कौन हैं मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल- चुनाव नहीं लड़ने के उनके फैसले का क्‍या होगा असर?

Manoj Jarange Patil: मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने महाराष्ट्र चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया है. उनके चुनाव से हटने के फैसले से 20 नवंबर को होने वाले चुनाव में महा विकास अघाड़ी को फायदा होने की संभावना है.;

Manoj Jarange Patil(Image Source:  ANI )
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 4 Nov 2024 12:36 PM IST

Manoj Jarange Patil: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 10 से 15 उम्मीदवारों का समर्थन करने की घोषणा की थी. लेकिन अब उन्होंने यू-टर्न लेते हुए चुनाव में भाग नहीं लेने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि वह चुनाव में भाग नहीं लेंगे.

मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि उन्होंने चर्चा की और निष्कर्ष निकाला कि वह केवल उन लोगों के खिलाफ काम करेंगे जो मराठों को न्याय नहीं देते हैं. उन्होंने कहा, 'काफी विचार-विमर्श के बाद मैंने राज्य में कोई भी उम्मीदवार न उतारने का फैसला किया है. मराठा समुदाय खुद तय करेगा कि किसे हराना है और किसे चुनना है? मेरा किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल से कोई संबंध या समर्थन नहीं है.'

जरांगे के यू-टर्न से किसे फायदा?

मनोज जरांगे-पाटिल के चुनाव से हटने के फैसले से शिवसेना (UBT), कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के महा विकास अघाड़ी को फायदा होने की संभावना है क्योंकि इससे भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा रुक जाएगा. इस साल की शुरुआत में हुए आम चुनाव में महाराष्ट्र में एनडीए के खराब प्रदर्शन के पीछे मराठा वोटों को एक अहम फैक्टर के तौर पर देखा गया था.

कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल?

1 सितंबर 2023 तक मनोज जरांगे पाटिल को कोई नहीं जानता था, लेकिन इस दिन हुई एक घटना ने उन्हें महाराष्ट्र ही नहीं देश को चर्चित नाम बना दिया. 1 सितंबर को पुलिस लाठीचार्ज ने सब कुछ बदल दिया. पाटिल 29 अगस्त 2023 से अतरावली-सरते गांव में भूख हड़ताल पर थे, जो मराठा आरक्षण की मांग कर रहे थे. जरांगे-पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र बीड जिले के रहने वाले थे, जो शादी के बाद जालना जिले के शाहगढ़ में बस गए.

जरांगे-पाटिल करीब 15 साल पहले सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के आंदोलन में शामिल हुए. उन्होंने कई विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया और अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी चार एकड़ में से 2.5 एकड़ कृषि भूमि भी बेच दी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आरक्षण

कांग्रेस के लिए शुरू में काम करने के बाद जरांगे-पाटिल ने मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए शिवबा संगठन नामक एक संगठन की स्थापना की. 2021 में सुप्रीम कोर्ट के मराठा आरक्षण कोटा रद्द करने के बाद जरांगे-पाटिल ने विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनों में भाग लिया, जिसमें जालना जिले के साष्ट-पिंपलगांव में तीन महीने का आंदोलन भी शामिल था. इस आंदोलन में सैकड़ों लोग उनके साथ एकजुट हुए.  

आंदोलन के चौथे दिन पुलिस की एक टुकड़ी ने उन्हें जबरन अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की. पुलिस और जरांगे-पाटिल के समर्थकों के बीच झड़प हुई. लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले और पुलिस की बर्बरता के सुर्खियों में आने के बाद अब तक नहीं जानने वाले मराठा कार्यकर्ता राजनीतिक सुर्खियों में छा गए. वह सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं.  

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