दशकों पुरानी विरासत का अंत! तो क्या खत्‍म हो जाएंगी कोलकाता की पहचान पीली टैक्‍सियां?

Kolkata Yellow Taxis: कोलकाता राज्य परिवहन विभाग के रिकार्ड के अनुसार वर्तमान में राज्य में लगभग 7,000 रजिस्टर्ड पीली टैक्सियां हैं. हालांकि, 15 साल की सेवा सीमा के कारण कोलकाता में 64 प्रतिशत से अधिक पीली टैक्सियां मार्च 2025 तक सड़कों से हट जाएंगी.;

Kolkata Yellow Taxis
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 23 Dec 2024 3:03 PM IST

Kolkata Yellow Taxis: यूं तो कोलकाता को उसकी कई खास चिजों के लिए जाना जाता है, लेकिन इसकी सड़को पर चलने वाली 'पीली टैक्‍सियां' दुनियाभर में मशहूर है. हालांकि, इसे लेकर एक दुख भरी खबर है कि अब जब आप 'सिटी ऑफ जॉय' में एंजाय करने जाएंगे, तो पीली टैक्‍सियों को शायद मिस करेंगे. इसका कारण है कि सरकार 80 प्रतिशत पीली टैक्सियों को बंद करने जा रही है.

1960 के दशक में पहली बार शुरू की गई पीली एंबेसडर टैक्सियां कोलकाता की पहचान बन गई और दशकों तक चलती रहीं. 1970 के दशक में सत्यजीत रे की 'कलकत्ता ट्रिलॉजी' से लेकर अपर्णा सेन की 1981 की फिल्म '36 चौरंगी लेन' और हाल ही में 2012 में विद्या बालन स्टारर 'कहानी' तक में इसकी झलक देखी जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर

सुप्रीम कोर्ट के 2009 के आदेश के बाद एंबेसडर कारों का उत्पादन लंबे समय से बंद है. इसका मतलब है कि मार्च 2025 तक शहर में मौजूद पीली टैक्सियां सड़क से गायब हो जाएंगी, जिसमें 7,000 से अधिक कारें शामिल है. सुप्रीम कोर्ट की ग्रीन बेंच ने आदेश दिया था कि 15 साल से ज़्यादा पुराने सभी कमर्शियल वाहनों को स्क्रैप कर दिया जाए.

मेट्रो और ऐप कैब की ओर लोग कर रहे हैं रूख

मेट्रो और ऐप-आधारित कैब के कारण जगह खोने के कारण यह चलती-फिरती विरासत अस्तित्व के लिए तरस रही है. राज्य सरकार की इसे नया रूप देने की योजना इसके विलुप्त होने को रोक सकती है. लोग अधिक आसान और सस्ता होने के कारण मेट्रो और ऐप-आधारित कैब की ओर जा रहे हैं, जिससे पीली टैक्‍सियों का अस्तित्व खतरे में हैं.

ममता सरकार भी नहीं बचा पा रही पीली टैक्‍सियां!

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने 2013 में कमर्शियल टैक्सी कैब के मॉडल को बदलकर मारुति स्विफ्ट डिजायर कर दिया. लेकिन इससे टैक्सी का रंग भी पीले से बदलकर नीला और सफेद हो गया. हालांकि, खबर है कि एक निजी कैब फर्म जल्द ही 2,000 नई पीली टैक्सियां शुरू करने वाली है. नई गाड़ियों के लॉन्च के लिए पुराने परमिट का इस्तेमाल किया जा सकता है.

कलकत्ता टैक्सी एसोसिएशन ने 1962 में दो रंगों पीला और काला में मानक टैक्सी मॉडल के रूप में एम्बेसडर को उतारा था. पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु के नेतृत्व वाली राज्य की तत्कालीन वामपंथी सरकार ने 1994 में राज्य में सभी टैक्सियों के लिए 'ऑल बंगाल परमिट' की घोषणा की.

1909 में चौरंगी रोड पर पहली बार दौड़ी टैक्सियां

फ्रांसीसी कार निर्माता कंपनी शेवरॉन की निर्मित पहली टैक्सी 1909 में चौरंगी रोड पर चली थी, इसके बाद इंडियन मोटर टैक्सी कैब एंड इंजीनियरिंग कंपनी की टैक्सियां ​​चलीं, जो अंग्रेजों के भारत छोड़ने के बाद बंद हो गईं. इसका किराया किराया 8 आने (50 पैसे) प्रति 1.60 किमी था.

1957 में हिंदुस्तान मोटर्स ने अपनी एम्बेसडर कार लॉन्च करके इस कमी को पूरा किया. इसका इस्तेमाल निजी वाहन और व्यावसायिक रूप से किया जाता था. एम्बेसडर का पहली सीरीज शहर के अंदर चलने के लिए काले और सफेद रंग का होता था और पीले रंग की कारें लंबी दूरी की यात्रा के लिए होती थीं.

Similar News