क्यों चर्चा में है जगन्नाथ मंदिर का आनंद बाजार? पढ़िए कहानी सदियों पुरानी
ओडिशा के जगन्नाथ पुरी के संरक्षण वाली दीवार मेघनाथ पेचरी को लेकर चिंता जताई जा रही है. इसे लेकर आनंद बाजार का नाम भी सामने आ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकी इस जगह पर श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है. वहीं अब इस पर मंदिर प्रशासन ने ASI से मदद की गुहार लगाई है.;
ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर और मंदिर के अंदर का क्षेत्र जिसे आनंद बाजार कहा जाता है. इस समय काफी सुर्खियां बटौर रहा है. दीवारों पर जम रही काई और मरम्मत की स्थिति लोगों के बीच तनाव पैदा कर रही है. आपको बता दें कि यह वही जगह है जहां भगवान जगन्नाथ मंदिर दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है.
वहीं मंदिर के पास की दीवार जो 'मेघनाद पचेरी' के नाम से प्रसिद्ध है. उसकी मरम्मत की चिंता व्यक्त की जा रही है. ऐसा इसलिए दीवारों पर पानी के कारण काई जम चुकी है. इस काई के कारण नमी बरकरार है. सही समय पर इसे ठीक नहीं कराया गया तो कुछ हिस्सों के ढहने की संभावना है. इसे लेकर चर्चा है. साथ ही श्रद्धालुओं और विशेषज्ञों और मंदिर अधिकारियों ने इसकी सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की है. वहीं अब इसके लिए मंदिर प्रशासन ने ASI की मदद मांगी है.
तत्काल जांच की लगाई गुहार
मंदिर प्रशासन के साथ-साथ मंदिर दर्शन करने आए श्रद्धालुओं ने ASI से इस मामले की जांच करने की मांग की है. 'मेघनाथ पेचरी' पर त्वरित संज्ञान लेते हुए और इसकी मरम्मत करने का आग्रह किया हैं. मंदिर प्रशासन और श्रद्धालुओं ने उम्मीद जताई कि ओडिशा की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के इस हिस्से को बचाने के लिए नीति तैयार की जाएगी.
सरकार ने दी प्रतिक्रिया ?
ओडिशा के कानून मंत्री ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम दरार के पीछे के कारण के संबंध में जांच कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ASI इस मरम्मत और डैमेज को कंट्रोल करने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा कि हम इसकी जांच करेंगे आखरिर दरार की स्थिती कैसे बनी? उन्होंने कहा कि ASI के मना करने पर कुछ ऐसा किया गया है. जिसपर प्रतिबंध लगाया गया था.
क्या है पौराणिक कथा?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु जब चार धाम की यात्रा के लिए निकले थे. तब सबसे पहले बद्रीनाथ पहुंचे थे. यहां पहुंचकर विष्णु भगवान ने स्नान किया. यहां से गुजरात गए जहां उन्होंने अपने वस्त्रों को बदला. गुजरात से भगवान ओडिशा पहुंचे. यहां ओडिशा में उन्होंने खाना खाया आखिर में भगवान विष्णु तमिलनाडु के रामेश्वरम पहुंचे, जहां उन्होंने आराम किया. हिंदू धर्म में धरती का बैकुंठ कहे जाने वाले जगन्नाथ पुरी को बेहद ही खास महत्व समझा जाता है. यहां भगवान श्री कृष्ण सुभद्रा और बलराम जी की रोज विधि-विधान के साथ पूजा होती है.