जिम कॉर्बेट में जंगली जानवरों के लिए लगे थे कैमरे, अब चोरी-छिपे महिलाओं की हो रही है जासूसी

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वनजीवों की रक्षा करने के लिए लगाए गए कैमरा टैप, वॉयस रिकॉर्डर और ड्रोन का इस्तेमाल ग्रामीण महिलाओं पर जासूसी करने के लिए भी किया जाता है.;

( Image Source:  Freepik )
Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 29 Nov 2024 9:22 AM IST

उत्तराखंड में वनजीवों की सुरक्षा को लेकर कदम उठाए गए और कैमरा ट्रैप, वॉयस रिकॉर्डर और ड्रोन का इस्तेमाल जंगल में चारा ढूंढने या राहत के लिए जाने वाली ग्रामीण महिलाओं पर नज़र रखने के लिए भी किया जाता है. वहीं अब इस पर एक्सपर्ट्स ने दावा किया कि अब इनका इस्तेमाल महिलाओं को डराने, परेशान करने और यहां तक की जासूसी करने के लिए किया जा रहा है.

रिसर्चर्स का कहना है कि इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल वनजीवों की सुपक्षा के लिए शुरू किया गया था. लेकिन इसका इस्तेमाल इस तरह से किया जाएगा. इसके बारे में किसी ने सोचा नहीं था. कैम्ब्रिज के रिसर्चर त्रिशांत सिमलाई ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाली महिलाओं सहित 270 स्थानीय लोगों से बातचीत की. जिसके बाद इस पर एक रिपोर्ट तैयार की गई थी.

वीडियो को किया शेयर

वहीं रिपोर्ट के अनुसार वन रेंजर्स महिलाओं को जंगल से बाहर निकालने के लिए ड्रोन उड़ाकर उन पर निगरानी रखते हैं. ताकी वन से किसी भी चीजों को ले जाने से पहले वह डरें. ऐसा करना लीगल भी है. लेकिन इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है. जानकारी के अनुसार एक महिला जंगल में शौचालय के लिए गई उस दौरान कैमरा ट्रैप ने उसका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया इतना ही नहीं उसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया गया. इससे नाराज होने के बाद ग्रामीणों ने कैमरे को कई बार जला भी दिया. वहीं भारत में इसे बाघों का शिकार रोकने के लिए इस्तेमाल किया गया था. लेकिन इसका अब गलत इस्तेमाल होना शुरू हो चुका है.

महिलाओं को कॉर्बेट में गहराई तक जाने की आवश्यकता क्यों है?

वहीं जब सवाल किया गया कि आखिर महिलाओं को गहराई तक जाने की क्या आवश्यकता है? इस पर बताया गया कि कई बार जंगलों के आसपास रहने वाली महिलाएं जंगल में लकड़ियों के इस्तेमाल करने, जड़ी-बूटी और गीतों और बातचीत के माध्यम से जीवन साझा करने के लिए करती हैं. वहीं कई बार पति द्वारा की जाने वाली प्रताड़ना पर भी अपने घरों से दूर जंगल को सुरक्षित जगह मानती हैं.

ऐसे में घर की समस्याओं के दूर और झगड़ों और तनाव से राहत पाने के लिए कई बार महिलाएं जंगल में बैठती थीं और बातें करते गाना गाती थीं. एक महिला ने कहा कि हम गाना इसलिए गाते हैं क्योंकी हम जंगल में जीवित महसूस करते है. गांव में हमारे पास घरेलू काम और अन्य जिम्मेदारियां होती हैं, घर के अंदर विवाह समारोहों के बाहर गायन को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है. लेकिन अब वह ऐसा करने से डरती हैं.

शांत और सतर्क हो गई महिलाएं

वहीं जानकारी सामने आई कि अब ऐसा करने से महिलाएं डरती हैं शांत और चौकना हो चुकी हैं. क्योंकी कैमरे कहीं भी हो सकते हैं और कहीं से भी उनपर नजर रखी जा सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी चुप्पी सिर्फ एक सामाजिक घटना नहीं है, यह उन्हें जंगली जानवरों के हमलों के प्रति संवेदनशील बना सकती है.

Similar News