
Ashwini Vaishnaw: स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ATP) के जरिए रेल की दुर्घटना को कम करने की प्लानिंग की जा रही है. इसे अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने विकसित किया है. इसकी जांच में खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कवच से लैस ट्रेन की यात्रा करेंगे. इस दौरान वह राजस्थान के सवाई माधोपुर से इंदरगढ़ तक की यात्रा करेंगे.;
Ashwini Vaishnaw travel in Kavach-fitted train: भारत में रेलवे दुर्घटना को रोकने के लिए स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ATP) को डेवलप किया जा रहा है. इसे अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने बनाया है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मंगलवार यानी 24 सितंबर दोपहर राजस्थान के सवाई माधोपुर में स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली की दक्षता की जांच के लिए कवच से लैस ट्रेन में यात्रा करेंगे.
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि वैष्णव शाम चार बजे सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से कवच लगे इंजन में सवार होंगे और 45 मिनट का सफर तय कर इंदरगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे. एक अधिकारी ने कहा, 'इन 45 मिनटों में ट्रेन कवच से सुसज्जित खंड पर अलग-अलग गति से चलेगी ताकि यह देखा जा सके कि क्या यह लोको पायलट द्वारा ब्रेक लगाए बिना लाल सिग्नल पर अपने आप रुक जाती है? उन्होंने कहा कि परीक्षण के लिए मंत्री के साथ मीडियाकर्मियों का एक दल भी साथ जाएगा.
रेड लाइट देख खुद ही रुक जाएगी ट्रेन
स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ATP) आपातकालीन स्थिति में जब ट्रेन चालक समय पर कार्रवाई करने में विफल हो जाता है, तो यह आने वाली दुर्घटना को भांपते हुए ब्रेक लगा सकता है. रेल मंत्रालय पिछले आठ सालों से चरणबद्ध तरीके से रेल नेटवर्क को कवच प्रणाली के अंतर्गत लाने के लिए इस परियोजना पर काम कर रहा है.
RDSO से सुरक्षा कवच को मिली मंजूरी
रेल मंत्री वैष्णव ने इसे लेकर कहा कि 3,000 किलोमीटर लंबे मुंबई-दिल्ली और दिल्ली-कोलकाता रेल मार्गों पर कवच प्रणाली को चालू करने का काम चल रहा है और अगले साल मार्च 2025 तक इसके पूरा होने की उम्मीद है. वैष्णव ने कहा कि कवच एडवांस वर्जन 4.0 को अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने 17 जुलाई 2024 को मंजूरी दे दी है, जिसकी बड़े पैमाने पर स्थापना जल्द ही शुरू हो जाएगी.
सभी भौगोलिक परिस्थितियों से निपटने में कारगार
रेल मंत्री ने बताया कि कवच 4.0 सभी भौगोलिक परिस्थितियों जैसे पहाड़ी इलाकों, जंगल, तटीय और रेगिस्तानी क्षेत्रों आदि में सभी प्रकार की संचार चुनौतियों से निपटने में सक्षम होगा. ट्रेनों पर कवच का पहला फील्ड परीक्षण फरवरी 2016 में शुरू किया गया था. रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'कवच को अब तक दक्षिण मध्य रेलवे पर 1465 रूट किमी और 139 इंजनों (इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक सहित) पर तैनात किया जा चुका है.'