गगनयान भरेगा ऑस्ट्रेलिया से उड़ान! ISRO और ASA ने मिलाया हाथ

गगनयान मिशन के लिए इसरो को ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसी (ASA) तकनीकी सहायता प्रदान करेगी. ASA प्रमुख एनरिको पालेर्मो ने बताया कि भारतीय टीम ने द्वीपों का दौरा कर साइट का सर्वेक्षण किया और ट्रैकिंग स्टेशन के लिए उपयुक्त पाया.;

Gaganyaan Mission, Pic Credit- ANI
by :  प्रिया पांडे
Updated On : 18 Sept 2024 6:56 PM IST

भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान में इसरो ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है. इसरो ने कई मानव रहित परीक्षण और उड़ानों की योजना के तहत ऑस्ट्रेलिया के कोकोस द्वीपों पर अस्थायी ग्राउंड स्टेशन ट्रैकिंग सुविधा की स्थापना की है. ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी (ASA) के प्रमुख एनरिको पालेर्मो ने एक साक्षात्कार में बताया कि भारतीय टीम ने द्वीपों का दौरा कर साइट का सर्वेक्षण किया और इसे ट्रैकिंग स्टेशन के लिए उपयुक्त पाया. अब एक ऑस्ट्रेलियाई परियोजना प्रबंधक की मदद से सुविधाएं स्थापित की जा रही हैं.

एनरिको पालेर्मो ने यह भी बताया कि ASA किसी भी आकस्मिक स्थिति में भारत का समर्थन करने के लिए तैयार है. इसके अलावा, ASA भारत के साथ यह समझने की कोशिश कर रहा है कि वे साइंस और उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों में गगनयान मिशन में कैसे योगदान दे सकते हैं.

अन्य अंतरिक्ष मिशन

भारत और ऑस्ट्रेलिया मिलकर अन्य अंतरिक्ष मिशनों पर भी काम कर रहे हैं. इनमें तीन प्रमुख मिशन शामिल हैं: कार्बन उत्सर्जन की निगरानी के लिए उपग्रह मिशन, स्पेस मशीन कंपनी और बेंगलुरु स्थित दिगंतारा द्वारा स्पेस मैत्री मिशन, जो कक्षा में मलबे के शमन और परिवहन का प्रदर्शन करेगा. इसके अलावा, स्काईक्राफ्ट एक उपग्रह नक्षत्र के लिए नई स्थिति, नेविगेशन और समय प्रणाली विकसित करने पर काम कर रहा है.

ASA, ISRO और QUAD

ASA और ISRO, QUAD स्पेस वर्किंग ग्रुप के तहत भी सहयोग कर रहे हैं. इनमें एक प्रमुख कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न अत्यधिक वर्षा का अध्ययन है, जो भारत के नेतृत्व में है. पालेर्मो ने बताया कि पिछले साल जी20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 जलवायु उपग्रह की घोषणा की थी, और अब ऑस्ट्रेलिया इस परियोजना में अपनी पृथ्वी अवलोकन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से पेलोड के योगदान पर विचार कर रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों के वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्षेत्र में छोटे से मध्यम आकार के स्टार्टअप प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं, और दोनों देश एक-दूसरे से सीखते हुए इन उद्यमों का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं.

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