'बिनाका गीतमाला' पर क्‍या था किशोर कुमार-इंदिरा गांधी विवाद, जिसका अमित शाह ने किया जिक्र?

Kishore Kumar-Indira Gandhi Controversy: 'बिनाका गीतमाला' अपने समय का सबसे मशहूर रेडियो कार्यक्रम था. इसमें हर रोज पूरा देश किशोर कुमार के गाने सुनता था, लेकिन ये सिलसिला तब थम गया जब देश में 'इमरजेंसी' लगाई गई. हालांकि, सिर्फ 'इमरजेंसी' इसका कारण नहीं था, बल्कि, किशोर कुमार का इंदिरा सरकार को ना कहना था.;

Kishore Kumar-Indira Gandhi Controversy
Edited By :  सचिन सिंह
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Kishore Kumar-Indira Gandhi Controversy: सदन का शीतकालीन सत्र बेहद दिलचस्प होते जा रहा है. सदन में नेताओं के भाषण से एक के बाद एक पुराने किस्से सामने आ रहे हैं. इसी में से एक किस्सा 'इमरजेंसी' काल से निकलकर आया है, जिसका जिक्र करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा है.

दरअसल, संविधान पर बहस के दौरान कांग्रेस की तीखी आलोचना करते हुए लोकप्रिय रेडियो प्रोग्राम बिनाका गीतमाला का जिक्र किया. अमित शाह ने 'इमरजेंसी'(1975-77) के दौरान प्रोग्राम को रोकने का जिक्र करते हुए तत्कालीन इंदिरा गांधी पर निशाना साधा. अपने भाषण में उन्होंने इस प्रोग्राम को बैन करने का किस्सा भी सुनाया.

अमित शाह ने सुनाया किस्सा

अपने निजी अनुभव को याद करते हुए अमित शाह ने कहा, 'मैं बिनाका गीतमाला सुनता था, लेकिन 'इमरजेंसी' के दौरान यह अचानक बंद हो गया. मेरे पड़ोसी ने मुझे बताया कि किशोर कुमार का इंदिरा गांधी से झगड़ा हो गया था, जिसके कारण उन्होंने उनके गीतों को प्रसारित करने पर रोक लगा दी थी. इस कारण 19 महीने तक जनता लता मंगेशकर और किशोर कुमार के गानों को नहीं सुन पाई थी.'

क्या था किशोर कुमार-इंदिरा गांधी विवाद?

1970 के दशक तक किशोर कुमार अपने करियर के शिखर पर थे, लेकिन 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 'इमरजेंसी' की घोषणा के बाद यह सुनहरा दौर अचानक थम गया. बॉलीवुड की लोकप्रियता पहले से ही पूरे भारत में फैल चुकी थी, ऐसे में जब जनता का समर्थन हासिल करने की बात आई तो सरकार ने अपनी तारीफ करवाने के लिए बॉलीवुड, जिसमें खासकर इसके सुपरस्टार और गायकों की ओर रुख किया. इसमें किशोर कुमार की भागीदारी की मांग की गई थी.

उस समय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक सीनियर ऑफिसर सैयद मुजफ्फर हुसैन बर्नी की ओर से दिल्ली से किए गए एक ट्रंक कॉल ने किशोर कुमार-इंदिरा गांधी के बीच विवाद को शुरू कर दिया. सरकार की तारीफ करना किशोर कुमार को मंजूर नहीं था और अपने बेहद स्वतंत्र स्वभाव के लिए जाने जाने वाले किशोर कुमार बेबाक थे और सैयद मुजफ्फर हुसैन बर्नी को साफ मना कर दिया.

किशोर का ना, इंदिरा को नापसंद

इंदिरा सरकार को किशोर कुमार का ना कहना पसंद नहीं आया और आखिरकार एक्शन ले ली लिया. सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ऑल इंडिया रेडियो (AIR) और उस समय भारत के एकमात्र टेलीविजन चैनल दूरदर्शन पर किशोर कुमार के गानों पर तीन महीने के लिए बैन कर दिया गया. इसे लेकर आज भी समय-समय पर कांग्रेस के उपर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं.

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