महाराष्ट्र के चाणक्य कहे जाने वाले फडणवीस जिनकी राजनीति और कूटनीति ने मराठा साम्राज्य को बचाया
नाना फडणवीस, मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री, ने अपने कूटनीतिक कौशल से न सिर्फ मराठा साम्राज्य को सशक्त किया, बल्कि अंग्रेजों और निजाम को भी मात दी. जानिए नाना फडणवीस की कहानी और उनका योगदान;
महाराष्ट्र में 10 दिन के लंबे इंतजार के बाद, आखिरकार सूबे को नया मुख्यमंत्री मिल ही गया. भाजपा के स्टार नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया, और इस पर बुधवार को मुहर लग गई. उनके साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार डिप्टी सीएम के रूप में कार्यभार संभालेंगे. फडणवीस 5 दिसंबर को मुंबई के ऐतिहासिक आज़ाद मैदान में शपथ लेंगे. लेकिन, जैसे ही यह खबर महाराष्ट्र की गलियों में फैली, सोशल मीडिया पर फडणवीस की तुलना एक और नेता से की जाने लगी... 'नाना फडणवीस'. वही नाना फडणवीस, जिनका नाम आज भी मराठा इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाता है.
सोशल मीडिया पर फडणवीस की तुलना नाना से की जा रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नाना फडणवीस कौन थे? उनका इतिहास क्या था? क्यों उन्हें 'मराठा साम्राज्य का चाणक्य' कहा जाता था? आइए, जानते हैं नाना फडणवीस की कहानी, एक ऐसी कहानी जो पूरी दुनिया को राजनीति और कूटनीति के असली मायने सिखाती है.
नाना फडणवीस का शुरुआती जीवन
नाना फडणवीस का जन्म 1742 में पुणे के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनका असली नाम दामोदर पंत था, लेकिन समय के साथ उन्हें 'नाना फडणवीस' के नाम से जाना जाने लगा. उनका परिवार मराठा साम्राज्य के महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर था, जिससे नाना को बचपन से ही राजनीतिक माहौल में पला-बढ़ा. उनके पिता, मोरेश्वर पंत, भी मराठा साम्राज्य के एक उच्च अधिकारी थे, और उन्होंने नाना को राजनीति और शासन के गुर सिखाए.
नाना फडणवीस का राजनीतिक करियर
नाना फडणवीस का राजनीतिक करियर 1774 में शुरू हुआ, जब उन्हें पेशवा बालाजी राव (नाना साहेब) के प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. उस समय मराठा साम्राज्य संकट में था. पेशवा की अल्पायु और कमजोर स्थिति के कारण राज्य की शासन व्यवस्था अस्थिर हो गई थी. नाना फडणवीस ने अपनी कूटनीतिक बुद्धिमत्ता और प्रशासनिक क्षमता से राज्य को पुनः सशक्त किया. उन्होंने पेशवा की कमजोरियों का लाभ उठाने के बजाय, मराठा साम्राज्य को फिर से एकजुट किया और उसे बाहरी और आंतरिक दोनों तरह के खतरों से बचाया.
नाना फडणवीस की कूटनीतिक चतुराई
नाना फडणवीस को 'मराठा चाणक्य' और 'मशवाला मचावेला' जैसे उपनामों से नवाजा गया. इतिहासकार जेम्स ग्रांट डफ ने उन्हें ‘Maratha Machiavelli’ यानी 'मराठा माचिएवेली' कहा, जो उनके राजनीतिक कौशल और कूटनीतिक समझ का परिचायक है. उनकी कूटनीतिक चातुर्य का सबसे बड़ा उदाहरण उस समय के अंग्रेजों और निजाम के खिलाफ उनकी रणनीतियाँ थीं. नाना ने अंग्रेजों के बढ़ते प्रभाव को कमजोर किया और मराठा साम्राज्य के लिए एक स्थिर राजनीति की दिशा तय की.
नाना फडणवीस ने 1775 में इंग्लैंड के साथ 'पुणे संधि' की, जो मराठा साम्राज्य के लिए महत्वपूर्ण थी. इस संधि के जरिए नाना ने अंग्रेजों के साथ एक अस्थायी समझौता किया, जो बाद में मराठों के लिए फायदेमंद साबित हुआ. इसी दौरान नाना ने मराठा साम्राज्य के अन्य शक्तिशाली राज्यांशों को भी एकजुट किया और उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ एक साझा मोर्चा बनाने के लिए प्रेरित किया.
नाना का संघर्ष और ब्रिटिश चुनौती
नाना फडणवीस की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने मराठा साम्राज्य को अंग्रेजों के बढ़ते प्रभाव से बचाने के लिए अपनी सारी ताकत झोंक दी. 1800 के दशक के शुरुआती दिनों में, नाना ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ कई अहम युद्धों में नेतृत्व किया. इन युद्धों में उनकी कूटनीतिक सफलता और सैन्य रणनीति ने अंग्रेजों को कई बार पीछे धकेला. उनका यह संघर्ष मराठा साम्राज्य की रक्षा में एक मील का पत्थर साबित हुआ.
नाना फडणवीस की विरासत
नाना फडणवीस का योगदान मराठा साम्राज्य में अद्वितीय था. उनके नेतृत्व में मराठा साम्राज्य ने कई कठिनाइयों को पार किया और शत्रुओं के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत की. उनके द्वारा किए गए प्रशासनिक सुधार, उनके सैन्य निर्णय, और उनकी कूटनीति मराठा साम्राज्य को एक स्थिर और मजबूत स्थिति में लेकर आई. उनके योगदान को आज भी मराठा इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में गिना जाता है.
नाना फडणवीस की कूटनीतिक समझ और उनकी राजनीतिक स्थिरता का आज भी अध्ययन किया जाता है. उनका जीवन न केवल मराठा साम्राज्य के लिए, बल्कि पूरे भारतीय राजनीतिक इतिहास में एक प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है. उनका नाम हमेशा उन नेताओं में रहेगा जिन्होंने अपने समय में कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपनी नीतियों से राज्य को संभाला और राष्ट्र के हित में कार्य किया.
नाना का निधन और उनका प्रभाव
नाना फडणवीस का निधन 1800 में हुआ, लेकिन मराठा साम्राज्य पर उनका प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है. उनके द्वारा बनाए गए प्रशासनिक ढांचे और कूटनीतिक रणनीतियों ने मराठा साम्राज्य को एक नई दिशा दी. उनके योगदान के बिना मराठा साम्राज्य उतना मजबूत नहीं बन पाता जितना वह हुआ.
नाना फडणवीस के योगदान को केवल मराठा साम्राज्य ही नहीं, बल्कि समूचे भारतीय राजनीतिक इतिहास ने माना है. उनकी रणनीतिक सोच और राजनीतिक विवेक ने न केवल मराठा साम्राज्य को बचाया, बल्कि भारतीय राजनीति में एक स्थिर और न्यायपूर्ण शासन के निर्माण की दिशा भी दिखलायी.