प्राइवेट सेक्टर में 15 सालों में प्रॉफिट बेहिसाब, लेकिन लोगों की सैलरी 'जस की तस', क्या कहती है रिपोर्ट?

Private Sector Job: चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी. अनंथा नागेश्वरन ने कॉर्पोरेट सम्मेलनों में अपने दो संबोधनों में फिक्की-क्वेस रिपोर्ट का जिक्र किया और सुझाव दिया कि भारतीय उद्योग जगत को अपने भीतर झांकने की जरूरत है और इस बारे में कुछ करने की जरूरत है.;

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Edited By :  सचिन सिंह
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Private Sector Job: प्राइवेट सेक्टर में मनमानी काम और बेहिसाब मुनाफा के बीच वहां काम कर रहे लोगों की सैलरी को लेकर एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है. इस साल जुलाई-सितंबर में आर्थिक विकास दर में भारी गिरावट के साथ 5.4 प्रतिशत पर आ जाने से नीति निर्माताओं में यह चिंता उत्पन्न हो गई है कि पिछले चार सालों में मुनाफे में 4 गुना वृद्धि के बावजूद कॉर्पोरेट सेक्टर में आय में कोई वृद्धि देखने को नहीं मिली है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी सूत्रों ने कहा कि कमजोर आय स्तर कम खपत का एक कारण है. ऐसा खासकर शहरी क्षेत्रों में है. रिपोर्ट में आगे बताया गया, 'कोविड के बाद दबी हुई मांग के साथ खपत बढ़ी लेकिन धीमी वेतन वृद्धि ने कोविड के पहले के पूर्ण आर्थिक सुधार के बारे में चिंता बढ़ा दी है.

कम नौकरी के कारण कम सैलरी पर काम करने की मजबूरी

16वें वित्त आयोग के सदस्य और भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने बताया कि कर्मचारी अब वेतन में कटौती का विरोध नहीं कर सकते हैं और कम दर पर भी काम करने को तैयार हैं, जो नौकरी की कमी को दिखाता है और श्रम उत्पादकता में धीमी वृद्धि का एक बड़ा कारण है.'

उन्होंने आगे कहा, 'यह भी भारत की कम गुणवत्ता वाली नौकरियों के उत्पादन की समस्या का एक हिस्सा है. भारत में वास्तव में एक बेहद कम रोजगार की समस्या है और हमें यह सुनिश्चित करने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियों का उत्पादन करना चाहिए कि खपत अधिक व्यापक हो.'

नौकरी में सृजन ही एकमात्र उपाय

एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस समस्या का समाधान तभी होगा, जब श्रम उत्पादकता (नौकरियों की बढ़ोत्तरी) अपने सही स्तर पर होगी. ये लोगों की आय बढ़ाने का काम तो करेगा ही, इसके अलावा राष्ट्र के विकास में महतावपूर्ण योगदान देगा.

कंपनी वालों का पक्ष

रिपोर्ट में कहा गया कि एक निवेशक को वृद्धि की जरूरत होती है और अगर कोई रिटर्न नहीं मिलता है तो लोग निवेश नहीं करेंगे या जोखिम नहीं लेंगे. ऐसे में इसका समाधान अधिक सैलरी बढ़ाना नहीं बल्कि उत्पादकता बढ़ाना है. अगर उत्पादकता अधिक है, तो भले ही आप अधिक पैमेंट करें, लेकिन लागत कम होगी. लोगों को अमीर बनाने का तरीका उत्पादकता बढ़ाना है और इससे वृद्धि में भी मदद मिलेगी.

फॉर्मल सेक्टर में है चैलेंजेज

फोर्ब्स मार्शल के सह-अध्यक्ष नौशाद फोर्ब्स ने इस मुद्दे को लेकर कहा, 'मुझे लगता है कि फॉर्मल सेक्टर में यह कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि कंपनियां कई सालों से हर साल 5-10 प्रतिशत वेतन वृद्धि की कोशिश कर रही हैं. चैलेंजेज फॉर्मल सेक्टर में है और यहीं चिंता है. उन्होंने कहा, 'इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण पहलू रोजगार सृजन और रोजगार सृजन की संख्या है. मुझे लगता है कि वर्कफोर्स के अधिक फॉर्मलाइजेशन पर नीतिगत ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.'

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