क्या है इसरो प्रोबा-3 मिशन? सूर्य की रहस्यों से उठेगा पर्दा; इन 10 प्वाइंट्स में पूरी जानकारी
ISRO launch Proba-3: 4 दिसंबर को इसरो के अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित होने वाले प्रोबा-3 मिशन का उद्देश्य सौर अनुसंधान और अंतरिक्ष मौसम की समझ को बढ़ाना है. ये उद्देश्य खास तौर पर सूर्य का बारीकी से अध्ययन किया जाना है.;
ISRO launch Proba-3: भारतीय स्पेस रिसर्च सेंटर (ISRO) अपनी सफलता की एक और कहानी लिखने जा रहा है. ISRO का ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) बुधवार 4 दिसंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से ईएसए के प्रोबा-3 मिशन को लेकर उड़ान भरेगा. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का प्रोबा-3 मिशन इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के सहयोग से हो रहा है.
आइए इन 10 प्वाइंट्स में इसके लॉन्चिंग से लेकर उद्देश्य तक को जानते हैं.
- इस मिशन के लिए इसरो के PSLV का उपयोग किया जाएगा, जिसे 5 दिसंबर 2024 को प्रक्षेपित किया जाना है. इस मिशन के तहत सूर्य का बारीकी से अध्ययन किया जाना है.
- प्रोबा-3 5 नवंबर 2024 को शाम के 4 बजकर 12 मिनट पर अंतरिक्षयान के प्रथम लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाएगा. ये अपने 61वें मिशन पर है और PSLV-XL प्रकार का 26वां मिशन है.
- प्रोबा-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य सटीक संरचना उड़ान का प्रदर्शन करना और सूर्य के बाहरी वायुमंडल का अध्ययन करना है.
- 550 किलोग्राम के कुल वजन के साथ PSLV-XL वर्जन प्रोबा-3 उपग्रहों को उच्च पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च करेगा. लगभग 18 मिनट की उड़ान के बाद 44.5 मीटर लंबा रॉकेट 550 किलोग्राम वजन वाले प्रोबा-3 उपग्रहों को उचित कक्षा में लॉन्च की जाएगी.
- प्रोबा-3 मिशन का हिस्सा बनने वाले दो अंतरिक्ष यान कोरोनाग्राफ और ऑकुल्टर एक दूसरे से केवल 150 मीटर की दूरी पर एक तंग विन्यास में उड़ान भरेंगे.
- ऑकुल्टर अंतरिक्ष यान कोरोनाग्राफ का उपयोग करके सूर्य के कोरोना या बाहरी वायुमंडल की जांच करने में सक्षम होगा.
- ऑकुल्टर अंतरिक्ष यान का वजन 240 किलोग्राम है और कोरोनाग्राफ अंतरिक्ष यान का वजन लगभग 310 किलोग्राम है.
- सैटेलाइट की परिक्रमा अवधि 19.7 घंटे होने का अनुमान है और पृथ्वी से उनकी सबसे दूर की प्वाइंट 60,530 किमी तथा पृथ्वी से उनकी उपभू (ग्रह की कक्षा का वह बिंदु जिस पर वह ग्रह पृथ्वी से निकटतम होता है) 600 किमी होगी.
- बता दें कि इसरो पहले भी साल 2001 में प्रोबा-1 और 2009 में प्रोबा-2 मिशन को लॉन्च कर चुका है और अब बारी प्रोबा-3 मिशन की है.
- अगर सूर्य ग्रहण जैसी स्थितियां पैदा न होंगी तो सूर्य के कोरोना के कारण अंतरिक्ष मौसम की घटनाएं सैटेलाइट, पावर ग्रिड और GPS जैसी चीजों को प्रभावित कर सकती हैं.