'NRI कोटा में रिश्तेदारों की जगह नहीं' पंजाब सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज में एडमिशन में एनआरआई (NRI) कोटा प्रणाली से जुड़ी पंजाब सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट कहा यह प्रणाली को धोखाधड़ी के अलावा कुछ नहीं है. अदालत ने कहा, एनआरआई कोटे के माध्यम कॉलेज में एडमिशन के लिए रिश्तेदारों को प्रवेश का लाभ नहीं दिया जा सकता.;

Curated By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 24 Sept 2024 3:43 PM IST

Supreme Court On NRI Quota: देश के सुप्रीम कोर्ट से पंजाब सरकार का बड़ा झटका लगा है. अदालत ने कॉलेज में एडमिशन में एनआरआई (NRI) कोटा प्रणाली से जुड़ी राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट कहा यह प्रणाली को धोखाधड़ी के अलावा कुछ नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय ने इस कोटे के जरिए एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश पाने के लिए संशोधित नियमों को रद्द कर दिया था.

इस संबंध में मंगलवार (24 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश एनआरआई कोटा दाखिले के लिए व्यापक परिभाषा का पालन कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, हर कोई उस परिभाषा का पालन कर रहा है जो मैं कह रहा हूं. इसलिए केवल मैं ही संकीर्ण परिभाषा के अंतर्गत आता हूं."

पैसा कमाने की रणनीति

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने वकील को जवाब दिया कि "आप कह रहे हैं कि एनआरआई के रिश्तेदारों पर भी विचार किया जाएगा. यह क्या है? यह तो राज्य द्वारा पैसा कमाने की एक रणनीति है." अदालत ने कहा, एनआरआई कोटे के माध्यम कॉलेज में एडमिशन के लिए रिश्तेदारों को प्रवेश का लाभ नहीं दिया जा सकता.

ये धंधा बंद हो-SC

चीफ जस्टिस ने कहा, हमें अब "हमें अब एनआरआई कोटा का यह धंधा बंद कर देना चाहिए! यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है. हम अपनी शिक्षा प्रणाली के साथ यही कर रहे हैं." उन्होंने कहा, "परिणाम देखिए, जिन लोगों को तीन गुना अधिक अंक मिले हैं, उन्हें प्रवेश नहीं मिलेगा." न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि सभी आवेदक भारत से हैं. "वे सिर्फ रिश्तेदार हैं, ताई (चाची), ताऊ (चाचा), चाचा, चाची."

किसके लिए यह कोटा?

कोर्ट ने एनआरआई कोटे का हकदार कौन है उसके बारे में बताया. इस कोटा प्राणाली का उद्देश्य मूल रूप से वास्तविक एनआरआई और उनके बच्चों को लाभ पहुंचाने के लिए था, जिससे उन्हें भारत में शिक्षा प्राप्त करने में मदद मिले. अब चाचा, चाची, दादा-दादी जैसे अन्य रिश्तेदारों को एनआरआई श्रेणी में शामिल करने के सरकार के कदम नीति के मूल उद्देश्य को कमजोर कर दिया. न्यायालय ने कहा, "परिभाषा को व्यापक बनाने से संभावित दुरुपयोग होना शुरू जाता है, जिससे नीति के उद्देश्य से बाहर के व्यक्ति इन सीटों का लाभ उठा सकते हैं, जिससे संभावित रूप से अधिक योग्य उम्मीदवार वंचित हो सकते हैं."

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