क्या होता है चिल्लई कलां, जिससे कश्मीर में 40 दिनों तक पड़ती है जानलेवा ठंड?
कश्मीर में 40 दिन की खतरनाक ठंड पड़ती है, जहां जमकर बर्फबारी होती है. इस दौरान झीलें जम जाती हैं. चारों ओर केवल बर्फ ही बर्फ नजर आती है. कश्मीर में तीन तरह की ठंड पड़ती है, जो फरवरी के अंत में खत्म होती है.;
जम्मू-कश्मीर में कड़ाके की ठंड पड़ती है. सर्दी का आलम इस कदर है कि बर्फबारी और सर्द हवाएं थमने का नाम नहीं लेते हैं. इतना ही नहीं, यहां तापमान माइनस चला जता है. इसके चलते झीलें जम जाती हैं और चारों तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आती है. मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को कश्मीर में 40 दिनों की सबसे खतरनाक सर्दी का टाइम चिल्लई कलां की शुरुआत हो चुकी है.
श्रीनगर में पिछले पांच दशकों में दिसंबर की सबसे ठंडी रात रही, जहां तापमान शून्य से 8.5 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा.इस महीने में श्रीनगर का अब तक का सबसे कम न्यूनतम तापमान 13 दिसंबर 1934 को शून्य से 12.8 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया था. इस दौरान सोनमर्ग और गुलमर्ग में भारी बर्फबारी होती है. अब सवाल यह है कि आखिर चिल्लई कलां क्या है?
क्या है चिल्लई कलां?
चिल्लई कलां का मतलब चालीस दिन होता है. इसे कश्मीर में चिल्लाई कलां कहा जाता है. इस दौरान सबसे ज्यादा ठंड पड़ती है, जो हर 21 दिसंबर से 29 जनवरी तक रहता है. इस समय में जमकर बर्फ पड़ती है. कश्मीर में इस 40 दिन की अवधि के दौरान रातें सर्द होती हैं और दिन का तापमान सिंगल डिजीट में रहता है.
चिल्लई कलां में बर्फबारी से होता है बुरा हाल
चिल्लई कलां के दौरान कश्मीर घाटी में मौसम ठंडा रहता है. इस समय बर्फ जम जाती है, जो घाटी के ग्लेशियरों में जुड़ती है और गर्मियों के महीनों के दौरान कश्मीर में नदियों, झरनों और झीलों को पानी देने वाले बारहमासी जलाशयों को भर देती है.
तीन तरह की होती है सर्दी?
कश्मीर में तीन तरह की सर्दी पड़ती है. चिल्ला-ए-कलां के बाद 20 दिन लंबा चिल्ला-ए-खुर्द सर्दी पड़ती है. यह ठंड 30 जनवरी से 18 फरवरी के बीच पड़ती है. इसके बाद 10 दिन लंबा चिल्ला-ए-बाचे सर्दी आती है, जो 19 फरवरी से 28 फरवरी तक होती.
चिल्लई कलां कश्मीरियों के रोजाना जिंदगी पर असर डालता है. इस दौरान फेरन और कांगेर नामक एक पारंपरिक कोयला जलाने वाले बर्तन का उपयोग बढ़ जाता है. माइनस तापमान होने के चलते नल के पानी की पाइपलाइनें जम जाती है.