इस राज्‍य में अब नहीं चलेगा 'बच्‍चे दो ही अच्‍छे', सरकार ने क्यों लिया ये अहम फैसला?

आंध्र प्रदेश में पहले दो से अधिक बच्चे होने पर उम्मीदवार स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकते थे लेकिन राज्य सरकार ने अब इस नियम को खत्म कर दिया है. अब दो से अधिक बच्चे वाले उम्मीदवार भी चुनाव लड़ सकते हैं. सीएम नायडू ने कहा कि परिवार नियोजन के पिछले उठाए गए कदमों के सफल होने के बाद अब वक्त आ गया है कि महिलाओं व परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए.;

( Image Source:  canva )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 19 Nov 2024 4:13 PM IST

Andhra Pradesh: आंध्र प्रदेश सरकार ने दो बच्चे पैदा करने को लेकर अहम फैसला लिया है. पहले दो से अधिक बच्चे होने पर उम्मीदवार स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकते थे लेकिन सरकार ने अब इस नियम को खत्म कर दिया है. इस फैसले की हर ओर चर्चा हो रही है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार (18 नवंबर) को आंध्र प्रदेश सरकार ने एपी पंचायत राज (संशोधन) विधेयक, 2024 और एपी नगरपालिका कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया. सरकार ने उस नियम को खत्म कर दिया है, जिसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवार स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं. यानी अब दो से अधिक बच्चे वाले उम्मीदवार भी चुनाव लड़ सकते हैं.

क्या बोले सीएम नायडू

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस संबंध में अहम जानकारी दी. उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन के पिछले उठाए गए कदमों के सफल होने के बाद अब वक्त आ गया है कि महिलाओं व परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. उन्होंने कहा कि यह जरूरी भी है.

क्या है नया विधेयक?

नए विधेयक के मुताबिक आंध्र प्रदेश में प्रजनन दर लगातार कम होती जा रही है. सरकार ने महसूस किया कि जनसंख्या को नियंत्रित करने के मकसद से बनाए गए प्रावधानों को निरस्त करने से समावेशी शासन को बढ़ावा मिलेगा. आपको बता दें कि प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में कुल प्रजनन दर प्रति महिला 1.47 बच्चे तथा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति महिला 1.78 बच्चे है, जो कि रिप्लेसमेंट लेवल से बहुत कम हैं.

क्या था पुराना नियम?

आंध्र प्रदेश विधानसभा में तीस साल पहले यानी मई,1994 को एक विधेयक पारित किया गया था. जिसके तहत ग्राम पंचायतों, मंडल प्रजा परिषदों और जिला परिषदों के चुनाव लड़ने वालों के लिए 2 बच्चों का होना जरूरी कर दिया था. तब दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की अयोग्य माना जाता था. इस कानून का मकसद जनसंख्या पर नियंत्रण रखना था.

आंध्र प्रदेश में विवाह की आयु

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, आंध्र प्रदेश में अभी शादीशुदा 77 फीसदी महिलाएं (15-49 वर्ष) और 74 फीसदी पुरुष (15-49 वर्ष) अब और बच्चे नहीं चाहते हैं. या वे पहले से ही नसबंदी करवा चुके हैं, या उनके पति या पत्नी नसबंदी करवा चुके हैं. वहीं जो लोग दूसरा बच्चा चाहते हैं, उनमें से 22 प्रतिशत महिलाएं और 26 प्रतिशत पुरुष अगले बच्चे के जन्म से पहले कम से कम 2 साल तक इंतजार करना चाहते हैं. 91 प्रतिशत महिलाएं और 86 प्रतिशत पुरुष दो या उससे कम बच्चों वाले परिवार को आदर्श मानते हैं.

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