कोर्ट रूम, जज और वीडियो कॉल पर फैसला! 59 लाख रुपये की ठगी, जानिए साइबर फ्रॉड की नायाब कहानी

Bengaluru Cyber fraud:'कोर्टरूम ड्रामा' वह है जिसे आप शायद रील-लाइफ में जानते होंगे, लेकिन अगर कभी कोई 'कोर्टरूम ड्रामा' होता है जो बिल्कुल वास्तव होता जो हर किसी को हैरान कर देता. इसी 'कोर्टरूम ड्रामा' के जरिए एक शख्स के साथ ऑनलाइन ठगी को अंजाम दिया गया है. इस ठगी ने बेंगलुरु के शख्स को बड़ा चुना लगाया है.;

Bengaluru Cyber fraud
by :  सचिन सिंह
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Bengaluru Cyber fraud: ऑनलाइन फ्रॉड की कई कहानियां तो आपने सुनी ही होंगी, लेकिन आज हम आपको साइबर फ्रॉड की एक नायाब कहानी बताने जा रहे हैं. इसमें भारत के जज से लेकर ट्राई के अधिकारी तक हैं, लेकिन ये भी एक झूठे किरदार में हैं, जिन्होंने फ्रॉड की इस सच्ची घटना को अंजाम दिया है. इसका शिकार बेंगलुरु का एक शख्स हुआ, जिसने अपने खाते से 59 लाख रुपये गंवा दिए.

ऑनलाइन फ्रॉड के पीड़ित बेंगलुरु की सीवी रमन नगर निवासी और एक कंपनी के 59 वर्षीय कार्यकारी अधिकारी केजे राव हैं. उनकी शिकायत के मुताबिक, 12 सितंबर को सुबह करीब 11 बजे उन्हें एक वीडियो कॉल आया. कॉल करने वाले ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी होने का दावा किया. उन्होंने बताया कि उसने मुझे बताया कि मेरे सभी मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिए जाएंगे और अधिक जानकारी के लिए मुझे 9 दबाने को कहा. 9 दबाने पर कॉल डायवर्ट हो गई.

अपराधी कर रहे थे इंग्लिश में बात

शिकायतकर्ता ने आगे कहा, 'मुझे मुंबई के कोलाबा स्थित पुलिस की तथाकथित अपराध शाखा से एक कॉल आई, जिसमें बताया गया कि मेरे आधार कार्ड का इस्तेमाल केनरा बैंक में खाता खोलने के लिए किया गया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग के लिए जांच के दायरे में है. इसके बाद कॉल को एक तथाकथित सीबीआई अधिकारी से जोड़ा गया.' इस दौरान सभी अपराधी इंग्लिश में ही बात कर रहे थे.

शिकायतकर्ता के मुताबिक, 'फिर अधिकारी ने फर्जी कोर्ट रूम और जज को कॉल पर जोड़ा. कोर्ट ने उनके सभी पैसे को ट्रांसफर करने का आदेश दिया, जिसमें फिक्स्ड डिपॉज़िट, बैंक खाते और म्यूचुअल फ़ंड में जमा पैसे शामिल हैं. उन्होंने बताया, 'पूरी रात मुझे बंधक बनाए रखा गया और मुझे पैसे ट्रांसफर करने के लिए बैंक जाने के लिए मजबूर किया गया.' अगले दिन राव ने 50 लाख और 9 लाख रुपए दो अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए.

पैसे देने के बाद धोखाधड़ी का हुआ अहसास

बदमाशों ने 13 सितंबर को दोपहर 2.30 बजे के आसपास स्काइप कॉल काट दी, जब राव बैंक से निकल चुके थे. तभी उन्हें एहसास हुआ कि उनके साथ धोखा हुआ है और वे इंदिरानगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे. मामले को लेकर एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'जज के फर्जी आदेश के बाद साइबर अपराधियों ने व्यक्ति को यह कहकर फुसलाया कि वे अदालत को संभाल लेंगे और उससे पैसे ट्रांसफर करने को कहा.'

पुलिस ने दर्ज किया मामला

ईस्ट सीईएन पुलिस ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 (सी) (पहचान की चोरी) और 66 (डी) (कंप्यूटर संसाधन का उपयोग करके धोखाधड़ी) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 318 (4) (धोखाधड़ी करना और इस तरह बेईमानी से धोखा दिए गए व्यक्ति को कोई संपत्ति देने के लिए प्रेरित करना) के तहत मामला दर्ज किया .

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