Ola Krutrim ने ले ली जान? 25 साल के इंजीनियर Nikhil Somwanshi की झील में लाश और सवालों की सुनामी

बेंगलुरु की Agara झील में मिली Ola के ML Engineer की लाश, सोशल मीडिया पर उड़ा Krutrim का toxic work culture… छुट्टी पर था, फिर टूटा क्यों? सोशल मीडिया ने कंपनी पर लगाए मानसिक शोषण के आरोप;

टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और जान चली गई...

बेंगलुरु की झील में मिली एक 25 साल के इंजीनियर की लाश… और पूरा इंटरनेट चिल्ला रहा है - Ola Krutrim का toxic work culture मार देता है.

नाम था निखिल सोमवंशी. उम्र सिर्फ़ 25 साल. Ola की AI कंपनी Krutrim में Machine Learning Engineer था. IITian नहीं, लेकिन जीनियस था. कम उम्र में बड़ी कंपनी में बड़ी पोस्ट. लेकिन 8 मई को उसकी लाश मिली Agara Lake में. और अगले ही दिन, सोशल मीडिया पर पोस्ट्स उड़ने लगे -

"Krutrim ने एक और जिंदगी खा ली..."

On Leave vs Toxic Work Culture

अब कंपनी क्या बोलेगी? वही बोला -

"निखिल तो छुट्टी पर था. उसने खुद अप्रैल 8 को leave ली थी, फिर अप्रैल 17 को extend भी किया. उसे आराम चाहिए था, हमने दे दिया."

लेकिन सवाल ये है -

अगर वो छुट्टी पर था, तो इतना टूटा क्यों था?

छुट्टी तो आराम देती है न?

या फिर वो छुट्टी किसी burnout से भागने की आखिरी कोशिश थी?

क्योंकि सोशल मीडिया पर जो लोग बोल रहे हैं, वो कुछ और ही कहानी सुना रहे हैं.

"Krutrim में pressure इतना है कि इंसान को इंसान नहीं, machine समझते हैं..."

"Deadline नहीं, Dead End मिलता है यहां..."

LinkedIn नहीं, अब TruthIn पोस्ट हो रही हैं!

एक viral पोस्ट में किसी ने लिखा -

Company ने उसे सिर्फ एक cog माना. वो थक चुका था. छुट्टी ली, लेकिन कोई emotional support नहीं था. Managers को फर्क नहीं पड़ता कि बंदा अंदर से क्या झेल रहा है.

ये वो बातें हैं जो आमतौर पर LinkedIn पर नहीं, TruthIn जैसी सोशल रियलिटी पर सामने आती हैं.

AI बना रहे हैं, लेकिन इंसानों को भूल रहे हैं?

Ola की ये AI कंपनी Krutrim... नाम है futuristic, काम है intelligent systems बनाना. लेकिन irony देखिए —

जहां artificial intelligence के नाम पर करोड़ों की funding हो रही है, वहीं real human emotions की कोई value नहीं बची.

Mental health क्या सिर्फ़ pamphlet में छपने वाली बात है?

क्या "Employee Wellness Program" सिर्फ़ HR की presentation का स्लाइड है?

Ola का जवाब – लेकिन सवाल जिंदा हैं

कंपनी ने एक statement जारी कर कहा -

"हम निखिल के परिवार के साथ हैं. वो हमारी टीम का अहम हिस्सा था. हमें उसकी मौत का गहरा दुख है."

लेकिन लोगों का सवाल साफ है -

मौत के बाद साथ क्या काम का? जब ज़िंदा था तब किसने सुना?

ये पहली बार नहीं है

Ola के खिलाफ toxic culture की बातें नई नहीं हैं.

2023 में भी एक senior engineer ने burnout की वजह से इस्तीफ़ा दे दिया था.

2024 में एक anonymous employee ने Reddit पर लिखा था - काम सुबह 9 से रात 11 तक चलता है. कोई personal life नहीं.

तो क्या निखिल की कहानी उसी system की अगली casualty है?

एक देश जो tech बना रहा है, लेकिन इंसानों को खो रहा है…

भारत tech revolution के दौर में है. Startups, AI, robotics… सब कुछ बन रहा है. लेकिन ये सवाल अब ज़्यादा ज़रूरी हो गया है -

हम AI बना लेंगे, लेकिन अगर हमारे engineer ही नहीं बच पाए, तो उस technology का क्या फायदा?

Mental health कोई luxury नहीं, ये ज़रूरत है. और जब तक कंपनियाँ सिर्फ़ productivity गिनती रहेंगी, और इंसानों को machine समझेंगी - तब तक ये हादसे होते रहेंगे.

शायद अब हमें एक नया KPI चाहिए -

कितने engineers आज सच में खुश हैं?

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