जब महिला शक्ति ने पहाड़ों को चीरा, जानें चिनाब ब्रिज की 'साइलेंट हीरो' डॉ. माधवी लता के बारे में
चिनाब ब्रिज सिर्फ एक रेलवे पुल नहीं है. यह आधुनिक भारत की इंजीनियरिंग शक्ति, संकल्प और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. इस पुल को बनाने में डॉ. माधवी लता ने अहम भूमिका निभाई. वह इस प्रोजेक्ट की जियोटेक्निकल कंसल्टेंट थीं.;
चिनाब ब्रिज जम्मू और कश्मीर के रियासी ज़िले में बना है. यह पुल चिनाब नदी पर खड़ा किया गया है और यह भारत के उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इसकी ऊंचाई नदी के तल से 359 मीटर (1,178 फीट) है, जो पेरिस के एफिल टॉवर से भी करीब 35 मीटर ऊंचा है. इसे बहुत ही कठिन भौगोलिक और मौसमीय परिस्थितियों में बनाया गया है.
इस ब्रिज को बनाने में डॉ. माधवी लता ने अहम भूमिका निभाई, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की नई पहचान साबित की है. कहानी शुरू होती है आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव येडुगुंडलपाडु से. यहीं जन्मी थीं डॉ. माधवी लता. एक साधारण परिवार की असाधारण बेटी हैं. चलिए जानते हैं डॉ. माधवी लता के बारे में.
शिक्षा बनी उड़ान की पहली सीढ़ी
1992 में माधवी लता ने JNTU से बीटेक किया. इसके बाद NIT वारंगल से गोल्ड मेडल के साथ एमटेक पूरा किया और फिर IIT मद्रास से पीएचडी की डिग्री हासिल की. उनकी लगन का नतीजा यह हुआ कि वह देश के सबसे बड़े रिसर्च संस्थानों में से एक IISc बेंगलुरु में प्रोफेसर बन गईं.
17 साल तक एक ब्रिज से जुड़ा जुनून
साल 2005 में जब दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल चिनाब ब्रिज का निर्माण शुरू हुआ, तो डॉ. माधवी लता इस मिशन की अहम कड़ी बन गईं. वे इस प्रोजेक्ट की जियोटेक्निकल कंसल्टेंट रहीं. यानी जमीन की बनावट, मिट्टी, चट्टानों और जोखिमों का गहराई से अध्ययन करके इंजीनियरों को गाइड करना उनका काम था. यह पुल किसी आसान जगह पर नहीं बन रहा था. जम्मू और कश्मीर की दुर्गम घाटियों में जहां हर कदम चुनौती था. लेकिन डॉ. लता ने 2005 से 2022 तक लगातार इस प्रोजेक्ट में अपना योगदान दिया.
सम्मान की हक़दार, लेकिन दिखावा नहीं
डॉ. माधवी लता ने कभी सुर्खियों में आने की कोशिश नहीं की, फिर भी उनकी मेहनत को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सका. साल 2021 में उन्हें बेस्ट वुमन जियोटेक्निकल रिसर्चर का अवार्ड मिला. इसके बाद अगले साल 2022 में वे भारत की 75 सबसे प्रभावशाली महिला वैज्ञानिकों में शामिल की गईं.
चिनाब ब्रिज है एक जज़्बे की कहानी
चिनाब ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं है. यह उन गुमनाम नायकों की पहचान है, जिन्होंने बिना शोर किए देश के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया. डॉ. माधवी लता ने साबित किया कि महिला सशक्तिकरण नारों से नहीं, कर्म से होता है. उन्होंने दिखा दिया कि जब एक महिला ठान ले, तो वह पर्वत भी हिला सकती है या फिर दुनिया का सबसे ऊंचा पुल खड़ा कर सकती है.