UNESCO की विश्व धरोहर लिस्ट में तेलंगाना का मुदुमल गांव! जानें 3500 साल पुरानी जगह की खासियत

UNESCO: यूनेस्को की लिस्ट में तेलंगाना के नारायणपेट के मुदुमल गांव में स्थित 3500 साल पुराने मेनहिर स्थल को शामिल किया गया है. मुदुमल अवशेष भारत के उन 6 जगहों में शामिल हैं, जिन्हें इस साल विश्व टैग के लिए यूनेस्को को सौंपा था. मुदुमल न सिर्फ अन्य प्रसिद्ध स्थलों से अपनी समानताओं के लिए बल्कि अपनी विशेषताओं के लिए भी अलग है.;

( Image Source:  @Nalanda_index )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 15 March 2025 12:04 PM IST

UNESCO: भारत में बहुत से प्राचीन स्थल है, जहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने आते हैं. विश्व के सात अजूबों में भारत के ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं. अब यूनेस्को ने विश्व धरोहर की नई लिस्ट जारी की है. इनमें देश की 6 जगहों के नाम भी शामिल हैं, जिनमें अशोकन शिलालेख स्थल, चौसठ योगिनी मंदिर जैसी टूरिस्ट प्लेस भी हैं, जो कई राज्यों में फैले हुए हैं.

यूनेस्को की लिस्ट में तेलंगाना के नारायणपेट के मुदुमल गांव में स्थित 3500 साल पुराने मेनहिर स्थल भी शामिल हैं. नई सूची 7 मार्च को जारी की गई थी. यूनेस्को में भारत ने गुरुवार को एक्स पोस्ट में लिखा कि अगर किसी संपत्ति को भविष्य में विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए चुना है तो विश्व धरोहर केंद्र की अस्थायी सूची में उसका नाम शामिल होना जरूरी है.

मुदुमल अवशेष लिस्ट में शामिल

मुदुमल अवशेष भारत के उन 6 जगहों में शामिल हैं, जिन्हें इस साल विश्व टैग के लिए यूनेस्को को सौंपा था. एक्सपर्ट का कहना है कि मुदुमल खगोल विज्ञान में महापाषाण मनुष्य की समझ के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक है. मुदुमल न सिर्फ अन्य प्रसिद्ध स्थलों से अपनी समानताओं के लिए बल्कि अपनी विशेषताओं के लिए भी अलग है. बता दें कि वर्तमान में तेलंगाना में सिर्फ रामप्पा मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है.

क्या है जगह की खासियत?

मुदुमल में प्राचीन पत्थर की संरचनाएं प्रचीन प्रथाओं पर प्रकाश डालती हैं, बल्कि दक्षिण एशिया के रात्रि आकाश के सबसे पुराने प्रतिनिधित्वों में से एक के रूप में भी काम करती हैं. दिसंबर 2024 में, डेक्कन क्रॉनिकल ने बताया कि इस महापाषाण स्थल को यूनेस्को से मान्यता दिलाने के प्रयास चल रहे हैं. प्रोफेसर केपी राव ने कहा कि वे मुदुमल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव पहले ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजा जा चुका है.

यह क्षेत्र 89 एकड़ में फैला हुआ है. इसमें लगभग 80 ऊंची (10-15 फीट ऊंची) पत्थर की संरचनाएं हैं जो व्यवस्थित हैं और लगभग 1500 पत्थर की संरचनाएं बनी हुई हैं. जैसे कि वृत्त, सीधी रेखाएँ और अन्य. लगभग 25 गोलाकार संरचनाएं हैं, जिनका व्यास 15-20 मीटर है. इनमें से बहुत सी संरचनाएं तब नष्ट हो गईं जब आस-पास के इलाकों में लिफ्ट सिंचाई परियोजना लाई गई. कृषि भूमि को फैलाने के लिए पत्थरों को हटा दिया गया.

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