मोदी सरकार की वॉटर स्ट्राइक! पाकिस्तान की तरफ जाने वाला पानी रोकने के लिए खुदेंगी नई नहरें

Indus Waters Treaty सस्पेंड होने के बाद भारत ने रणनीतिक मोर्चा खोलते हुए Chenab और दूसरी पश्चिमी नदियों का पानी divert करने की तैयारी शुरू कर दी है. रणबीर नहर का 120 किमी तक विस्तार, और नई नहरों के ज़रिए पाकिस्तान की पानी पर निर्भरता पर चोट की तैयारी;

भारत ने अब पाकिस्तान के खिलाफ अपनी रणनीति में एक और मोर्चा खोल दिया है - इस बार पानी का. जहां एक तरफ पाकिस्तान भारत में आतंकी गतिविधियों को हवा देता रहा है, वहीं मोदी सरकार ने अब ठान लिया है कि पाकिस्तान को Indus Waters Treaty के जरिए मिलने वाला पानी भी अब 'conditional' रहेगा. इसके तहत अब भारत पाकिस्तान को जाने वाले Indus जल को नई नहरों के ज़रिए डाइवर्ट करेगा, और इसका पहला बड़ा प्रोजेक्ट रणबीर नहर का विस्तार है.

Indus Waters Treaty: जो संधि अब इतिहास बनने जा रही है

भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुई Indus Waters Treaty एक ऐतिहासिक जल समझौता था, जिसमें Indus और उसकी सहायक नदियों का जल-वितरण तय किया गया था. लेकिन अब जब पाकिस्तान बार-बार आतंकवाद का सहारा लेकर भारत की शांति को चुनौती देता है, तो मोदी सरकार ने इस संधि को 'सस्पेंड' कर दिया है. यह सिर्फ एक संधि का अंत नहीं, बल्कि एक नई रणनीतिक सोच की शुरुआत है.

अब Chenab, Jhelum और Indus की धार मोड़ेगा भारत

Indus जल प्रणाली की पश्चिमी नदियां – Chenab, Indus और Jhelum, जो Treaty के तहत पाकिस्तान को जाती थीं, अब भारत खुद इस्तेमाल करेगा. मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि अब ये नदियां सिर्फ बहेंगी नहीं, बल्कि भारत की ताक़त बनेंगी. इनका पानी अब भारत की खेती, ऊर्जा और रणनीतिक ज़रूरतों में काम आएगा.

रणबीर नहर का मेगा प्लान: 60 से सीधे 120 किलोमीटर तक विस्तार

सरकार की इस नई योजना का केंद्र बिंदु है - रणबीर कैनाल का विस्तार. फिलहाल जम्मू-कश्मीर में स्थित ये नहर Chenab नदी से जुड़ी हुई है और लगभग 60 किलोमीटर लंबी है. अब इसे 120 किलोमीटर तक बढ़ाने का प्लान है. इस विस्तार से ज़्यादा खेती योग्य भूमि को पानी मिलेगा और साथ ही पाकिस्तान की तरफ जाने वाले जल प्रवाह को redirect किया जा सकेगा.

3000+ मेगावॉट हाइड्रोपावर का नया लक्ष्य

सरकार केवल सिंचाई पर नहीं, बल्कि हाइड्रोपावर क्षमता को भी बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. सूत्रों के अनुसार, Chenab और दूसरी नदियों पर लगभग 3000 मेगावॉट से ज्यादा बिजली उत्पादन की feasibility study शुरू हो चुकी है. यह भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम है.

Kathua, Ravi और Paragwal में तेज़ी से चल रहा है desilting

न सिर्फ नई नहरें बनाई जा रही हैं, बल्कि पुरानी नहरों की सफाई (desilting) का काम भी ज़ोरों पर है. Kathua, Ravi और Paragwal जैसी मुख्य नहरों को तैयार किया जा रहा है ताकि जल प्रवाह को redirect करने में कोई बाधा न आए. सभी विभागों को आदेश है कि permissions से लेकर construction तक सब कुछ fast-track mode में किया जाए.

पानी अब प्रकृति नहीं, डिप्लोमैसी का हिस्सा है

आज पानी सिर्फ एक नैचुरल रिसोर्स नहीं है, बल्कि यह बन चुका है राजनयिक दबाव का उपकरण. जिस तरह पाकिस्तान आतंकवाद को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है, वैसे ही अब भारत अपने जल संसाधनों को geopolitical leverage के तौर पर इस्तेमाल करेगा.

मोदी सरकार का ये कदम कोई isolated डेवलपमेंट प्रोजेक्ट नहीं है - ये एक क्लियर पॉलिटिकल और स्ट्रैटेजिक सिग्नल है. भारत अब पुरानी treaties की बंदिशों में नहीं बंधेगा, ख़ासकर तब जब पड़ोसी देश 'विश्वासघात' और 'आतंक' को अपनी नीति बना चुका हो.

New India अब अपने जल, जमीन और जन की सुरक्षा में कोई समझौता नहीं करेगा.

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