विधानसभा चुनाव में इन 10 चेहरों पर रहेगी नजर, कांटे की टक्‍कर देते दिखेंगे प्रत्याशी

हर किसी के मन में यह सवाल है कि महाराष्ट्र और झारखंड में अगली सरकार किसकी बनेगी. दोनों राज्यों में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. आइये जानते हैं कि दोनों राज्यों में कौन सी ऐसी सीटें हैं जिसपर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी. साथ ही कौन से ऐसे चेहरे हैं जो कड़ा मुकाबला दे सकता है.;

Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 20 Nov 2024 7:01 AM IST

महाराष्ट्र की सभी विधानसभा सीटों और झारखंड के दूसरे चरण की सीटों के लिए मतदान बुधवार 20 नवंबर को होगा. दोनों राज्यों में मतों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी. चुनावी मैदान में सभी दलों ने मतदाताओं को अपनी ओर खींचने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.

हर किसी के मन में यह सवाल है कि महाराष्ट्र और झारखंड में अगली सरकार किसकी बनेगी. दोनों राज्यों में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. आइये जानते हैं कि दोनों राज्यों में कौन सी ऐसी सीटें हैं जिसपर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी. साथ ही कौन से ऐसे चेहरे हैं जो कड़ा मुकाबला दे सकता है.

महाराष्ट्र में एक चरण में मतदान होना है. महाराष्ट्र की जनता 20 नवंबर को विधानसभा की 288 सीटों के लिए वोटिंग करेगी. यहां की इन पांच सीटों पर कड़ी टक्कर है. इनमें सीएम और डिप्टी सीएम जैसे चेहरे हैं.

बारामती सीट पर चाचा vs भतीजा

बारामती सीट को पवार परिवार का गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार पवार परिवार के भीतर ही कड़ा मुकाबला हो रहा है. इस सीट से अजित पवार के खिलाफ शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार चुनावी मैदान में हैं. 1991 से लगातार सात बार इस सीट से विधायक रह चुके अजित पवार को बारामती में अजेय माना जाता है. युगेंद्र अजित पवार के भतीजे हैं.

चौथी बार चुनावी मैदान में देवेंद्र

नागपुर साउथ वेस्ट विधानसभा सीट से डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस लगातार चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के नेता प्रफुल्ल गुडधे से है. नागपुर साउथ वेस्ट से 2009 से विधायक रहे फडणवीस ने 2019 में 49,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. कांग्रेस के प्रफुल्ल गुडधे स्थानीय मुद्दों और शहरी बुनियादी ढांचे की खामियों को उठाकर चुनावी मैदान में उतरे हैं.

  गुरु के भतीजे से शिंदे का मुकाबला

कोपरी-पाचपाखाडी (ठाणे) सीट पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके राजनीतिक गुरु और दिवंगत शिवसेना नेता आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे के बीच मुकाबला है. अपने राजनीतिक गुरु आनंद दिघे के नाम पर मराठी फिल्म 'धर्मवीर' का निर्माण कर चुके शिंदे इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत मानते हैं और उनका मानना है कि स्थानीय मतदाताओं के बीच उनका प्रभाव स्पष्ट है. आनंद दिघे के पारिवारिक और भावनात्मक जुड़ाव के कारण केदार दिघे को स्थानीय मराठी मतदाताओं का समर्थन मिल सकता है.

 

मिल सकती है जनता की सहानुभूति

मुंबई की बांद्रा ईस्ट सीट पर कांग्रेस छोड़कर अजित पवार की पार्टी एनसीपी में शामिल हुए जीशान सिद्दीकी का मुकाबला शिवसेना (उद्धव) के वरुण सरदेसाई से है. हाल ही में बाबा सिद्दीकी की हत्या हो जाने के कारण यह सीट सुर्खियों में है, और ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि जीशान सिद्दीकी को जनता की सहानुभूति मिल सकती है.

वर्ली में होगा त्रिकोणीय मुकाबला

मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस सीट पर शिवसेना (उद्धव) के मौजूदा विधायक और प्रत्याशी आदित्य ठाकरे एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं, जबकि शिवसेना (शिंदे) की ओर से मिलिंद देवड़ा ने ताल ठोकी है. वहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के संदीप देशपांडे भी इस सीट पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं.

झारखंड के दूसरे चरण के मुकाबले में खुद हेमंत सोरेन की किस्मत का फैसला होने वाला है. इसके अलावा धनवार सीट से उम्मीदवार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, गांडेय सीट से उम्मीदवार कल्पना सोरेन, जामताड़ा से सीता सोरेन और सरायकेला से उम्मीदवार चंपई सोरेन का कड़ा मुकाबला देखने को मिला है.

बरहेट से मैदान में हैं सीएम

हेमंत सोरेन झारखंड की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं और वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री हैं. बरहेट विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने के इरादे से चुनावी मैदान में उतरे हैं. उन्होंने इस सीट से 2014 और 2019 में जीत हासिल की थी. इस बार भाजपा ने गमालियेल हेम्ब्रम को उनके खिलाफ उम्मीदवार बनाया है. दिलचस्प बात यह है कि गमालियेल ने पिछले चुनाव में आजसू पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन तब उन्हें मात्र 2,500 वोट ही मिले थे. 

जामताड़ा में किसे मिलेगी जीत?

जामताड़ा विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस के इरफान अंसारी और भाजपा की सीता सोरेन के बीच कड़ा मुकाबला है. इरफान अंसारी ने 2014 और 2019 के चुनाव में इस सीट से जीत दर्ज की थी. दिलचस्प बात यह है कि उनके पिता फुरकान अंसारी भी जामताड़ा के विधायक रह चुके हैं. दूसरी ओर, सीता सोरेन जो पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में थीं, इस बार पार्टी बदलकर भाजपा के टिकट पर जामताड़ा से चुनाव लड़ रही हैं. बता दें, सीता सोरेन, हेमंत सोरेन की भाभी हैं. 

सरायकेला में फिर से होगा मुकाबला

2024 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर चंपई सोरेन और गणेश महाली के बीच मुकाबला होने जा रहा है. 2014 के विधानसभा चुनाव में चंपई सोरेन को 94,746 वोट मिले थे, जबकि गणेश महाली को 93,631 वोट मिले थे. यह मुकाबला महज 1,115 वोटों से चंपई सोरेन के पक्ष में गया था. पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने झामुमो को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है और गणेश महाली भाजपा छोड़कर झामुमो में शामिल हो गए हैं.

धनवार में दांव पर प्रतिष्ठा

धनवार विधानसभा सीट पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा दांव पर है. इस सीट पर जेएमएम और माले के बीच दोस्ताना संघर्ष है. 2019 के विधानसभा चुनाव में धनवार से बाबूलाल मरांडी ने 52352 वोट के साथ जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी के लक्ष्मण प्रसाद सिंह को 34802 वोट मिले थे. जेएमएम ने यहां से पूर्व विधायक निजामुद्दीन अंसारी को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि माले के पूर्व विधायक राजकुमार यादव भी चुनाव मैदान में हैं. 

स्टार प्रचारक का कड़ा मुकाबला

झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन की सियासी किस्मत भी दांव पर लगी है. कल्पना सोरेन गांडेय विधानसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की प्रत्याशी हैं, जबकि भाजपा ने इस सीट से मुनिया देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन ने राजनीति में कदम रखा और इस सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचीं.

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