क्या ड्रैगन फिर चल रहा है दोगली चाल, पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को लेकर क्या है चीन का रुख?
चीन का रुख पाकिस्तान के प्रति हमेशा से संतुलित और रणनीतिक रहा है और पहलगाम हमले के बाद भी उसकी नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया. चीन ने हमले की निंदा तो की, लेकिन पाकिस्तान को सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया, बल्कि 'सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने" की बात की. यह चीन की दोहरी कूटनीति को दर्शाता है, जिसमें वह एक ओर पाकिस्तान को अपने सहयोगी के रूप में बचाने की कोशिश करता है, वहीं दूसरी ओर भारत से संतुलन बनाए रखने की रणनीति अपनाता है.;
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत में आक्रोश है और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की नजरें इस पर टिकी हैं कि कौन देश किसके साथ खड़ा है. अमेरिका, फ्रांस और जापान जैसे देशों ने जहां साफ तौर पर भारत के समर्थन में बयान दिए, वहीं चीन का रुख हमेशा की तरह 'घुमा-फिराकर', 'न न हां न' वाला रहा.
चीन के भारत में राजदूत शू फेइहांग ने कहा कि 'हम हिंसा और आतंकवाद के खिलाफ हैं, और सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हैं;' अब इस बयान में एक बात गौर करने वाली है. यहां हमला हुआ भारत में, मरे भारतीय नागरिक, लेकिन चीन कह रहा है “सभी संबंधित पक्ष संयम बरतें. मतलब साफ है-चीन पाकिस्तान को खुलकर कुछ भी नहीं कहेगा.
नरम है चीन, या चालाक?
चीन का पाकिस्तान को लेकर रवैया हमेशा से ही नरम रहा है-या यूं कहें, चालाक रहा है। उसे पाकिस्तान की ज़रूरत है-चाहे भारत पर दबाव बनाए रखने के लिए हो, या बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को ज़िंदा रखने के लिए. चीन ने पाकिस्तान को एक रणनीतिक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया है.
संयुक्त राष्ट्र में भी चीन ने कई बार पाकिस्तान स्थित आतंकियों को बचाया है-चाहे मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने की बात हो, या पाकिस्तान में पल रहे आतंकी नेटवर्क्स की बात. चीन हर बार या तो वीटो लगाता है या ऐसे बयानों से निकल जाता है जिनमें पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया जाता.
क्या चीन का रुख सापट है?
बिलकुल नहीं। चीन का रुख न तो पाकिस्तान-विरोधी है और न ही भारत-समर्थक. वह कूटनीतिक चालों में माहिर है-दिखावे की निंदा, संतुलन की भाषा, लेकिन असली मकसद सिर्फ एक: पाकिस्तान को बचाना, और भारत पर दबाव बनाए रखना. चीन जानता है कि भारत आज उसकी एशिया में सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में पाकिस्तान उसके लिए एक जियो-स्ट्रैटेजिक हथियार है, जिससे वह भारत को घेरने की कोशिश करता है-सीमा विवाद से लेकर आतंकवाद तक.